नोएडा, मैनपुरी व इटावा से होता हुआ प. बंगाल तक आता है कछुआ
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वेस्टर्न यूपी टू बांग्लादेश है कछुआ तस्करी का कोरिडोर
नोएडा, मैनपुरी व इटावा से होता हुआ प. बंगाल तक आता है कछुआ धनबाद व गिरिडीह में भी जब्त किया जा चुका है कछुआ गंगेटिक प्रजाति के कछुओं का मांस खाने में होता है उपयोग विदेशाें में इसके मांस खाने का है खासा क्रेज दुमका : मका में एक ट्रक में जूट के 75 बोरे […]
धनबाद व गिरिडीह में भी जब्त किया जा चुका है कछुआ
गंगेटिक प्रजाति के कछुओं का मांस खाने में होता है उपयोग
विदेशाें में इसके मांस खाने का है खासा क्रेज
दुमका : मका में एक ट्रक में जूट के 75 बोरे में भरे जिन हजारों कछुओं को बरामद किया गया था, उन कछुओं की प्रजाति ‘गंगेटिक’ है. ऐसी प्रजातियों के कछुओं की तस्करी के अब तक अधिकांश मामले जो सामने आये हैं, वन विभाग अब उसका अध्ययन कर रहा है. इसमें वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो की भी मदद ली जा रही है. ऐसे कछुओं की तस्करी के सबसे अधिक मामले नोएडा, मैनपुरी, इटावा से लेकर पश्चिम बंगाल तक के आये हैं.
ऐसे में कयास यही लगाया जा रहा है कि इस धंधे का कोरिडोर यह रूट ही था. जहां से संभवत: बंगला देश तक कछुओं को पहुंचाना आसान था. आशंका यह भी जतायी जा रही है कि यदि इसे बांग्लादेश ले जाने की तैयारी नहीं थी, तो इसे नार्थ-इस्ट स्टेट में खपा दिया जाता.
विभाग के अधिकारी भी मानते हैं कि जिस तरीके से ट्रक के नंबर प्लेट को बदल दिया गया था और उस ट्रक में लगे नंबर को एक ऑटो के लिए रजिस्टर्ड बताया जा रहा है, वह भी कई सवाल खड़ा करता है. दीघा में ट्रक पर किये गये चालान की एक रसीद भी अनुसंधान में मिलने की बात सामने आयी है. विभाग को यह भी शक है कि इतने बड़े तस्करी के धंधे के लिए जिस तरह नंबर बदले गये, कहीं ट्रक के चेसिस नंबर भी बदल तो नहीं दिये गये हैं. बहरहाल प्रशासन ट्रक के सही नंबर पता कर उसके मालिक तक पहुंचने की कोशिश में लगा हुआ है.
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