गोड्डा नगर परिषद क्षेत्र में लोक आस्था का महापर्व छठ 25 अक्टूबर को नहाय-खाय के साथ आरंभ होगा, लेकिन नगर के प्रमुख छठ घाटों की सफाई का कार्य बेहद धीमी गति से चल रहा है. मूलर्स टैंक सरोवर, राजकचहरी तालाब, कझिया नदी घाट, गोढी तालाब सहित 10 से अधिक छठ घाटों पर कूड़े-कचरे का अंबार लगा है, जबकि छठ पर्व में अब केवल 11 दिन शेष रह गये हैं. नगर प्रशासन भले ही आकांक्षा योजना के तहत सफाई कार्य होने का दावा कर रहा हो, लेकिन जमीनी हकीकत इसके विपरीत है. कई घाटों के रास्तों पर भी कचरा पसरा हुआ है, जिससे श्रद्धालुओं को भारी असुविधा हो रही है. मूलर्स टैंक सरोवर की स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक है, जहां सालभर कूड़ा फेंका जाता है और प्रतिमा विसर्जन के कारण पानी पूरी तरह प्रदूषित हो चुका है. स्थानीय लोगों का कहना है कि छठ पूजा के अवसर पर ही इस ऐतिहासिक सरोवर की सफाई होती है. नगर परिषद द्वारा प्रतिदिन मात्र चार-पांच सफाईकर्मी भेजे जा रहे हैं, जो पूरे क्षेत्र के लिए अपर्याप्त हैं. पानी की गुणवत्ता इतनी खराब हो चुकी है कि श्रद्धालु जल में प्रवेश करने से भी हिचकते हैं. जिला प्रशासन द्वारा मूलर्स टैंक के सौंदर्यीकरण या संरक्षण की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की गयी है. सामाजिक व प्रशासनिक स्तर पर समुचित प्रयास न होने से श्रद्धालुओं की आस्था पर असर पड़ रहा है. नगर प्रशासन का दावा है कि कोई भी छठ घाट खतरनाक नहीं है,
नगर परिषद क्षेत्र के प्रमुख छठ घाट
मूलर्स टैंक (बाबूपाड़ा), राजकचहरी तालाब (रौतारा चौक), कझिया नदी घाट, रौतारा व गुलजारबाग, गोढी तालाब (गांधीनगर), शिवगंगा तालाब (शिवपुर), विद्यापति भवन के समीप (गुलजारबाग), कदवा टोला घाट, ठाकुर सरोवर (कर्पूरी नगर), इसके अतिरिक्त अनेक श्रद्धालु घरों की छतों पर भी अर्घ्य अर्पित करते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

