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स्पेशिफिक कंजंप्शन कम, बावजूद बीसीसीएल का कोयला खराब कैसे!

धनबाद : कोयला की क्वालिटी में सुधार को लेकर कोयला मंत्रालय और कोल इंडिया के साथ-साथ बीसीसीएल उच्च प्रबंधन गंभीर है. क्वालिटी में सुधार को लेकर सीएमडी अजय कुमार सिंह के निर्देश पर कई स्तर पर कार्रवाई की जा रही है. कोयले की क्वालिटी में सुधार का ही परिणाम है कि आज कई पावर कंपनियां […]

धनबाद : कोयला की क्वालिटी में सुधार को लेकर कोयला मंत्रालय और कोल इंडिया के साथ-साथ बीसीसीएल उच्च प्रबंधन गंभीर है. क्वालिटी में सुधार को लेकर सीएमडी अजय कुमार सिंह के निर्देश पर कई स्तर पर कार्रवाई की जा रही है. कोयले की क्वालिटी में सुधार का ही परिणाम है कि आज कई पावर कंपनियां कम कोयले की खपत कर अधिक बिजली उत्पादन कर रही है.

जानकारों की माने तो पहले के तुलना में वर्तमान में कोयले का स्पेशिफिक कंजंप्शन (विशिष्ट उपभोग) में करीब 30 फीसदी तक की कमी आयी है. इस कारण पावर कंपनियां कम कोयले की खपत कर ज्यादा बिजली उत्पादन कर पा रही है, इसके बावजूद थर्ड पार्टी सैप्लिंग में बीसीसीएल के कोयला को डी-ग्रेड (खराब) घोषित कर दिया जा रहा है. ग्रेड में स्लिपेज (गिरावट) के कारण विभिन्न पावर कंपनियों द्वारा बीसीसीएल के करोड़ों रुपये की कटौती प्रतिमाह कर ली जा रही है.

क्वालिटी खराब तो, वजन में बढ़ोतरी क्यों नहीं?
वर्तमान में बीसीसीएल एक रैक में करीब 35 हजार टन कोयला डिस्पैच कर रहा है, जबकि सीसीएल एक रैक में 40 हजार टन व एमसीएल करीब 45 हजार टन कोयला डिस्पैच कर रहा है. वजन में हलका होने के बावजूद बीसीसीएल के कोयला को थर्ड पार्टी सैंपलिंग में डी-ग्रेड कर दिया जा रहा है. जानकार सवाल उठा रहे हैं कि अगर बीसीसीएल के कोयले की क्वालिटी में खराबी है, तो अन्य कंपनियों की तरह कोयले का वजन क्यों नहीं बढ़ा रहा है. अगर कंपनी कोयले की जगह पत्थर पीस कर डिस्पैच कर रही है, तो उसके वजन में भी बढ़ोतरी होनी चाहिए थी. अगर ऐसा नहीं है तो थर्ड पार्टी सैम्पलिंग में बीसीसीएल के कोयले के ग्रेड में 98 फीसदी तक स्लिपेज (गिरावट) क्यों आ रहा है. कहीं न कहीं थर्ड पार्टी सैंपलिंग व जांच एजेंसी भी जांच के दायरे में है.
थर्ड पार्टी सैंपलिंग से कंपनी को अरबों का नुकसान
थर्ड पाटी सैम्पलिंग के कारण बीसीसीएल को हर साल अरबों का घाटा हो रहा है. एक ओर जहां बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियां कम कोयले की खपत कर ज्यादा बिजली का उत्पादन कर रही हैं, वहीं थर्ड पार्टी सैंपलिंग में बीसीसीएल के कोयला को डी-ग्रेड (खराब) करने से कंपनी को लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा है. आधिकारिक सूत्रों की मानें तो ग्रेड में स्लिपेज (गिरावट) के कारण विभिन्न पावर कंपनियों द्वारा प्रतिमाह करोड़ों रुपये की कटौती कर ली जा रही है. क्वालिटी के कारण जहां बीसीसीएल को वित्तीय वर्ष 2017-18 में करीब 13 सौ करोड़ का नुकसान हुआ है, वहीं चालू वित्तीय वर्ष की प्रथम तिमाही में करीब 350 करोड़ रुपये के नुकसान होने की बात कही जा रही है. कंपनी के लिए गंभीर मसला बन गया है.
खराब कोयला से कहां कितना नुकसान
एरिया नुकसान
बरोरा 32.54 करोड़
ब्लॉक-टू 27.36 करोड़
गोविंदपुर 30.34 करोड़
सिजुआ 2.48 करोड़
कतरास 18.5 करोड़
कुसुंडा 34.47 करोड़
बस्ताकोला 73.54 करोड़
लोदना 67.71 करोड़
सीवी एरिया 46 करोड़
बीसीसीएल 333.05 करोड़
एरिया का ग्रेड स्लिपेज प्रतिशत
एरिया ग्रेड-स्लिपेज
बरोरा 53.11 % ब्लॉक-टू 62.43%
गोविंदपुर 78.29%
सिजुआ 9.75 %
कतरास 63.79 %
कुसुंडा 93.03 %
बस्ताकोला 95.68 %
लोदना 98.18 %
सीवी एरिया 91.50 %
बीसीसीएल 74.95 %
…और इधर, स्पेशिफिक कंजंप्शन से एनटीपीसी को हुआ करोड़ों का लाभ
बीसीसीएल में कोयले की क्वालिटी में सुधार के कारण बिजली उत्पादन में कोयले के स्पेशिफिक कंजंप्शन में 30 फीसदी तक कमी आयी है. पहले जहां एक किलोवाट (यूनिट) बिजली उत्पादन करने में पावर कंपनियों को करीब 720 किलो ग्राम कोयले की खपत होती थी, वहीं वर्तमान में पावर कंपनियां 580 किलो ग्राम में ही एक किलोवाट बिजली उत्पादन कर पा रही है. जानकारों की मानें तो कोयले के स्पेशिफिक कंजंप्शन में कमी आने के कारण ही पावर कंपनी एनटीपीसी को करोड़ों का लाभ हुआ है.

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