सुपौल : ज्योति पर्व दीपावली बुधवार को जिले में शांति व सौहार्दपूर्ण वातावरण में संपन्न हो गया. इस दौरान कहीं से भी किसी प्रकार के अप्रिय घटना की सूचना नहीं है. हालांकि इस बार अन्य वर्षों की भांति पर्व के मौके पर लोगों में उत्साह की कमी देखी गयी.घर एवं प्रतिष्ठान के सजावट की बात हो अथवा दीपावली के मौके पर उत्साहित बच्चे व युवाओं द्वारा पटाखे छोड़ने की, इस बार पर्व के अवसर पर इसमें कमी देखी गयी.
इसके पीछे लोग महंगाई एवं संपन्न चुनाव को वजह मान रहे हैं.वजह चाहे जो भी हो, लेकिन इस बार दीवाली फीकी रही. महंगाई के कारण उत्साह में रही कमीसाज-सज्जा, पटाखे व अन्य समानों की कीमतों में आयी उछाल के कारण अधिकांश मध्यम वर्ग के लोगों ने इस त्योहार के मौके पर केवल परंपरा का ही निर्वहन मात्र किया.जानकारों की मानें तो दीपावली के मौके पर पूर्व में घी व तेल के दिये जलाने की प्रथा रही है.
वहीं कुछ लोग तिल एवं अंडी के तेल से दिया जला कर लक्ष्मी व गणेश की अराधना किया करते थे. लेकिन अब स्थिति यह है कि घी 450 रुपये, सरसों तेल 120, तिल का तेल 250 रुपये प्रति किलो के हिसाब से उपलब्ध है. इस स्थिति में मध्यम वर्ग के लोगों के लिए यह काफी महंगा है.अब तो लोग केरोसिन के महंगा होने की वजह से दीया भी जलाना छोड़ चुके हैं.शहर में नहीं दिखा केले का थम जिला मुख्यालय स्थित बाजार में व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के आगे में केले का थम लगा कर सजावट करने की परंपरा रही है.
आसपास के क्षेत्रों से सैकड़ों की संख्या में मजदूर वर्ग के लोग दीपावली के मौके पर केले का थम बैलगाड़ी, ट्रैक्टर व ठेले पर ला कर बेचा करते थे. इससे जहां व्यवसायियों को उनके प्रतिष्ठान पर ही यह उपलब्ध हो जाया करता था.वहीं इस कार्य से जुड़े लोगों की अच्छी-खासी कमाई भी हो जाती थी.लेकिन ‘अब तो ना वो नगरी, ना वो ठांव’ की स्थिति बन गयी है.
इसके पीछे वजह यह है कि आबादी बढ़ने के साथ ही इलाके से केला गायब हो गया.वहीं इस कार्य से जुड़े लोग बाहरी प्रदेशों की ओर पलायन कर गये हैं.जिस वजह से इस बार बाजार में केले का थम नहीं देखा जा सका.विधानसभा चुनाव का भी रहा असर दीपावली के अवसर पर इस बार पहले जैसा माहौल नहीं रहने के पीछे एक प्रमुख वजह विधानसभा चुनाव को भी माना जा रहा है.
दो माह से अधिक समय तक चले चुनाव की प्रक्रिया समाप्त होने के बाद अधिकांश सरकारी पदाधिकारी व कर्मी अपने घर चले गये.वहीं परिणाम आने के बाद जहां एक पक्ष में उत्साह का माहौल रहा.वहीं दूसरे पक्ष में मायूसी छायी रही. इस वजह से भी लोगों में उत्साह की कमी देखी गयी और पहले की तुलना में इस बार लोगों ने केवल परंपरा का ही निर्वहन किया.