मनोहरपुर.
मनोहरपुर गतिशील उद्योगों, व्यापार और सरकारी व गैर‑सरकारी संस्थाओं की वजह से तेजी से विकसित हो रहा है, लेकिन आज भी यहां की जनता बुनियादी सुविधाओं से वंचित है. स्थानीय जनप्रतिनिधि और प्रशासन इन मुद्दों के प्रति गंभीर नहीं दिख रहे, जिससे लोगों को रोजमर्रा की जरूरतों के लिए दर‑दर भटकना पड़ता है. ग्रामीण इलाकों से आने वाले लोग बैंक, सरकारी दफ्तरों और दैनिक काम‑धंधे के सिलसिले में पेयजल और शौचालय जैसी आवश्यक सेवाओं से वंचित हैं.साप्ताहिक हाट में हजारों की भीड़ आती है, शौचालय नहीं
पूरे शहर में एक भी सार्वजनिक शौचालय नहीं है. परिणामस्वरूप, पुरुष व महिला सभी खुले में शौच के लिए विवश हैं. इससे खासकर महिलाओं और बुजुर्गों को शर्मिंदगी और स्वास्थ्य संबंधी गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ता है. मनोहरपुर में प्रतिदिन रविवार को लगने वाले साप्ताहिक हाट में हजारों की भीड़ आती है, लेकिन वहां भी कहीं भी शौचालय की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है.वहीं, प्रतिदिन लगने वाले सब्जी मार्केट में काफी तादाद में महिलाएं साग-सब्जी बेचने के लिए मनोहरपुर आती हैं. उन्हें भी शौचालय की परेशानी का सामना करना पड़ता है. साथ ही प्रखंड और अंचल मुख्यालय अपने जरूरी काम के लिए पहुंचने वाले लोगों के लिए किसी प्रकार के शौचालय की व्यवस्था नहीं है. समय-समय पर रेलवे लाइन के दोनों ओर के बाजार के लिए शौचालय की मांग उठती रही है, बावजूद अब तक नतीजा सिफर है.लोगों की मांगें –
ग्रामीणों के मुताबिक प्रखंड मुख्यालय, साप्ताहिक हाट,डेली मार्केट, बस स्टैंड के आसपास और अस्पताल में सार्वजनिक शौचालय की अत्यंत आवश्यकता है. इसके निर्माण की दिशा में जनप्रतिनिधि और प्रशासन को गंभीरता से कार्य करने की जरूरत है.ग्रामीण क्षेत्र के लोग अक्सर इन जगहों पर काम से आते
हैं
बस स्टैंड, प्रखण्ड कार्यालय, अंचल कार्यालय, बाल विकास परियोजना कार्यालय, खाद्य आपूर्ति गोदाम, प्रखण्ड संसाधन केंद्र (शिक्षा विभाग), अग्र परियोजना कार्यालय (तसर), पेयजल एवं स्वच्छता विभाग कार्यालय, वन विभाग कार्यालय, थाना, अनुमंडल पुलिस कार्यालय, पथ निर्माण विभाग कार्यालय, बैंक, पोस्ट ऑफिस, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, लैम्पस, साप्ताहिक हाट, डेली मार्केट
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