बोकारो : वर्तमान में बोकारो जिला का ट्रांसपोर्टिंग सेक्टर मंदी की चपेट में है. स्थिति यह है कि वाहन मालिकों के पास कोई काम नहीं बचा है. अाठ हजार व्यावसायिक वाहनों में से 5600 से अधिक वाहन का किस्त अपडेट ही नहीं है. स्थिति 2018 के बाद से ज्यादा खराब हो गयी है. शुक्रवार को प्रभात खबर ने व्यावसायिक वाहन के संगठन व वाहन मालिकों से इस दर्द को समझने की कोशिश की.
लोकल सेल बंद, प्लांट बंद, हार्डकोक फैक्ट्री बंद… तो ट्रांसपोर्टिंग कैसे हो : ट्रांसपोर्टिंग सेक्टर से जुड़े लोगों की माने तो इस क्षेत्र पर मंदी का सबसे ज्यादा असर है. दरअसल ट्रांसपोर्टिंग सेक्टर अर्थव्यवस्था की मजबूती पर दौड़ लगाती है. लेकिन, वर्तमान में कोयला सेक्टर का लोकल सेल की स्थिति खराब है, जमशेदपुर व बोकारो की कई कंपनियों पर ताला लटक गया है, धनबाद के दर्जनों हार्डकोट फैक्ट्री बंद हो गयी है.
जब सब जगह मंदी ही छायी रहेगी, तो भला ट्रांसपोर्टिंग चलेगी कहां से! कोयला बाजार के धीमा पड़ने से जिला के (बेरमो क्षेत्र) 800 से अधिक वाहन पर सीधा असर हुआ है.
अच्छा निर्णय का निकला गंभीर परिणाम : 2018 में व्यावसायिक वाहन की ग्रॉस वजन क्षमता में इजाफा कर दिया गया. इससे शुरुआती दौर में तो ट्रक मालिकों को फायदा तो जरूर हुआ, लेकिन अब उसका असर दिख रहा है.
चास-बोकारो ट्रक ऑनर वेलफेयर एसोसिएशन के जितेंद्र सिंह की माने तो मंदी के कई कारण में से एक कारण ग्रॉस वेट क्षमता बढ़ाना भी है. फैक्ट्री की उत्पादन क्षमता बढ़ी नहीं है, जबकि वाहन की वजन क्षमता बढ़ जाने से कम वाहनों की जरूरत ही पड़ रही है.
इससे कई वाहनों को खाली ही रहना पड़ रहा है. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया बोकारो के रिजनल मैनेजर शिशिर कुमार की माने तो वर्तमान दौर में ट्रांसपोर्टिंग की स्थिति बुरी जरूर है. इस सेगमेंट के कई लोन अकाउंट होल्डर्स का रीपेमेंट समय से नहीं हो पा रहा है.
वहीं टाटा मोटर्स के स्थानीय डीलर के डीएसई हर्ष कुमार ने बताया : 2019 में अब तक 350 के करीब व्यावसायिक वाहन की बिक्री हुई है, जो कि पिछले साल 800 के करीब था.