सिमरी : पूर्व मध्य रेलवे अंतर्गत सहरसा-मानसी रेलखंड के सिमरी बख्तियारपुर और कोपड़िया स्टेशन के बीच पुरैनी गांव में मानवता को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है. मिली जानकारी के अनुसार बीते तीन दिनों से पुरैनी गांव के निकट रेलवे ट्रैक के बगल के गड्ढे में एक व्यक्ति नंग-धरंग मरणासन्न स्थिति में पड़ा हुआ था. लेकिन बीते तीन दिनों में किसी ने उसे अस्पताल पहुंचाना जरूरी नहीं समझा. तीन दिन पूर्व किसी व्यक्ति ने गड्ढे में तड़पते एक व्यक्ति को देखा.
उसने यह जानकारी गांव वालों को दी. लेकिन गांव वाले उसे अस्पताल ले जाने के बजाय वहीं छोड़ दिये. वहीं बीते तीन दिनों से ट्रैक किनारे गड्ढे में पड़े व्यक्ति के गड्ढे तक पहुंचने के विषय में स्थानीय स्तर पर कई तरह की चर्चाओं का बाजार गरम है. कुछ ग्रामीण बताते हैं कि तीन दिन पूर्व किसी ट्रेन से इस व्यक्ति को धक्का मार कर गिरा दिया गया था तो कुछ बताते हैं कि किसी ने इसे यहां लाकर छोड़ दिया. वहीं बीते तीन दिनों के दौरान सैकड़ों लोग हर रोज ट्रैक के पास से गुजरते रहे, लेकिन किसी ने उस व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाना जरुरी नहीं समझा.
एंबुलेंस से अनुमंडलीय अस्पताल लाया गया: जाको राखे साईंया मार सके ना कोई, यह कहावत इस घटना में पूर्णरूपेण चरितार्थ होती है. बीते तीन दिनों से इस कंपकंपाती ठंड के दौरान नंग-धड़ंग व्यक्ति ट्रैक किनारे गड्ढे में पड़ा रहा. लेकिन ना आसपास के ग्रामीण और ना रेलवे ने उसकी सुध लेने की कोशिश की. हालांकि ईश्वर की कृपा से उसे कुछ नहीं हुआ. वहीं शनिवार शाम जब प्रभात खबर को इस व्यक्ति के ट्रैक किनारे होने की सूचना मिली. पूर्व जिला परिषद उपाध्यक्ष रितेश रंजन के सहयोग से उसे आनन-फानन में रात लगभग आठ बजे पुरैनी पहुंच कर मरणासन्न पड़े व्यक्ति को सबसे पहले कपड़े देकर और एंबुलेंस मंगा सिमरी बख़्तियारपुर अनुमंडलीय अस्पताल लाया गया. हालांकि अस्पताल लाने के बाद युवक का इलाज शुरू होने से पूर्व ही अस्पताल में उपस्थित डॉक्टर इसके रेफर की तैयारी करने लगे. जिसके बाद ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर की सिविल सर्जन से बात करायी गयी और डॉक्टर ने इलाज शुरू किया. युवक को रात में ही स्लाइन चढ़ाया गया.