महागामा प्रखंड अंतर्गत विभिन्न गांवों में लोक आस्था और सूर्योपासना का महापर्व छठ नजदीक है, लेकिन तैयारियों की धीमी रफ्तार और छठ घाटों की उपेक्षा से श्रद्धालुओं में नाराजगी देखी जा रही है. चार दिवसीय छठ पर्व 25 अक्टूबर से नहाय-खाय के साथ आरंभ होगा, मगर अब तक घाटों की साफ-सफाई का कार्य प्रारंभ नहीं हो सका है. कोयला गांव का ऐतिहासिक छठ तालाब, हनवारा नदी घाट, विश्वासखानी का गेरुआ नदी घाट, बिशनपुर तालाब, संग्रामपुर घाट, बर्दभड़ा तालाब और गढ़ी तालाब सहित दर्जनों गांवों में छठ व्रत के दौरान सैकड़ों श्रद्धालु भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करते हैं. खासकर कोयला काली मंदिर तालाब और विश्वासखानी छठ घाट पर बने सूर्य मंदिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है. ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व वर्षों में छठ से पहले प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की ओर से घाटों की सफाई करा दी जाती थी, लेकिन इस बार अब तक कोई पहल नहीं की गयी है. घाटों पर अब भी कूड़े-कचरे का अंबार लगा हुआ है, जिससे व्रतियों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से अपील की है कि श्रद्धालुओं की आस्था का सम्मान करते हुए सभी प्रमुख छठ घाटों की शीघ्र सफाई करायी जाये, ताकि पर्व शांतिपूर्ण एवं श्रद्धापूर्वक संपन्न हो सके.
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