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Jharkhand News: चतरा सांसद सुनील कुमार सिंह ने लोकसभा में झारखंड सरकार की कार्यशैली पर उठाये सवाल

चतरा सांसद सुनील कुमार सिंह ने लोकसभा में झारखंड सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाया. कहा कि पशुपालकों के लिए केंद्र ने पैसे दिये, लेकिन झारखंड सरकार ने खर्च नहीं किये. वहीं, केंद्रीय मंत्री डॉ संजीव कुमार बालियान ने चतरा सांसद के जवाब में कहा कि झारखंड में केंद्र की राशि का पूरा उपयोग नहीं हुआ.

Jharkhand News: लोकसभा में चतरा के सांसद सुनील कुमार सिंह ने झारखंड सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाया. कहा कि भारत सरकार ने पशुपालकों के लिए कई योजनाओं के पैसे राज्य सरकार को उपलब्ध कराए,  लेकिन झारखंड में उक्त राशि का उपयोग नहीं हुआ है. पशुपालक केंद्र की योजना के लाभ से वंचित हैं. कहा कि गोड्डा जिले के ठाकुरगंगटी में तो डेयरी प्रोजेक्ट के तीन साल पहले तीन करोड़ दिये गये, लेकिन काम नहीं हुआ. इसी तरह चतरा के इटखोरी और हंटरगंज में डेयरी उद्योग लगना था, नहीं लगा. आज तक वहां जो डेयरी काम भी कर रही है, वह भी किसानों को ठीक से पैसे नहीं देती, जैसे कि मेधा डेयरी. सांसद ने कहा कि देश में दूध का उत्पादन बढ़ा है, लेकिन झारखंड में दूध की कमी है. डेयरी विकास की विभिन्न योजनाएं केंद्र सरकार चला रही है लेकिन झारखंड में डेयरी विकास का कोई कदम नहीं उठाया गया है. 

अन्य योजनाओं के पैसे भी पड़े हैं

चतरा सांसद ने कहा कि राष्ट्रीय पशुधन मिशन में वर्ष 2019-20 में चार करोड़ रुपये से अधिक दिये गये, लेकिन खर्च नहीं किये गये. पशु स्वास्थ्य रोग नियंत्रण में लगभग 38 करोड़ रुपये दिये गये, लेकिन व्यय शून्य है. NADCP में 11.5 करोड़ रुपये दिये गये, जिसमें मात्र 5 करोड़ ही खर्च हुए हैं. उन्होंने केंद्रीय पशुपालन राज्य मंत्री से पूछा कि झारखंड सरकार यदि किसानों, पशुपालकों का कल्याण नहीं करना चाहे, तो क्या भारत सरकार के पास उन तक सीधे लाभ पहुंचाने की कोई योजना है. वहीं, उन्होंने यह भी पूछा कि केंद्र सरकार डेयरी इकाई स्थापित करने के लिए क्या किसी निजी संस्था या व्यक्तियों को किसी प्रकार का सहयोग देने की योजना बनाने पर विचार कर रही है.

झारखंड में किसी स्कीम में केंद्र की राशि का पूरा उपयोग नहीं हुआ : डॉ संजीव बालियान

केंद्रीय पशुपालन सह डेयरी उद्योग मंत्री डॉ संजीव कुमार बालियान ने चतरा सांसद के जवाब में कहा कि झारखंड में ऐसी कोई स्कीम नहीं है, जिसके फंड का पूरा यूटीलाइजेशन किया गया हो. इस कारण 2018-19, 2019-20, 2020-21 और 21-22 तक के पैसे अभी रुके हुए हैं. इसी वजह से झारखंड को इस साल भी फंड जारी नहीं कर पाये हैं.

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प्रदेश की सरकार काम नहीं कर रही, तो NDDB डायरेक्ट फंड मांगे

केंद्रीय मंत्री डॉ बालियान ने कहा कि झारखंड में को-ऑपरेटिव बीमार थी. एनडीडीबी को इसका मैनेजमेंट दिया गया है. तीन नये प्लांट साहिबगंज, पालमोड़ और देवघर में बने हैं. जो समस्या गोड्डा की थी, एमपी निशिकांत ने बहुत प्रयास किया. इनके कहने पर एनडीडीबी के सदस्यों को बुलाया था. जब प्रदेश की सरकार काम नहीं कर रही है, तो निर्देश दिया गया है कि उक्त जिले के लिए अलग से फंड एनडीडीबी डायरेक्ट मांगे. हर जिले में कुछ नये प्रोजेक्ट्स पर वर्ल्ड बैंक से बात हो रही है. यदि इस फेज में किसी सांसद सदस्य के क्षेत्र में कोई काम होगा तो करवाया जायेगा. 

ब्रीड मल्टीप्लिकेशन फार्म्स में 50 प्रतिशत सब्सिडी डायरेक्ट मिलेगा

वैसे तो किसी भी राज्य में डायरेक्ट काम करने में समस्या है क्योंकि पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर और ढांचा प्रदेश की सरकार का है. इसके बावजूद कई ऐसी योजनाएं हैं जिसमें लाभुक और किसानों को डायरेक्ट मदद कर सकते हैं. केंद्रीय मंत्री ने सवाल पर जानकारी दी कि डायरेक्ट काम करने में कई समस्याएं हैं, लेकिन बावजूद इसके केंद्र सरकार ने कुछ नयी योजनाओं की शुरुआत की है, जिसमें लाभुक और किसानों को डायरेक्ट मदद कर सकते हैं. जैसे ब्रीड मल्टीप्लिकेशन फार्म्स (गाय, भेड़, बकरी, सूकर या इसी तरह की ब्रीड्स) हो. इसके लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी केंद्र सरकार देती है. कोई डेयरी फार्म खोलना चाहते हैं तो चार करोड़ लागत पर दो करोड़ सब्सिडी केंद्र सरकार सीधे देगी. इसी तरह अन्य में भी 50 प्रतिशत की सब्सिडी सीधे लाभुकों को मिलेगी.

236 मोबाइल वेटनरी यूनिट्स के लिए झारखंड को मिले 37.76 करोड़, एक भी नहीं खुले

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि झारखंड सरकार को केंद्र सरकार ने 236 मोबाइल वेटनरी यूनिट्स के लिए 37.76 करोड़ रुपये दिये. एक यूनिट के लिए 16.5 लाख दिये गये, लेकिन छह माह हो गये एक भी यूनिट जमीन पर नहीं आ पायी है. इसे संचालित करने का खर्च भी करीब 18 लाख साल का होगा. उसमें 60 प्रतिशत केंद्र और 40 प्रतिशत राज्य सरकार को वहन करना है. इससे रोजगार का सृजन होगा, किसान के द्वार पर जाकर इलाज होगा. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बिना प्रदेश की सरकार के सहयोग के हमारी एक सीमा है, उससे आगे हम नहीं जा सकते.

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