सुपौल : नगर निकाय चुनाव को लेकर एक महीने से जारी गतिरोध मंगलवार को मतगणना के साथ ही समाप्त हो गया. सुपौल नगर परिषद के अलावा निर्मली व वीरपुर नगर पंचायत मिलाकर कुल 53 वार्ड पार्षदों का चयन मतदाताओं ने कर लिया है. जिसमें सुपौल नगर परिषद से 28 वार्ड, निर्मली से 12 व वीरपुर नगर पंचायत से 13 वार्ड पार्षद शामिल हैं.
तीनों नगर निकायों में कही खुशी, तो कही गम का माहौल है. सुपौल नगर परिषद के 28 वार्ड में कुछ वार्डों को छोड़ कर ज्यादातर पार्षद पुराने ही चुन कर आये हैं. हालांकि आरक्षण की वजह से कई पार्षद वार्डों की अदला-बदली कर चुनावी मैदान में थे. बावजूद उन दिग्गजों ने अपनी सीट बचाने में कामयाबी हासिल की. नगर परिषद के मुख्य वार्डों में सबसे ज्यादा प्रतिष्ठा की सीट वार्ड नंबर तीन, चार, सात, आठ व नौ मानी जाती थी. क्योंकि वार्ड नंबर चार के पूर्व पार्षद अर्चना कुमारी जो पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष जगदीश प्रसाद यादव की पुत्री है. आरक्षण की वजह से इस बार वे वार्ड नंबर तीन से चुनाव लड़ रही थीं.
जबकि वार्ड नंबर चार से उनके करीबी माने जाने वाले फेकन सादा जो पूर्व में वार्ड नंबर तीन के पार्षद थे. चुनावी मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे थे. दोनों सीटों पर जगदीश प्रसाद यादव के नाम से ही चुनाव लड़ा जा रहा था. यही कारण था कि दोनों सीट पूर्व नगर अध्यक्ष के लिए प्रतिष्ठा बनी हुई थी. जिसमें वार्ड नंबर तीन से जहां निवर्तमान नगर अध्यक्ष अर्चना कुमारी ने जीत का परचम लहराया. वहीं वार्ड नंबर चार से फेकन सादा अपने निकटतम प्रतिद्वंदी शंकर राम को केवल तीन मतों से हरा सके. वहीं वार्ड नंबर आठ से रमेंद्र कुमार रमण जो निवर्तमान नगर उपाध्यक्ष हैं. इस बार उन्होंने इस वार्ड से अपनी पत्नी किरण देवी को मैदान में उतारा था. जिन्होंने अपने प्रतिद्वंदी नीलम देवी को 147 मतों से परास्त किया. इस प्रकार वार्ड नंबर सात व नौ से इस बार शहर के चर्चित चेहरे के रूप में क्रमश: विजय शंकर चौधरी व उषा किरण पति विनय भूषण सिंह चुनावी मैदान में थे. विजय शंकर चौधरी जहां भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं और भाजपा के राज्य स्तरीय नेता हैं. वहीं वार्ड नंबर नौ से विजयी उषा किरण के पति विनय भूषण सिंह छातापुर विधायक के करीबी माने जाते हैं. इस सीट के लिए विधायक के प्रतिनिधि राघवेंद्र झा राघव भी दिन-रात एक किये हुए थे. जिस पर शहर के लोगों की नजर थी. लेकिन इन सभी प्रतिष्ठित सीटों पर दिग्गजों ने अपनी प्रतिष्ठा बचा ली.