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जर्जर कमरे में पढ़ने को विवश हैं बच्चे

जोरी :राज्य संपोषित उवि जोरी अपनी बदहाली पर पर आंसू बहा रहा है. विद्यालय की स्थापना 1966 में हुई थी. सरकार ने इसे दो अक्तूबर 1980 को अधिग्रहित किया था. यह विद्यालय जिला मुख्यालय से 17 किमी दूर गया-चतरा मुख्य मार्ग के एनएच 99 पर अवस्थित है. विद्यालय में चहारदीवारी नहीं रहने से विद्यालय की […]

जोरी :राज्य संपोषित उवि जोरी अपनी बदहाली पर पर आंसू बहा रहा है. विद्यालय की स्थापना 1966 में हुई थी. सरकार ने इसे दो अक्तूबर 1980 को अधिग्रहित किया था. यह विद्यालय जिला मुख्यालय से 17 किमी दूर गया-चतरा मुख्य मार्ग के एनएच 99 पर अवस्थित है. विद्यालय में चहारदीवारी नहीं रहने से विद्यालय की जमीन के अधिकांश हिस्सों पर प्राइवेट टैक्सी वालों ने कब्जा कर रखा है. विद्यालय में कक्षा नौ व 10 की पढ़ाई होती है.

विद्यालय में 822 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं, जिसमें छात्र 396 व छात्राएं 426 हैं. विद्यालय में छात्र-छात्राएं आसपास के गांवों से आते हैं. विद्यालय में छह कमरे हैं, जिसमें चार कमरों में पढ़ाई होती है. सभी कमरे जर्जर हो गये हैं. छत का प्लास्टर टूट-टूट कर गिरते रहता है. हमेशा बड़ी दुर्घटना की आशंका बनी रहती है.
जर्जर कमरे में बच्चे पढ़ने को मजबूर है. विद्यालय में एकमात्र शौचालय है, जो काफी पुराना है. इसका उपयोग शिक्षक करते है. छात्र-छात्राएं खुले में शौच करते है. पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं है. विद्यालय परिसर में दो चापाकल है, लेकिन चहारदीवारी के अभाव में चापाकल के पास वाहनों का जमावड़ा लगा रहता है.
वाहन चालक अपने वाहनों की धुलाई करते है. इस दौरान वाहनों में अश्लील गाना बजते रहते है, जिससे छात्राओं को परेशानी होती है. कमरे के अभाव में बरामदा में एक बेंच पर पांच-पांच छात्रों को बैठा कर पढ़ाया जाता है. सोमवार को वर्ग नौ की छात्रा बबीता कुमारी कक्षा में बेहोश हो गयी थी.

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