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दुमका : भूमि अधिग्रहण की लगायी गयी आग में जल कर खाक होगी भाजपा : हेमंत सोरेन
दुमका में भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल के खिलाफ विपक्षी दलों का धरना दुमका : नेता प्रतिपक्ष सह झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने कहा है कि भाजपा चुनाव के वक्त उद्योगपतियों से लिये गये कर्ज को उतारने के लिए झारखंड में गरीब किसानों, आदिवासियों और मूलवासियों की जमीन पर कब्जे की तैयारी कर रही […]
दुमका में भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल के खिलाफ विपक्षी दलों का धरना
दुमका : नेता प्रतिपक्ष सह झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने कहा है कि भाजपा चुनाव के वक्त उद्योगपतियों से लिये गये कर्ज को उतारने के लिए झारखंड में गरीब किसानों, आदिवासियों और मूलवासियों की जमीन पर कब्जे की तैयारी कर रही है. इसके लिए कानून बनाती जा रही है.
भाजपा सरकार भूमि अधिग्रहण की लगायी गयी आग में जल कर खाक हो जायेगी. श्री सोरेन सोमवार को दुमका में भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक के खिलाफ आयोजित विपक्षी दलों के धरना कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि झारखंड में भूमि को लेकर पहले से बने कानून काफी सख्त हैं. यही कारण है कि सत्ता में बैठे लोग यहां की भूमि को तमाम हथकंडों के बावजूद हड़प नहीं पा रहे हैं. अब 2013 में बने भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन कर हमें बर्बाद करने का रास्ता बनाया गया है.
भूमिहीन होने की वजह से ही लोग गरीब हैं : श्री सोरेन ने कहा कि बार-बार कहा जाता है कि किसी आदिवासी की जमीन नहीं छीनी जायेगी, पर उनके द्वारा बनाये जा रहे कानून अलग बात कहता है. उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज के कुछ लोग ही दलाल बन कर बैठे हैं. भूमिहीन होने की वजह से ही लोग गरीब हैं.
जमीन अधिग्रहण होगा और मुआवजा मिल भी जायेगा, तो तरक्की नहीं हो सकती. क्योंकि वे दोबारा जमीन भी नहीं खरीद सकते. सरकार भूमि अधिग्रहण के लिए कानून बना रही है, लेकिन जमीन खरीदने के लिए कानून क्यों नहीं बनाती. आज तक जितने लोग विस्थापित हुए, उनमें से कितनों के बच्चे इंजीनियर, आइएएस व आइपीएस बने.
संवैधानिक प्रक्रिया का नहीं हो रहा पालन
हेमंत सोरेन ने कहा कि राजभवन सचिवालय और राष्ट्रपति भवन सचिवालय के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी संवैधानिक प्रक्रिया की जानकारी नही है. राष्ट्रपति, राज्यपाल और केंद्र सरकार न जाने इस संशोधन को कैसे मानती है, यह समझ से परे है. कोई विधेयक जहां से पारित हुआ होता है, संशोधन वहीं से होता है.
इनलोगों ने कई संशोधन किया, पर उसे विधानसभा में फिर से नहीं भेजा. खुद से केंद्र सरकार को भेज दिया. केंद्र सरकार से राष्ट्रपति और राज्यपाल को अनुमोदन करने के लिए भेज दिया गया. वहां से अनुमोदन भी कर दिया गया. कोई संवैधानिक प्रक्रिया का पालन नहीं हो रहा है. हेमंत ने कहा कि राष्ट्रपति और राज्यपाल आज रबड़ स्टांप के रूप में काम कर रहे हैं. आज कोई कुछ नहीं बोलता.
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