जनकदेव जनक, झरिया : झरिया की बर्तन पट्टी में पूरे धनबाद जिले (धनबाद व बोकारो) के लोग बर्तन खरीदने आते थे. लगन के दिनों में काफी भीड़ लगती थी. बर्तनों को बाहर से घोड़ा पर लाद कर लाया जाता था. लोहा, कांसा, पीतल, तांबा आदि धातुओं के बने बर्तनों के बाजार गुलजार रहता था.
Advertisement
बर्तन पट्टी में कांसा-पीतल की खनक पड़ी फीकी
जनकदेव जनक, झरिया : झरिया की बर्तन पट्टी में पूरे धनबाद जिले (धनबाद व बोकारो) के लोग बर्तन खरीदने आते थे. लगन के दिनों में काफी भीड़ लगती थी. बर्तनों को बाहर से घोड़ा पर लाद कर लाया जाता था. लोहा, कांसा, पीतल, तांबा आदि धातुओं के बने बर्तनों के बाजार गुलजार रहता था. लेकिन, […]
लेकिन, अभी हालात यह है कि कांसा पीतल व तांबा की खनक यहां फीकी पड़ती जा रही है. ज्यादातर ग्राहक स्टील, अल्युमिनियम व फाइबर के बर्तन खरीदना पसंद कर रहे हैं.
अभी लोग लोहे की कड़ाही व तांबा के बर्तन का इस्तेमाल बहुत कम रहे हैं, यद्यपि इसके इस्तेमाल से शरीर को लाभ पहुंचता है. अब तो कांसा-पीतल के बर्तन की खरीदारी केवल शादी विवाह में ही दिखती है. हालांकि अभी भी चिकित्सक लोहा व तांबा के बर्तनों के इस्तेमाल की सलाह देते हैं.
क्या कहते हैं बर्तन पट्टी के व्यवसायी
पहले बर्तन पट्टी के व्यवसायियों को धनतेरस, छठ पूजा, लगन की तिथि जुबानी याद रहती थी. उस दिन कांसा, पीतल, तांबा आदि के सामान ज्यादा बिकते थे. लेकिन आजकल छठ पूजा पर निर्भर रहना पड़ता है.
राधाकांत बनर्जी
तांबा के लोटा, गलास, जग आदि में पानी पीने से शरीर स्वस्थ रहता है. तांबा के बर्तन में पानी रखने से रासायनिक प्रतिक्रिया होती है. वह पानी जीवाणु नाशक बन जाता है.
कुंदन कुमार सोनी
घर में उपयोग के लिए आज कल सभी वर्गों के लोग स्टील, अल्युमिनयम व फाइबर के बर्तन का उपयोग करते हैं. खाना के बाद स्टील व अल्युमिनियम को साफ करने में कम पानी खर्च होता है.
अवध नरेश
पहले बर्तन फेरी करने वाले लोग कांसा, पीतल, तांबा, लोहा आदि धातुओं के बर्तन उधार ले जाते थे. गांवों में फेरी करते और शाम तक बकाया दे जाते थे. फेरी लगभग बंद है.
बिचू पाल
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement