सुरसंड. नगर पंचायत अंतर्गत बाबा गरीबनाथ प्रांगण स्थित दुर्गा मंडप में मोक्ष प्रदायिनी साप्ताहिक संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के समापन दिवस पर श्रीधाम वृंदावन से पधारी कथावाचिका देवी पूर्णिमा गार्गी ने बताया कि कलिकाल में यदि ईश्वर को प्राप्त करना है तो भागवत की शरणागति एवं प्रभु के नाम कीर्तन का आश्रय लेना ही होगा. देवी जी ने उद्भव प्रसंग पर चर्चा करते हुए बताया कि उद्भव जी जो कि गुरु वृहस्पति के शिष्य थे. उन्हें अपने ज्ञान के अहंकार को गोपियों की प्रेम लक्षण भक्ति से दूर किया. व्यास जी ने कहा कि अहंकार एक ऐसा दीमक है जो जीव की भक्ति फसल को नष्ट कर देता है. कथा प्रवाह में श्रीकृष्ण जी के दिव्य विवाह का अद्भुत वर्णन किया और कहा कि यह कोई साधारण विवाह नहीं था. यह विवाह तो एक जीवात्मा का परमात्मा से मिलन का अद्भुत विवाह था. विवाह के इस उत्सव में सभी श्रद्धालुओं ने आनंद के सागर में गोते लगाये. देवी जी ने सुदामा प्रसंग का सविस्तार वर्णन करते हुए बताया कि यदि वास्तव में जीव का कोई परम मित्र है तो वह केवल ईश्वर ही हैं. इसी के साथ भगवान श्रीकृष्ण जी के द्वारिकापुरी की लीला का भी वर्णन किया और कहा कि स्वयं के कर्मों व गांधारी के शाप के कारण कैसे समस्त यादव कुल का विनाश हुआ और श्रीकृष्ण जी ने भी अपनी लीला को समेटकर स्वधाम गमन किया. परीक्षित जी के मोक्ष के साथ ही इस मोक्ष प्रदायिनी कथा का समापन किया गया. गायक झुन्नू जी, अजय जी, गौतम जी व वादक विशाल जी, रूपेश जी व पप्पू जी ने अपने गायन व वादन से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. मौके पर आयोजन समिति के सदस्यों समेत सैकड़ों कृष्ण भक्तों ने कथा सुन आत्मविभोर हुए.
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