आनंद जायसवाल
दुमका : लोकसभा चुनाव के दौरान दुमका जिले के शिकारीपाड़ा थानाक्षेत्र के पलासी-सरसाजोल के बीच हुए नक्सली वारदात में घायल हुए कर्मियों को अब तक मुआवजे की राशि नहीं मिल सकी है. संयुक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सह संयुक्त सचिव अभय कुमार राव ने 15 मई 2015 के पत्र में यह निर्देश दिया था कि तमाम औपचारिकतायें पूरी कर मो नईमुद्दीन अंसारी एवं हीरालाल मिस्त्री को मुआवजे की की राशि 6-6 लाख रुपये अधिकत्तम एक सप्ताह के अंदर समुचित पहचान लेकर उपलब्ध करा दी जाय. इस पत्र में उन्होंने आवंटन उपलब्ध कराने की भी बात कही थी.
बता दें कि 24 अप्रैल 2014 को हुई उक्त नक्सली वारदात में आठ लोग शहीद हुए थे, जबकि दुमका लखीकुंडी निवासी नईमुद्दीन अंसारी, जरमुंडी निवासी हीरालाल मिस्त्री तथा शिकारीपाड़ा के गणोशपुर निवासी राम प्रताप रजक गंभीर रुप से घायल हो गये थे.
तीनों इस नक्सली घटना में विकलांग हो गये. इन तीन में से तो दो कर्मियों को विकलांगता मुआवजा प्रदान करने की स्वीकृति मंत्रिमंडल (निर्वाचन) विभाग ने दे दी है, जबकि एक कर्मचारी का नाम छूटा हुआ है. हालांकि तीसरे कर्मचारी को भी मुआवजा दिलाने के लिए दुमका के जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने विभाग से अनुशंसा की है. श्री सिन्हा ने भेजे गये पत्र में कहा है कि नक्सली घटना में घायल कर्मी राम प्रताप रजक का स्थायी विकलांगता प्रमाण पत्र विलंब से प्राप्त हुआ था, जिसे मंत्रिमंडल (निर्वाचन) विभाग को 21 अप्रैल 2015 को भेजा गया है.
15 मई को प्रदान की गयी थी दो की स्वीकृति : 21 अप्रैल 2015 को राम प्रताप रजक के दस्तावेज भेज दिये जाने के बाद जब 15 मई को मंत्रिमंडल (निर्वाचन) विभाग ने जब मुआवजा के लिए पत्र जारी किया, तो उसमें केवल मो नईमुद्दीन अंसारी एवं हीरालाल मिस्त्री का नाम था. जबकि राम प्रताप रजक का नाम नहीं था.