दुमका : लातेहार, लोहरदगा व हजारीबाग जिले को छोड़ दें तो पूरे झारखंड में इस वर्ष खरीफ की फसल में माॅनसून का साथ नहीं मिला है. पूरे झारखंड में 1 जून से लेकर 28 अगस्त तक सामान्य वर्षापात से 25 फीसदी कम हुई है. संताल परगना के सभी छह जिलों दुमका, देवघर, गोड्डा, साहिबगंज, पाकुड़ व जामताड़ा जिले में तो राज्य के औसत से भी खराब स्थिति है. पूरे राज्य में जहां 824.7 मिलीमीटर सामान्य वर्षापात इस अवधि में हो जाया करती थी,
वहीं इस साल 617.4 मिलीमीटर ही बारिश हो सकी है. औसत से एक चौथाई बारिश कम होने से फसल के आच्छादन पर तो असर पड़ा ही है, उत्पादन पर भी उसके भयावह परिणाम देखने को मिलेंगे, ऐसी चिंता किसानों को सता रही है. लातेहार राज्यभर में एकमात्र ऐसा जिला है, जहां सामान्य वर्षापात के करीब (थोड़ा कम ही) बारिश हो चुकी है. पर संताल परगना के पाकुड़ और दुमका जैसे जिले भी हैं, जहां बारिश सामान्य की तुलना में क्रमश: 49 प्रतिशत और 37 प्रतिशत तक इस बार कम हुई है. देवघर में भी बारिश सामान्य की तुलना में 31 प्रतिशत तक कम है. संताल परगना में केवल अगस्त महीने में सामान्य से 49 प्रतिशत कम बारिश हुई है. जिन्होंने किसी तरह छिटपुट बारिश के बीच किसी तरह धानरोपनी कर भी ली, खेत में दरारें हो गयी हैं और उन्हीं खेत की दरारों की तरह शिकन भी किसानों के चेहरे पर दिखने लगे हैं.
जिला वास्तविक(मिमी) सामान्य(मिमी) स्थिति
देवघर 195.8 715.9 -31.0%
दुमका 510.4 814.6 -37.0%
गोड्डा 526.8 702.0 -25.0%
जामताड़ा 621.2 870.0 -29.0%
पाकुड़ 472.3 919.8 -49.0%
साहेबगंज 680.0 937.7 -27.0%
अगले पांच दिनों में भी अच्छे संकेत नहीं
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग नयी दिल्ली से मिली ताजा मौसम पूर्वानुमान रिपोर्ट के मुताबिक संताल परगना में अगले पांच दिनों में भी किसानों को बहुत राहत मिलने जैसी कोई उम्मीद नहीं है. अगले पांच दिनों में यानी की 29 अगस्त से 2 सितंबर तक 32-33 मिलीमीटर ही बारिश की संभावना इन छह में से पांच जिलों में है. केवल जामताड़ा जिले में 59 मिमी बारिश की संभावना जतायी गयी है.
जिला 29 अगस्त 30 अगस्त 31 अगस्त 1 सितंबर 2 सितंबर
देवघर 03 03 05 12 10
साहिबगंज 03 08 06 12 03
गोड्डा 03 08 06 12 03
पाकुड़ 03 08 06 12 03
कहां कितनी हुई रोपनी (% में)
जिला धान मक्का दलहन तेलहन मोटे अनाज
दुमका 83.6 105.6 82.8 115.9 98.4
जामताड़ा 61.9 47.1 2.95 63.6 2.07
देवघर 61.2 63.0 24.5 26.4 13.1
साहिबगंज 79.0 67.9 36.3 50.2 2.59
गोड्डा 69.0 71.8 41.4 48.3 0.00
पाकुड़ 78.6 96.5 63.9 54.7 16.8
कहते हैं विशेषज्ञ
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ श्रीकांत सिंह के मुताबिक इस वर्ष खरीफ की फसल में धान का उत्पादन 40 से 45 प्रतिशत तक घट सकता है. उनके मुताबिक अब बारिश अच्छी होगी भी, तो उसका लाभ पैदावार में बहुत अधिक मिलने को नहीं है. डॉ सिंह के मुताबिक तीन प्रकार की जमीन पर धान की खेती होती है, निचले, मध्य व उपरी जमीन. निचले में 70 प्रतिशत के करीब किसान रोपनी कर चुके हैं, मध्य में भी 50 प्रतिशत से अधिक रोपाई हुई है. लेकिन ऊपरी जमीन पर तो स्थिति बेहद ही खराब है. उन्होंने बताया कि कई किसान 35-40 दिन का बिचड़ा लगा रहे हैं. इस तरह के बिचड़े से अच्छी उपज की संभावना नहीं रहेगी. इसके मुख्य कल्ले तुरत फलने लगे हैं, यह परेशानी उन्हें अलग झेलनी पड़ रही है. उन्होंने बताया कि कई किसानों ने सूझबूझ दिखायी है और दलहन की ओर कदम बढ़ाया है.