दलाही. मसलिया प्रखंड के जेरवाखिलकनाली गांव में एक प्राचीन शिव मंदिर स्थित है, जिसकी महिमा अपार है. यहां चड़क पूजा कई वर्षों से भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए की जाती है. चैत्र मास के अंतिम दिन आयोजित इस पूजा में भक्त विभिन्न कठिन कार्य करते हैं. मनोकामना पूर्ण करने के लिए भक्त तीन दिन का उपवास रखते हैं और रात में विशेष अनुष्ठान करते हैं. रविवार की रात को अंगारों पर चलना, उल्टे झूले पर झूलना और कांटों पर लेटना जैसे करतब दिखाये जाते हैं. इस अवसर पर बड़ी संख्या में ग्रामीण पूजा देखने आते हैं. मसलिया प्रखंड क्षेत्र के जेरवाखिलकनाली गांव के शिव मंदिर इलाके में सबसे प्राचीनतम शिव मंदिर है. जहां की शिवमंदिर की महिमा काफी अपार है. जानकारी के अनुसार यहां पर चडक पूजा काफी वर्षो से भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है. चैत्र महीना के अंतिम दिन चडक पूजा का आयोजन किया जाता है, जिसमे भोक्ता नियम संगत कई करतब दिखाते हैं. मनोवांछित फल पाने के लिए शिव आराधना के लिए भोक्ता तीन दिनों तक दिन भर उपवास में रहकर रात्रि में हबीस पाते है. रविवार रात्रि को भोक्ता द्वारा कई करतब जैसे अंगारों पर चलना,उल्टा झूला झूलना,कांटे पर लेटना जैसे शामिल है.इस अवसर पर कई गांव के लोग पूजा देखने उमड़ पड़े.
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