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एमबीए की डिग्री हासिल कर जैविक खेती को दे रहे बढ़ावा

सामाजिक दायित्व को बखूबी निभाते हुए तरह-तरह की चला रहे हैं कार्य योजना राघोपुर : रसायनिक खाद के अत्यधिक प्रयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति खत्म हो जाती है. इसका दुष्प्रभाव मानव के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है. इस बात को भली-भांति जानने वाले सचिन माधोगड़िया जैविक खेती को बढ़ावा देने में जुट गये हैं. […]

सामाजिक दायित्व को बखूबी निभाते हुए तरह-तरह की चला रहे हैं कार्य योजना
राघोपुर : रसायनिक खाद के अत्यधिक प्रयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति खत्म हो जाती है. इसका दुष्प्रभाव मानव के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है. इस बात को भली-भांति जानने वाले सचिन माधोगड़िया जैविक खेती को बढ़ावा देने में जुट गये हैं. पुणे से एमबीए करने के बाद सीधे अपने पैतृक व्यवसाय से जुड़े सचिन की रुचि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की जीवन स्तर को संवारने में है. यही कारण है कि वे सामाजिक दायित्व को बखूबी निभाते हुए तरह-तरह की कार्य योजना चला रहे हैं. किसान कम लागत में अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सके साथ ही उसे पारंपरिक ऊर्जा प्राप्त भी हो सके. इसके लिए उन्होंने अपने गम्हरिया स्थित कृषि योग्य जमीन पर बायो गेस प्लांट की स्थापना करायी है.
खाद के साथ ऊर्जा भी
बायो गैस प्लांट से जैविक खाद के साथ ही ऊर्जा भी प्राप्त होता है. इसका उपयोग लोग खाना पकाने के लिये रसोई गैस के रूप में कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि क्षेत्र के किसान प्रायः पशुपालन करते हैं. पशुओं के गोबर का प्रयोग उपला बनाकर रसोई पकाने में किया जाता है.
इससे जहां पर्यावरण को नुकसान होता है. वहीं महिलाओं के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है. बायोगैस प्लांट से गोबर का समुचित उपयोग हो जाता है. चार मवेशी के गोबर से इतनी ऊर्जा प्राप्त होती है कि आठ सदस्यों के परिवार का भोजन बनाया जा सके. इसके साथ ही इससे निकला खाद भी उत्तम जैविक खाद है. बताया कि कृषि विभाग द्वरा बायो गैस प्लांट स्थापित करने के लिए अनुदान भी दी जाती है. करीब 38 हजार की लागत वाले इस प्लांट पर लाभार्थी को केवल 19 हजार रुपये खर्ज करने होंगे.
प्रेरित हो रहे हैं लोग
सचिन अपने प्लांट से उत्पादित जैविक खाद का प्रयोग अपने खेतों में कर रहे हैं. इससे जहां कम लागत में बेहतर फसल प्राप्त हो रही है. वही फसल का स्वाद भी बेहतर है. अभी वे जैविक खाद का प्रयोग केवल सब्जी की खेती में कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि जैविक खाद का पर्याप्त उत्पादन होने पर वे इसका प्रयोग अन्य फसल पर भी करेंगे.
इस प्लांट से हो रहे फायदे को देख कर आस-पास के लोग भी प्रेरित हो रहे हैं. स्थानीय लोग बताते हैं कि जानकारी के अभाव में उन्हें कई योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है. कुछ लोग इस प्लांट की स्थापना को लेकर प्रयास में भी जुट गये है. जिन्हें सचिन माधोगड़िया द्वारा तकनीकी सहायता भी दी जा रही है. उन्होंने बताया कि वे जगह-जगह किसानों को इसकी जानकारी देते हैं व प्लांट स्थापना में तकनीकी सलाह भी देते हैं.
ग्राम भारती के संतोष झा ने बताया कि भारत सरकार कृषि विभाग की यह महत्वपूर्ण योजना भी भ्रष्टाचार की भेंट चढती जा रहा है. यही कारण है कि आम लोगों को इसकी जानकारी तक नहीं है. बताया कि पशुधन के लिए समृद्ध कोसी के इस इलाके में बायो गैस प्लांट स्थापित करा कर किसानों को जैविक खाद व ऊर्जा के लिए आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है.

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