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गढ़वा : पूर्व एसपी मो अर्शी सहित तीन के खिलाफ जारी होगा समन
गढ़वा के अधिवक्ता के साथ मारपीट व हाजत में रखने का मामला गढ़वा : गढ़वा व्यवहार न्यायालय के सीजेएम अमित कुमार वैश्य की अदालत ने गढ़वा के पूर्व एसपी मो अर्शी सहित तीन लोगों के खिलाफ संज्ञान लेते हुए उनको सम्मन जारी करने का आदेश दिया है. यह आदेश अधिवक्ता आशीष कुमार दुबे के साथ […]
गढ़वा के अधिवक्ता के साथ मारपीट व हाजत में रखने का मामला
गढ़वा : गढ़वा व्यवहार न्यायालय के सीजेएम अमित कुमार वैश्य की अदालत ने गढ़वा के पूर्व एसपी मो अर्शी सहित तीन लोगों के खिलाफ संज्ञान लेते हुए उनको सम्मन जारी करने का आदेश दिया है. यह आदेश अधिवक्ता आशीष कुमार दुबे के साथ मारपीट को लेकर दिया गया है.
गढ़वा के तत्कालीन एसपी मो अर्शी, आरक्षी गोरेलाल कुंवर व मुन्ना सिंह के खिलाफ प्रारंभिक दोष के रूप में भादवि की धारा 323, 325, 379, 504 व 506/34 के तहत संज्ञान लेते हुए सम्मन जारी करने का आदेश हुआ है. ज्ञात हो कि नौ मई 2018 को अधिवक्ता आशीष कुमार दुबे ने परिवाद पत्र संख्या 836/18 के माध्यम से तत्कालीन गढ़वा एसपी सहित 12 लोगों व अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ सीजेएम की अदालत में मामला दाखिल किया था.
इसमें रंका मोड़ पर परिवादी को अकारण मारपीट कर हाजत में बंद करने का आरोप लगाया गया था. साथ ही अभियुक्तों पर मनगढ़ंत आरोप लगाते हुए अधिवक्ता का मोबाइल भी लूट लेने का आरोप था. मामले में 12 नामजद आरोपियों के अलावा तत्कालीन थाना प्रभारी लक्ष्मीकांत पांडेय, आरक्षी रामवदन सिंह, बिंडो सोरेन, राम लखन राम, अरविंद पासवान, नवनीत कुमार सिंह, बबलू प्रसाद, कमलेश प्रसाद यादव व रिम्स के चिकित्सक डॉ आरजी बाखला के भी नाम शामिल हैं. इस मामले की मीडिया में रिपोर्ट आने के बाद झारखंड उच्च न्यायालय ने भी संज्ञान लिया था. इसके बाद से आइपीएस अधिकारी मो अर्शी जांच के घेरे में हैं. उन पर विभागीय कार्रवाई भी की गयी है.
अधिवक्ता के साथ दुर्व्यवहार और मारपीट करने का है आरोप
30 अप्रैल 2018 को रात्रि 8.30 बजे अधिवक्ता आशीष कुमार दुबे अपनी बाइक से सहिजना घर लौट रहे थे. इस दौरान वे रंका मोड़ पर जाम में खड़े थे. इसी बीच अचानक गढ़वा के तत्कालीन एसपी मो अर्शी उनकी गाड़ी के पीछे आ गये. एसपी के पांच-छह अंगरक्षक आकर अधिवक्ता की मोबाइल लूटते हुए मारपीट करते हुए थाना ले गये. अपशब्द का इस्तेमाल करते हुए अंगरक्षक गोरेलाल कुंवर ने उनका मोबाइल तोड़ दिया. उन्हें पीआर बांड पर हस्ताक्षर कराकर छोड़ दिया गया.
अधिवक्ता ने इसकी सूचना गढ़वा के तत्कालीन प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश एवं जिला अधिवक्ता संघ को दी. साथ ही अपने जख्म दिखाये, जिसके बाद उपायुक्त गढ़वा को सूचना दी गयी. इसके बाद उपायुक्त के निर्देशानुसार गढ़वा एसडीओ को परिवादी के इलाज को लेकर मेडिकल टीम गठित करने का निर्देश दिया गया. इसके बाद अधिवक्ता का रिम्स रांची भेजकर इलाज कराया गया था. इस मामले में अभियुक्तों पर 323, 325, 307, 448, 120 बी, 211, 386, 379, 504, 506, 217/34, 166, 166 ए का आरोप लगाया गया था.
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