रोज खतरों से खेलते हैं भुईयां पट्टी के लोग, सुरंग से टपकते बूंद-बूंद पानी से ऐसे बुझती है प्यास
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Prabhat Khabar Exclusive: धनबाद जिले में एक ऐसी जगह है, जहां लोग प्यास बुझाने के लिए हर दिन खतरों से खेलते हैं. ये लोग सुरंग से टपकने वाले बूंद-बूंद पानी से अपना बर्तन भरकर घर लाते हैं. आइए, जानते हैं कि कैसी हो गयी है लोगों की दिनचर्या.
Prabhat Khabar Exclusive| धनबाद, अजय उपाध्याय : धनबाद नगर निगम क्षेत्र के वार्ड 30 के बेड़ा भुइंया पट्टी के लोग आज भी अपनी प्यास बुझाने के लिए रोज खतरों से खेलते हैं. निगम क्षेत्र होने के बाद भी आज तक यहां निगम की ओर से कोई व्यवस्था नहीं की गयी है. इस वजह से पानी की तलाश में भटकना उनकी मजबूरी है. अपनी इसी दुश्वारी से निजात के लिए वे रोज खतरे से खेलकर बीसीसीएल बस्ताकोला एरिया नंबर 9 के जीरो सिम की बंद खदान के सुरंग में घुसते हैं. वहां से पीने का पानी लाते हैं. यह खदान पानी भर जाने के कारण बंद है.
खदान के बाहर लगा दिया गया है अनधिकार प्रवेश निषेध का बोर्ड. फोटो : प्रभात खबर
धनबाद नगर निगम के वार्ड 30 का बुरा हाल, 3 दशक में भी नहीं सुधरी व्यवस्था
खदान में भरा है पानी, मुहाने पर खतरे का साइन बोर्ड, अंदर जाने पर है बैन
कुआं का पानी है गंदा, सिर्फ कपड़ा और बर्तन धोने के आता है काम
सुबह 4 बजे गैलन लेकर घर से निकल जाते हैं लोग
भुईयां पट्टी के लोगों की दिनचर्या में शामिल हो गया है कि वे प्रतिदिन सुबह 4 बजे अपने घरों से गैलन लेकर लाइन में लगकर बंद खदान के मुहाने में घुसते हैं और वहां से टपकते पानी को जमा करके घर ले जाते हैं. यहां एक कुआं भी है, लेकिन उसका पानी काफी गंदा है. इसलिए उसका पानी केवल बर्तन और कपड़े धोने के काम आता है. पीने का पानी सुरंग से ही जाता है.
लोगों ने सुरंग के मुहाने पर मां काली की तस्वीर लगा दी है. वहां घुसने से पहले वे वहां रुककर मां काली को प्रणाम करते हैं. अपने सुरक्षित वापसी की कामना करते हैं और तब जाकर सुरंग में दाखिल होते हैं. इस संबंध में वे कहते हैं कि पानी बिना जिंदगी नहीं चल सकती. इसलिए माता से आशीर्वाद लेकर रोज खतरे से खेलते हैं.
इस तरह रिसते पानी से गैलन भरते हैं लोग. फोटो : प्रभात खबर
सुरंग की दीवार से होता है पानी का रिसाव
सुरंग की दीवार से पानी का रिसाव होता है. उसी धारा के साथ एक पत्ता पत्थर से दबाकर लगा दिया जाता है. पानी पत्ते के सहारे बर्तन में जमा होता जाता है. यह प्रतिदिन की कहानी है. स्थानीय लोगों के अनुसार, हर दिन लगभग 100 लोग इस सुरंग में सुबह और दोपहर में पानी भरने जाते हैं.
हमलोग लगभग 3 दशक से यहां सुरंग के अंदर की दीवाल से टपकते पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं. अंदर जाने में बहुत डर लगता है, लेकिन पानी के लिए जाना मजबूरी है.
रोज खतरों से खेलते हैं भुईयां पट्टी के लोग, सुरंग से टपकते बूंद-बूंद पानी से ऐसे बुझती है प्यास 7सुलोचनी देवी, भुईयां पट्टी
पैसे वाले लोग बोरिंग करा लेते हैं. पानी खरीद कर भी पी लेते हैं, लेकिन हम गरीब कहां से लायेंगे पैसा. डर लगता है कि कहीं पानी में पैर फिसल गया, तो सुरंग के अंदर चले जायेंगे, लेकिन क्या करें, मजबूरी है.
रोज खतरों से खेलते हैं भुईयां पट्टी के लोग, सुरंग से टपकते बूंद-बूंद पानी से ऐसे बुझती है प्यास 8कैलास तुरी, भुईयां पट्टी
हम लोग गरीब हैं. हमारी कोई सुनता नहीं है. चुनाव में नेता वादा करते हैं, लेकिन चुनाव के बाद भूल जाते हैं. भुईयां पट्टी में कुआं है, जिससे कपड़ा और बर्तन धोते हैं, लेकिन पीने का पानी यहीं से ले जाते हैं.
मालो देवी, भुईयां पट्टी
क्यों बंद है सुरंग, क्यों नहीं होता कोयले का उत्पादन
बीसीसीएल के बस्ताकोला एरिया 9 का यह एक नंबर खदान वर्ष 1980 में बंद कर दिया गया था. वर्ष 1985 में कुछ दिन के लिए इसे खोला गया. इसके बाद इसे कभी खोला जाता, तो कभी बंद कर दिया जाता. यही स्थिति वर्ष 2015 तक रही. इसके बाद इसमें पानी भर जाने की वजह से इसे पूरी तरह से बंद कर दिया गया.
जान जोखिम में डालकर इसी सुरंग में जाते हैं लोग हर दिन पानी लाने. फोटो : प्रभात खबर
इस खदान से कुछ दूरी पर पानी के तेज बहाव और तालाब की वजह से इस भूमिगत खदान में पानी भर गया. सुरक्षा को देखते हुए बीसीसीएल ने सुरंग के मुख्य द्वार पर एक बोर्ड लगा दिया है, जिस पर अनाधिकार प्रवेश को वर्जित बताया गया है. खदान का पानी निकालने के लिए सुरंग के अंदर मोटर लगाकर पानी निकाला जाता है. इस पानी की सप्लाई टैंकर के माध्यम से दूसरी कोलियरियों में की जाती है. बीसीसीएल का एक कर्मी हर दन सुरक्षा नियमों का पालन करते हुए मोटर चालू करने और बंद करने जाता है.