अदाणी पावर लिमिटेड को बिहार सरकार से 2400 मेगावाट बिजली आपूर्ति के लिए अनुबंध प्राप्त हुआ है. यह बिजली राज्य के भागलपुर जिले में स्थापित होने वाले ग्रीनफील्ड अल्ट्रा-सुपरक्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट से उत्पादित की जाएगी. इस परियोजना पर लगभग 27000 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है, जो राज्य में अब तक का सबसे बड़ा निजी निवेश माना जा रहा है. यह परियोजना प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से हासिल की गयी, जिसमें अदाणी पावर ने 6.075 रुपये प्रति यूनिट की सबसे कम टैरिफ दर पेश की. इस प्रक्रिया में जेएसडब्ल्यू एनर्जी, टॉरेंट पावर और बजाज एनर्जी जैसी दिग्गज कंपनियां भी शामिल थीं. अदाणी पावर के सीईओ एसबी ख्यालिया ने कहा कि यह परियोजना सिर्फ अदाणी समूह के लिए नहीं, बल्कि बिहार की आर्थिक प्रगति के लिए भी मील का पत्थर साबित होगी. बिहार की पीक बिजली मांग 6500 से 7000 मेगावाट है, जबकि राज्य की अपनी उत्पादन क्षमता महज 2500 मेगावाट है. शेष बिजली केंद्र और निजी स्रोतों से खरीदी जाती है. ऐसे में अदाणी की यह परियोजना राज्य की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में बड़ी भूमिका निभाएगी. इस परियोजना में अल्ट्रा-सुपरक्रिटिकल टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाएगा, जो पारंपरिक कोयला संयंत्रों की तुलना में अधिक कुशल और कम उत्सर्जन वाली तकनीक है. इसी तकनीक का प्रयोग अदाणी ने 2023 में गोड्डा में 1600 मेगावाट के पावर प्लांट में किया था. परियोजना के निर्माण चरण में 12,000 से अधिक नौकरियां और परिचालन चरण में 3,000 स्थायी रोजगार के अवसर सृजित होंगे. प्रत्येक प्रत्यक्ष नौकरी के साथ तीन से चार अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर भी बनेंगे. हालांकि बिहार में निवेशकों को अब तक भूमि अधिग्रहण, नीति अस्थिरता, लॉजिस्टिक्स, प्रशासनिक जटिलताओं जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. इसके कारण बिलीमोरिया की 1000 करोड़ की ब्रेवरी परियोजना शराबबंदी के चलते रद्द हो गयी थी. इसके बावजूद राज्य में आईटीसी, पेप्सिको, डालमिया भारत, टाटा पावर जैसी कंपनियां सक्रिय हैं अब अदाणी समूह का यह निवेश न केवल बिहार के औद्योगिक विकास को नयी दिशा देगा, बल्कि ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर भी महत्वपूर्ण कदम साबित होगा.
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