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न पुरवईया बहे, न लू चले, बस बदन जले… रमी का कहर, चैत में जेठ का अहसास

बोकारो : रविवार बोकारो के लिए ऊबाने वाला रहा. एक-एक पल बिताना कष्टदायक था. कारण बेदर्द गर्मी. कहर ऐसा कि घर से बाहर निकालना भी मुश्किल. धूप ऐसी की संपर्क में आते ही बदन जलने का आभास हो रहा था. सबसे बड़ी परेशानी यह कि हवा का झाेंका भी बदन को राहत देने के लिए […]

बोकारो : रविवार बोकारो के लिए ऊबाने वाला रहा. एक-एक पल बिताना कष्टदायक था. कारण बेदर्द गर्मी. कहर ऐसा कि घर से बाहर निकालना भी मुश्किल. धूप ऐसी की संपर्क में आते ही बदन जलने का आभास हो रहा था. सबसे बड़ी परेशानी यह कि हवा का झाेंका भी बदन को राहत देने के लिए नहीं बह रहा था.

एहसास ऐसा कि न पुरवईया बहे, न लू चले. बस बदन जले… रविवार को अधिकतम तापमान 41 डिग्री दर्ज किया गया. जबकि पिछले साल 14 अप्रैल को अधिकतम तापमान 36 डिग्री रिकॉर्ड किया गया था.
मध्यावधि अप्रैल में तापमान का इस तरह का इजाफा पहले कभी नहीं हुआ था. माना जा रहा है कि शनिवार शाम हुई बूंदाबांदी के कारण गर्मी चरम पर है. हालांकि सोमवार को भी अधिकतम तापमान परेशानी का सबब बन सकता है.
ये दिन है मुश्किल…: गर्मी ने शहर में अघोषित कर्फ्यू लगा रखी थी. 11 बजते-बजते सड़क पर इक्का-दुक्का लोग ही ही दिखायी दे रहे थे. साप्ताहिक छुट्टी होने के बाद भी बाजार सुनसान था, जो लोग विवशता में बाहर निकल रहे थे, वो पूरी तरह तैयारी कर ही जहमत ले रहे थे.
मसलन, गमछा, चश्मा, पानी लेकर ही निकल रहे थे. कई लोग हैंड कवर भी लगाकर सफर करते दिखे. 04 बजे के बाद ही लोग घर से बाहर निकलने की हिम्मत जुटा पाये.
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