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बोकारो : पबजी गेम की लत के शिकार हो रहे युवा और बच्चे, रात की नींद गायब
बोकारो : वर्चुअल (काल्पनिक) गेम से अब छोटे शहरों के बच्चे व युवा भी प्रभावित हो रहे हैं. इसकी लत से बच्चों व युवाओं में मनोरोग के लक्षण भी विकसित हो रहे हैं. इसका असर उनकी पढ़ाई पर भी पड़ रहा है. =अभिभावक और शिक्षक भी परेशान निजात पाने के लिए अभिभावक व स्कूल मनोचिकित्सकों […]
बोकारो : वर्चुअल (काल्पनिक) गेम से अब छोटे शहरों के बच्चे व युवा भी प्रभावित हो रहे हैं. इसकी लत से बच्चों व युवाओं में मनोरोग के लक्षण भी विकसित हो रहे हैं. इसका असर उनकी पढ़ाई पर भी पड़ रहा है.
=अभिभावक और शिक्षक भी परेशान
निजात पाने के लिए अभिभावक व स्कूल मनोचिकित्सकों और मनोवैज्ञानिकों से संपर्क कर रहे हैं. अभी बच्चों व युवाओं में सबसे अधिक क्रेज प्लेयर अननोन बैटल ग्राउंड (पबजी) गेम का है. इसकी लत से बच्चों की रात की नींद भी गायब हो रही है. इससे उनमें एंजाइटी की समस्या बढ़ रही है.
यह धीरे-धीरे उन्हें मनोरोग की ओर ले जा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अपने नये अध्याय में मोबाइल गेम की लत को भी मनोरोग की श्रेणी में रखा है. अब मनोचिकित्सक इससे प्रभावित लोगों का इलाज डब्ल्यूएचओ की इस गाइड लाइन से कर सकते हैं.
पबजी गेम के बारे में जानें
यह ऑनलाइन खेला जाना वाला एक वर्चुअल गेम है. इसमें एक साथ कई लोग खेल सकते हैं. 100-100 लोगों की एक टीम होती है. इन्हें एक वर्चुअल आइलैंड में उतारा जाता है. वहां इनके लिए एक टारगेट तय किया जाता है. सबको गोली-बारूद व अन्य प्रकार के अस्र-शस्त्र दिये जाते हैं.
कुछ को मारने का टारगेट तय किया जाता है. इसी टारगेट को पूरा करने के लिए बच्चे गेम में लगे रहते हैं. जीतने पर कंपनी की ओर से पुरस्कार भी दिया जाता है. यह गेम एक-एक स्टेप कर बढ़ाया जा रहा है. इसको दुनिया के सबसे तेज खेले जाने वाले गेम की श्रेणी में रखा गया है.
अखबारों में छपते रहे हैं इसके खेलने के ट्रिक
इस गेम को सफलता से खेलने के ट्रिक कई अखबारों में छपते रहे हैं. इसके लिए कई कॉलम भी चलाये गये. इसमें बताया जाता था कि कैसे इस गेम को स्टेप बाइ स्टेप आगे बढ़ाया जा सकता है.
कई देशों में है प्रतिबंधित
चीन समेत कई देशों ने अपने यहां इस तरह के कई ऑनलाइन गेम को बंद कर रखा है. बच्चों पर पड़ते नकारात्मक प्रभाव को देखते हुए प्रतिबंधित किया गया है. वहां यह ऐप काम करता ही नहीं है.
यह करीब डेढ़ जीबी के आसपास का एेप है. भारत में भी बेंगलुरु स्कूल एसोसिएशन की ओर से एक एडवाइजरी जारी की गयी है. इसमें अभिभावकों और स्कूली शिक्षकों पर बच्चों पर नजर रखने की सलाह दी गयी है.
ऐसे रख सकते हैं नजर
मोबाइल में अब एक एेप आने लगा है. इससे आप मोबाइल पर खर्च किये गये समय का आकलन कर सकते हैं. उसमें यह बताता है कि आपके मोबाइल पर कितना समय किस काम पर गये.
इसमें बताता है कि मनोरंजन पर कितना खर्च किया. व्हाट्सएप पर कितना समय दिया. फेसबुक पर कितना समय दिया. इसका उपयोग कर समझ सकते हैं कि बच्चों ने कितना समय किस काम के लिए मोबाइल पर दिया. मोबाइल डाटा को लिमिट किया जा सकता है.
क्या हैं दुष्प्रभाव
इस खेल में दूसरे देशों के युवा भी एक साथ जुड़कर खेलते हैं, इस कारण देर रात तक यह गेम खेला जाता है. इससे नींद प्रभावित होती है.
इसका असर स्कूली प्रदर्शन में भी दिखने लगता है
बच्चों के बीच पढ़ाई से अधिक यह डिस्कशन का टॉपिक होता है.
यह गेम मारपीट वाला होता है. इससे बच्चों में नकारात्मक ऊर्जा विकसित होती है. यह आगे नुकसान करता है.
मनोचिकित्सक ने कहा
रिनपास के मनोचिकित्सक डॉ सिद्धार्थ सिन्हा बताते हैं कि कुछ दिन एक प्रतिष्ठित व्यक्ति अपने बच्चे की समस्या को लेकर आये थे. उनका कहना था कि मोबाइल छीन लेने से वह उग्र हो जाता है. बच्चा कहता है कि वह पबजी खेल रहा है. क्लास नौ के इस बच्चे का रिजल्ट भी अचानक खराब होने लगा है.
स्कूल से भी शिकायत मिलने लगी है. एक प्रतिष्ठित स्कूल के कुछ शिक्षकों ने भी कहा कि वह चाहते हैं कि नौवीं और 10वीं के बच्चों को इसके दुष्प्रभाव की जानकारी दी जानी चाहिए. क्योंकि वर्ग सात और आठ तक अच्छा रिजल्ट करने वाले बच्चों का रिजल्ट खराब होने लगा है.
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