धनबाद ऑब्स एंड गायनी सोसाइटी, डॉ ज्योति भूषण इंस्टीट्यूट एंड मेडिकल साइंस एंड हॉस्पिटल की ओर से वूमेंस हॉस्पिटल एंड फर्टिलिटी रिसर्च सेंटर, पटना के सहयोग से बुधवार को कार्मिक नगर स्थित जिम्स अस्पताल में लाइव गायनी एंडोस्कॉपी वर्कशॉप हुआ. इसमें वूमेंस हॉस्पिटल एंड फर्टिलिटी रिसर्च सेंटर, पटना के डायरेक्टर डॉ संजीव कुमार बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए. उन्होंने एंडोस्कॉपी के माध्यम से गायनी के मरीजों की लाइव सर्जरी की. धनबाद की स्त्री एवं प्रसूती रोग चिकित्सकों ने लाइव सर्जरी वर्कशॉप के माध्यम से महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की.
एक चिकित्सा प्रक्रिया है गायनी एंडोस्कॉपी :
डॉ संजीव कुमार ने बताया कि गायनी एंडोस्कोपी एक चिकित्सा प्रक्रिया है, जिसमें महिला प्रजनन अंगों की जांच के बाद सर्जरी की जाती है. इस प्रक्रिया में एक पतला और लचीला ट्यूब जैसे उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है. जिसे एंडोस्कोप कहा जाता है. गायनी एंडोस्कोपी का मुख्य उद्देश्य महिला प्रजनन अंग गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब और अंडाशय की जांच के बाद रुकावट को सर्जरी के माध्यम से दूर करना है. बताया कि गायनी एंडोस्कॉपी के तीन टर्म है. इनमें हिस्टेरोस्कोपी, लैप्रोस्कोपी व कोल्पोस्कोपी शामिल है. हिस्टेरोस्कोपी के माध्यम से गर्भाश्य, लैप्रोस्कोपी से फैलोपियन ट्यूब और अंडाशय एवं कोल्पोस्कोपी में योनि और गर्भाशय की जांच व सर्जरी की जाती है. बताया कि गायनी एंडोस्कोपी का इस्तेमाल बीमारी के सटीक निदान के लिए किया जाता है. इसमें कम दर्द होता है. गायनी एंडोस्कोपी सर्जरी के बाद मरीज को कम समय के लिए अस्पताल में रहना पड़ता है. महिला प्रजनन अंग गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब और अंडाशय संबंधित समस्याओं में गायनी एंडोस्कॉपी बेहतर विकल्प है. मौके पर आइएमए के प्रदेश अध्यक्ष डॉ अरुण कुमार सिंह, धनबाद ऑब्स एंड गायनी सोसाइटी की अध्यक्ष डॉ गायत्री सिंह समेत अन्य मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है