धमाका इतना तीव्र था कि घर की दीवारें गिर गयी थीं और छत भी ऊपर की ओर उठ गयी थी. आसपास के लोग जब दौड़ते हुए मौके पर पहुंचे तो देखा कि घर के मलबे में सात लोग फंसे हुए थे. इसके बाद स्थानीय लोगों की मदद से सभी को घर से बाहर निकाला गया था और गंभीर हालत में गिरिडीह सदर अस्पताल पहुंचाया गया था. इलाज के दौरान एक महिला की भी मौत हो गई थी, जबकि बाकी छह लोग बुरी तरह से घायल हो गए थे. सभी घायलों को इलाज के लिए पहले धनबाद और फिर रांची रेफर किया गया था. घटना की जानकारी मिलने के बाद मुफस्सिल थाना की पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंची और जांच शुरू कर दी थी. आश्चर्य की बात यह रही कि घर में रखा गैस सिलेंडर पूरी तरह सुरक्षित पाया गया था जिससे यह सवाल उठने लगा कि आखिर विस्फोट हुआ कैसे. स्थानीय लोग अब भी उस रात की चीखें और भगदड़ को भूल नहीं पाए हैं. यह हादसा न सिर्फ एक परिवार के लिए त्रासदी बन गया, बल्कि पूरे मोहल्ले में भय और अनिश्चितता का माहौल भी बना गया था.
हादसे ने छीन ली थी चार जिंदगियां
इस भीषण धमाके ने एक खुशहाल परिवार की जिंदगी पूरी तरह से तबाह कर दी. इस दर्दनाक हादसे में चार लोगों की जान चली गई थी, जबकि परिवार के तीन सदस्य गंभीर रूप से घायल हो गये थे. हादसे की खबर मिलते ही इलाके में मातम पसर गया और हर आंख नम हो गई थी. धमाके की चपेट में आने से मारे गये लोगों में गृहस्वामी उमेश दास, उनकी पत्नी सविता देवी, सास देवंती देवी और ससुर टुकन दास शामिल थे. घटना के बाद सबसे पहले गंभीर रूप से घायल देवंती देवी को गिरिडीह सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी. बाकी के बचे 6 की हालत चिंताजनक होने के कारण पहले धनबाद और फिर रांची रेफर किया गया था. रांची में इलाज के दौरान पहले ससुर टुकन दास की मौत हुई थी, फिर कुछ ही दिनों के भीतर पत्नी सविता देवी और आखिर में गृहस्वामी उमेश दास ने भी दम तोड़ दिया. इस तरह एक के बाद एक चार जिंदगियां चली गयी और पूरा परिवार शोक में डूब गया. इस दर्दनाक हादसे में उमेश दास की बेटी लक्ष्मी कुमारी, बड़ा बेटा संदीप कुमार और छोटा बेटा सनी कुमार भी घायल हो गए थे. लेकिन गनीमत रही थी कि समय पर इलाज मिलने से तीनों की जान बचाई जा सकी और अब वे स्वस्थ हो चुके हैं. जानकारी के अनुसार, उमेश दास के सास-ससुर महज दो दिन पहले ही अपनी बेटी के घर आए थे. किसी को अंदाजा नहीं था कि यह मुलाकात आखिरी होगी और कुछ ही दिनों में पूरा परिवार इस तरह की त्रासदी से गुजर जाएगा.
ब्लास्ट की जांच के लिए रांची से बुलाई गई थी फोरेंसिक टीम
शीतलपुर में हुए रहस्यमय धमाके के बाद जब मुफस्सिल थाना पुलिस की शुरुआती जांच से कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया था, तब गिरिडीह एसपी डॉ. विमल कुमार के निर्देश पर रांची से एक विशेष फोरेंसिक टीम को बुलाया गया था. तीन सदस्यीय यह टीम ने घटनास्थल पर पहुंचते ही ब्लास्ट वाले कमरे की गहन जांच में जुट गई थी. करीब दो घंटे तक चली जांच में टीम ने कमरे के भीतर मौजूद हर वस्तु की बारीकी से छानबीन की और कई अहम सैंपल इकट्ठा किए गए थे. जांच के दौरान सदर एसडीपीओ जीतवाहन उरांव और मुफस्सिल थाना प्रभारी श्याम किशोर महतो भी मौके पर मौजूद थे. फोरेंसिक टीम ने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, जले हुए मलबे और अन्य संदिग्ध वस्तुओं की विशेष जांच की थी ताकि विस्फोट के कारणों का पता लगाया जा सके. जांच के बाद टीम सैंपल्स के साथ रांची रवाना हो गई थी. गौरतलब है कि जिस दिन फोरेंसिक टीम ने जांच की थी, उसी दिन गिरिडीह एसपी डॉ. विमल कुमार ने भी घटनास्थल पर पहुंचकर स्वयं स्थिति का जायजा लिया था.
घटनास्थल से नहीं मिला विस्फोटक सामग्री, कई सामग्रियों में मिला केरोसिन का अंश
राजधानी रांची से आई फॉरेंसिक टीम ने घटनास्थल की गहन जांच के बाद यह स्पष्ट किया है कि घर में किसी प्रकार का विस्फोटक पदार्थ मौजूद नहीं था. फॉरेंसिक टीम ने घटनास्थल से कई महत्वपूर्ण सैंपल एकत्र किए थे. इनमें सूती कपड़े पर जली हुई काली परतें, लाल और नीले रंग की जली हुई प्लास्टिक जैसी सामग्री, ईंट और कंक्रीट जैसे गृह रंग की जली हुई परतें, नारंगी रंग के पेंट की परतें और अंशतः जले हुए अन्य पदार्थ शामिल थे. टीम को घटनास्थल से कुछ अधजले कपड़े भी जो बरामद हुई थी. जांच के दौरान कई नमूने जैसे में जला हुआ मौजा, ईंट के टुकड़े, ग्रे रंग का धागेदार कपड़ा में किरासन तेल की गंध पाई गई. जबकि ग्रे रंग की सूती गेंदे में किरोसिन का अंश नहीं पाया गया. रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया कि घटनास्थल से कोई विस्फोटक सामग्री नहीं मिली जिससे यह साफ हो गया कि धमाका किसी बम या विस्फोटक की वजह से नहीं हुआ था.
अभी भी जांच जारी है : थाना प्रभारी
मुफस्सिल थाना प्रभारी श्याम किशोर महतो ने बताया है कि अभी मामले की जांच जारी है और एक सप्ताह के भीतर इसका खुलासा होने की उम्मीद है. उन्होंने फॉरेंसिक रिपोर्ट को लेकर कुछ भी जानकारी देने से इनकार किया है जिससे यह संकेत मिलता है कि या तो रिपोर्ट अभी प्राप्त नहीं हुई है या वह जांच के हित में गोपनीय रखी गई है.
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