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यहां दर्द से नहीं, दवा के लिए तड़पते हैं मरीज

सदर अस्पताल के इमरजेंसी में दवाओं के अभाव के कारण मरीजों का प्राथमिक उपचार करना भी मुश्किल है. यही वजह है कि पहले की अपेक्षा अब सदर अस्पताल में उपचार कराने के लिए पहुंचने वाले मरीजों की संख्या में दिन ब दिन गिरावट दर्ज की जा रही है. सुपौल : गत कुछ वर्ष पूर्व तक […]

सदर अस्पताल के इमरजेंसी में दवाओं के अभाव के कारण मरीजों का प्राथमिक उपचार करना भी मुश्किल है. यही वजह है कि पहले की अपेक्षा अब सदर अस्पताल में उपचार कराने के लिए पहुंचने वाले मरीजों की संख्या में दिन ब दिन गिरावट दर्ज की जा रही है.

सुपौल : गत कुछ वर्ष पूर्व तक राज्य के तमाम सरकारी अस्पतालों में बेहतर सेवा व सुविधा के लिए जाना जाने वाला सुपौल का सदर अस्पताल आज खुद बीमार है. यहां सुविधाओं की बात कौन कहे स्थिति यह है कि इमरजेंसी में दवाओं के अभाव के कारण मरीजों का प्राथमिक उपचार करना भी मुश्किल है.
यही वजह है कि पहले की अपेक्षा अब सदर अस्पताल में उपचार कराने के लिए पहुंचने वाले मरीजों की संख्या में दिन ब दिन गिरावट दर्ज की जा रही है. चिकित्सक व कर्मियों की कमी की समस्या से जूझ रहे इस अस्पताल में अब दवा के अभाव के कारण मरीज व उनके परिजनों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है.
लोग अब सदर अस्पताल नहीं जा कर निजी क्लिनिकों में जाना बेहतर समझ रहे हैं, लेकिन जिनके पास निजी क्लिनिकों में उपचार कराने का सामर्थ्य नहीं है ऐसे मरीजों को सदर अस्पताल में तड़पने के अलावा कोई और चारा भी नहीं है. शुक्रवार की रात एक ऐसा ही मामला सामने आया,
जब सदर प्रखंड के सितुहर गांव निवासी सुनील यादव की पत्नी सुनीता देवी को पेट दर्द की शिकायत के बाद उपचार के लिए सदर अस्पताल लाया गया. ड‍्यूटी पर तैनात चिकित्सक डॉ अरुण वर्मा ने मरीज को देखने के बाद दवा लिख कर बाजार से ले आने के लिए कहा, लेकिन सरकारी घोषणा के अनुरूप सुविधा की तलाश में सदर अस्पताल पहुंचे मरीज के पति व सास के पास दवा खरीदने के लिए पैसे नहीं थे. नतीजतन मरीज काफी देर तक अस्पताल में तड़पती रही,
लेकिन उसे दवा उपलब्ध नहीं कराया गया.
दहशत में रहते हैं चिकित्सक व कर्मी : सदर अस्प्ताल के कई कर्मियों ने बताया कि दवा नहीं रहने की वजह से वे लोग दहशत के साये में काम करते हैं. कब किसके साथ अप्रिय घटना घटित हो जाये कहना मुश्किल है. यही वजह है कि यहां काम करने वाले सभी चिकित्सक व कर्मी दहशत के साये में कार्य करने को विवश हैं.
दो माह से नहीं है इमरजेंसी में दवा
सदर अस्पताल में गत दो माह से दवा नहीं है. इस वजह से जहां मरीज व उनके परिजन परेशान हैं. वहीं सदर अस्पताल में कार्यरत चिकित्सक व कर्मियों को भी इस समस्या से जूझना पड़ रहा है. सदर अस्पताल के कई कर्मियों ने बताया कि अस्पताल में दवा नहीं रहने का खामियाजा उन्हें भी भुगतना पड़ता है.
कर्मियों ने बताया कि सदर अस्पताल पहुंचने वाले मरीज व उनके परिजन सरकारी घोषणा के अनुरूप सुविधा देने की मांग करते हैं, जबकि यहां प्रबंधन द्वारा किसी प्रकार की सुविधा उपलब्ध नहीं करायी जा रही है. गत दो माह से अस्पताल में दवा उपलब्ध नहीं है. ऐसे में मरीज व उनके परिजनों को समझाना मुश्किल हो जाता है.
दवा के अभाव में नहीं हुआ इलाज
सदर अस्पताल में लंबे समय से दवा का अभाव है. प्रबंधन की लापरवाही व मनमानी के कारण दवा की खरीद नहीं हो पायी है. लिहाजा मामूली दवा के लिए भी मरीज व उनके परिजनों को बाजार की ओर मुखातिब होना पड़ता है. शुक्रवार की रात भी चिकित्सक ने सदर अस्पताल की परंपराओं के अनुरूप मरीज को दवा लिख कर बाजार से लाने का निर्देश दिया, लेकिन मरीज के परिजनों के पास पैसा नहीं रहने की वजह से वे दवा नहीं खरीद सके और मरीज का उपचार नहीं हो पाया.
दो घंटे तक चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मियों से गुहार लगाने के बाद सुनीता की सास तेतरी देवी व पति सुनील यादव उसे ले कर वापस गांव चले गये. वहीं दूसरी तरफ रोगी कल्याण समिति के मद से अप्रैल महीने में 60 हजार रुपये की पैथोलॉजी की दवा की खरीद डीएस द्वारा की गयी.

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