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बगोदर के 5 श्रमिकों को उठा ले गये नाइजर आतंकवादी, मोदी और हेमंत सोरेन सरकार से परिजनों की है ये गुहार

Jharkhand Laborers Kidnapped in Niger: रोजी-रोटी की तलाश में कमाने के लिए झारखंड के बगोदर से नाइजर गये 5 श्रमिकों का आतंकवादियों ने वहां अपहरण कर लिया. 6 दिन बीत जाने के बावजूद उनके परिजनों को उन श्रमिकों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है. फोन पर भी संपर्क नहीं हो रहा है. सभी परेशान हैं. सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि उनके परिजनों को जल्द से जल्द स्वदेश लाने की व्यवस्था की जाये. प्रभात खबर ने एक-एक परिवार से मुलाकात की और उनके दर्द को सुना. आप भी पढ़ें.

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Jharkhand Laborers Kidnapped| बगोदर, कुमार गौरव : रोजगार की तलाश में नाइजर गये झारखंड के 5 श्रमिक आतंकवादियों के चंगुल में फंस गये हैं. आतंकवादियों ने उन्हें बंधक बना लिया है. इसकी सूचना मिलने के बाद से उनके परिजनों का हाल बेहाल है. माता-पता, पत्नी और बच्चे सब मिलकर केंद्र की नरेंद्र मोदी और राज्य की हेमंत सोरेन सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि उनके परिजनों को सकुशल वापस लायें. सभी श्रमिक गिरिडीह जिले के बगोदर थाना क्षेत्र के रहने वाले हैं. उनके परिजनों का हाल-बेहाल है. घर में न चूल्हा जल रहा है, न ही लोग चैन की नींद सो पा रहे हैं. गरीबी की वजह से रोजी-रोटी कमाने के लिए विदेश गये और वहां जाकर एक नयी मुसीबत में फंस गये.

पश्चिम अफ्रीकी देश में 25 अप्रैल को हुआ 5 श्रमिकों का अगवा

पश्चिम अफ्रीकी देश में फंसे सभी मजदूरों ने कल्पतरु कंपनी में 13 महीने तक काम किया. 25 अप्रैल 2025 (शुक्रवार) को पश्चिम अफ्रीकी देश नाइजर के सकोरा में आतंकियों ने सेना पर हमला किया था. इसमें 12 नाइजर सैनिक मारे गये. ट्रांसमिशन लाइन का काम कर रहे बगोदर के 5 मजदूरों को आतंकवादी उठाकर अपने साथ ले गये.

अगवा श्रमिकों के परिजनों को ढाढ़स बंधाने पहुंच रहे हैं ग्रामीण.

6 दिन बाद परिजनों का रो-रोकर है बुरा हाल

वहां के स्थानीय लोगों से इसकी सूचना बगोदर में परिजनों को मिली. घटना के 6 दिन बीत गये, लेकिन मजदूरों के बारे में परिजनों को अब तक कुछ भी सटीक जानकारी नहीं मिल पा रही है. इससे लोग भयभीत हैं. सहमे हुए हैं. घर की महिलाओं का रो-रोकर बुरा हाल है. अब सिर्फ इतनी ही विनती कर रहे हैं कि उनके पति, बेटा को सही सलामत लाने में सरकार बदद करे.

दोंदलो गांव के चंद्रिका महतो के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल

आतंकवादियों के चंगुल में फंस चुके दोंदलो गांव के चंद्रिका महतो के घर में उनकी पत्नी अपने पति के साथ किसी अनहोनी की आशंका से सहमी है. सिर्फ इतना कह रही है कि सरकार उसके पति को सही-सलामत घर पहुंचा दे. वह लगातार रोये जा रही है. चंद्रिका महतो की बेटी ललिता कुमारी (15), योगेंद्र कुमार (16)और सचिन कुमार (12) भी अपनी मां से कभी लिपटकर रोने लगते हैं. यही लोग मां को चुप भी कराते हैं.

Jharkhand Laborers Kidnapped Families Worried Bagodar
रोती मां को ढाढस बंधा रही बेटी. फोटो : कुमार गौरव

चंद्रिका की बेटी बोली- 6 दिन से हम डरे-सहमे हैं

चंद्रिका महतो की बेटी ललिता ने बताया कि 15 जनवरी 2024 को पापा काम करने गये थे. सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था. 25 अप्रैल को सुबह में एक बार बात हुई. उसके बाद से मोबाइल बंद हैं. सूचना मिली कि पापा को बदमाशों ने पकड़ लिया है. इसके बाद से हम काफी परेशान हैं. 6 दिन से हम डरे-सहमे हैं. पापा का क्या होगा? वे कब घर लौटेंगे? अगवा हुए हैं या लापता हुए हैं, कुछ पता नहीं चल रहा है.

पिता की आंखों में दिखा दर्द- बोले- चावल नहीं बेटा चाहिए

घर की चौखट पर प्रवासी मजदूर चंद्रिका महतो के बूढ़े माता-पिता अपने पोते-पोतियों के साथ बैठकर हर आने वाले को सवालिया नजरों से देखते हैं. वह कहते हैं, ‘बेटा को लापता हुए 6 दिन हो गये. कोई बताने वाला नहीं कि बेटा किस हाल में है. नेता, अफसर आ रहे हैं. फोटो खिंचवा रहे हैं. सिर्फ हिम्मत रखने की बात कहते हैं. अभी एक बोरा चावल अफसर देकर गये हैं. मुझे सिर्फ और सिर्फ बेटा चाहिए. सरकार जल्द से जल्द उसे खोजकर लाये.’

दोंदलो गांव में फलजीत महतो के घर नहीं जल रहा चूल्हा

दोंदलो गांव के प्रवासी मजदूर फलजीत महतो के घर में भी घर के मुखिया के अगवा हो जाने की सूचना से लोग परेशान हैं. फलजीत महतो की पत्नी रूपा देवी को जब से अपने पति के किडनैप होने की सूचना मिली है, तब से वह डरी हुई है. आंचल से आंसू पोंछ रहीं हैं. कहती हैं कि 25 अप्रैल को बात हुई थी. उस समय सब कुछ ठीक-ठाक था. दूसरे दिन शाम को सूचना मिली कि बगोदर के 5 मजदूरों का अपहरण कर लिया गया है. उसमें मेरे पति भी शामिल हैं. ये कोई नहीं बता रहा कि कौन लोग उठाकर ले गये हैं और कहां ले गये हैं. इससे मत व्याकुल है. सरकार उन्हें सकुशल लाने की व्यवस्था करे.

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फलजीत महतो के घर के बाहर चौखट पर बैठी मां, पत्नी और पिता. फोटो : कुमार गौरव

बेटा को बंदूक वाला सब ले गया है : नारायण महतो

फलजीत महतो के पिता नारायण महतो ने कहा कि बेटा बड़ा होने के बाद अपने घर-परिवार को अच्छा जीवन देने के लिए देश- विदेश चल जाता है. फलजीत से मेरी फोन पर ज्यादा बात नहीं होती. बहू ही बात करती है. वही हाल-समाचार बताती है. जब से सुने हैं कि बेटा को बंदूक वाला ले गया है, परेशान हूं. कहां ले गया मालूम नहीं. बेटा का फोन भी बंद है. फलजीत की मां भी रो रही है. फलजीत महतो के दो छोटे-छोटे बच्चे हैं. संदीप और विक्की. वो भी अपने पापा के बारे में पूछ रही हैं. फलजीत महतो की भाभी बताती हैं कि 25 अप्रैल के बाद से फोन नहीं आ रहा है. कोई यह भी नहीं बता रहा कि सरकार क्या कर रही है. जल्द से जल्द सकुशल बेटे को घर लाये.

परिजनों ने सरकार से लगायी खोजने की गुहार, कहा- जैसे बेटा गया था, वैसे ही सरकार भेजे

दोंदलो गांव के प्रवासी मजदूर राजू महतो का आतंकवादियों के द्वारा अगवा किये जाने की सूचना मिलते ही सभी रिश्तेदारों का जमावड़ा लगा हुआ है. इधर, राजू महतो की पत्नी लक्ष्मी देवी 2 साल की बेटी के साथ एकदम शांत बैठी है. कह कहती है कि बाल-बच्चों के भविष्य के लिए आदमी सुख-चैन बेचकर बाहर कमाने जाता है, लेकिन कहीं सुरक्षा नहीं है. पति विदेश कमाने गये, लेकिन अब वो लापता हैं. डर लग रहा है. लक्ष्मी देवी ने हाथ जोड़कर सरकार से गुहार लगायी कि उसके पति को सकुशल घर ला दे. घर में बूढ़ी मां कमली देवी, पिता फागु महतो भी परेशान हैं. राजू की मामी कहती हैं कि राजू हमारा भगिना है. पता चला है कि जहां वह काम करने गया था, वहां उसका अपहरण हो गया है. इसके बाद से घर में सब रो रहे हैं. चूल्हे नहीं जल रहे. सरकार कुछ करे, ताकि राजू के घर की खुशियां लौट सके.

छोटे बेटे संजय महतो की चिंता में परेशान हैं पिता

दोंदलो के प्रवासी मजदूर संजय महतो के परिजनों का भी बुरा हाल है. पिता गाजेश्वर महतो ने बताया कि छोटा बेटा संजय कमाने के लिए विदेश गया था. 25 अप्रैल से कोई फोन फोन नहीं आ रहा. बेटा किस हाल में है, यह नहीं मालूम. उसके साथ क्या हुआ, कौन उसे उठा ले गया, कोई नहीं बता रहा. ये सब पता नहीं चल रहा है. जिससे मन काफी परेशान है. बेटे के 3 छोटे-छोटे लड़के हैं. उनका कैसे गुजर बसर होगा? कब मेरे बेटे को छोड़ा जायेगा. कई सवाल मन में घूम रहे हैं. बेटे की चिंता पिता को खाये जा रही है. बोलते-बोलते वह रो पड़ते हैं.

संजय महतो के बच्चे नहीं जानते- पिता कहां हैं

संजय महतो के छोटे-छोटे बेटे एक बजे स्कूल से घर लौटे हैं. इन मासूम बच्चों को यह भी नहीं मालूम कि उनके पिता के साथ क्या हुआ है. संजय महतो के 7 साल के बेटे अजीत कुमार को किसी ने नहीं बताया है कि उसके पिता का किडनैप हो गया है. उसने बताया कि शाम में पहले बात करते थे. अभी बात नहीं हो रही है. संजय के बड़े पुत्र आशीष कुमार ने कहा कि पापा डेढ़ साल पहले कमाने गये थे. अभी पता चल रहा है कि उनको किडनैप कर लिया है. सरकार से निवेदन है कि पापा को खोज निकाले और घर भेजे.

25 अप्रैल के बाद से फोन नहीं लग रहा – संजय की पत्नी

संजय महतो की मां और पत्नी ने भी संजय को छुड़ाकर भारत लाने की मांग की है. संजय महतो की पत्नी ने बताया कि 25 अप्रैल को बात हुई थी. उसके बाद से फोन नहीं लग रहा. इससे परेशानी काफी बढ़ गयी है. संजय की पत्नी और मां ने सरकार से गुहार लगायी है कि उसे जल्द से जल्द स्वदेश वापस लाये.

भावुक हुए उत्तम महतो के पिता लातो महतो

उत्तम महतो के पिता तालो महतो बेहद भावुक हैं. कहते हैं कि बेटा कमाने गया विदेश. उत्तम की मां नहीं है. सुनने में आ रहा है कि उत्तम महतो समेत दोंदलो के 4 मजदूरों को राइफल की नोंक पर किडनैप करके ले गये हैं. सूचना मिलने के बाद से घर में उसकी पत्नी और बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल है. उत्तम महतो के बच्चे भी सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि उनके पिता को वापस लाया जाये.

Jharkhand Laborers Kidnapped Families Worried Bagodar Uttam Mahto Family
मुंडरो गांव में उत्तम महतो के पिता और बच्चे. फोटो : कुमार गौरव

पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल, बच्चे पूछ रहे कई सवाल

उत्तम की पत्नी का का अगवा होने के बाद से रो-रोकर बुरा हाल है. गांव में यज्ञ चल रहा है. पत्नी अपने पति की सकुशल घर वापसी के लिए कलश यात्रा में शामिल हुई. भगवान से मन्नत मांगी है कि पति जहां भी हों, सकुशल रहें. बगोदर के और 4 लोग भी सुरक्षित रहें. उत्तम की पत्नी कहती है कि 6 दिन हो गये, लेकिन कोई भी यह नहीं बता रहा कि उसके पति किस हाल में हैं. इससे मन व्याकुल है.

सांसद और केंद्रीय मंत्री ने बगोदर आना जरूरी नहीं समझा – समाजसेवी

इस बाबत समाजसेवी खूबलाल भाई ने बताया कि बगोदर प्रखंड से 5 मजदूरों को नाइजर में काम करने के दौरान आतंकवादियों ने सुरक्षाकर्मियों पर हमला करने के बाद अगवा कर लिया था. घटना के 6 दिन हो गये हैं. अभी तक सिर्फ कागजी कार्रवाई की जा रही है. स्थानीय सांसद सह केंद्रीय बाल विकास मंत्री ने बगोदर आना भी जरूरी नहीं समझा. उन्होंने अपील की है कि सरकार उचित कदम उठाये, ताकि बगोदर के सभी श्रमिक सकुशल वापस अपने घर लौट सकें.

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