लापरवाही. सदर अस्पताल में कुव्यवस्था की खुली पोल, कर्मचारी करते हैं मनमानी
इमरजेंसी वार्ड में कर्मियों ने भरती करने से कर दिया था इनकार
सीतामढ़ी : सदर अस्पताल की कुव्यवस्था एक बार फिर सामने आयी हैं. खांसी व दमा की शिकार 70 वर्षीय सुनैना देवी बुधवार को अपनी नतिनी खुशबू रानी के साथ इमरजेंसी वार्ड में पहुंची. वहां कर्मियों ने भरती करने से इनकार करते हुए ओपीडी में भेज दिया.
ओपीडी के वार्ड नंबर-9 में लाइन में खड़ी सुनैना देवी अपना नंबर आने से पहले चिकित्सक को दिखाने से पहले दम तोड़ दी. जिसके बाद अफरातफरी का माहौल हो गया. हर कोई सदर अस्पताल की कुव्यवस्था को कोसने लगे. दिलचस्प बात यह थी कि मानवता को शर्मसार करने वाली इस घटना के बाद भी स्वास्थ्य विभाग सजग नहीं हुआ. बूढ़ी महिला के शव के आसपास से स्वास्थ्यकर्मी गुजरते रहे, लेकिन किसी ने उसकी सुधी नहीं ली. मीडियाकर्मियों के आने के बाद स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों ने नियम का हवाला देते हुए अपना पल्ला झाड़ना शुरू कर दिया.
करती रही आरजू-मिन्नत: मुजफ्फरपुर जिले के औराई थाना अंतर्गत सिमरी गांव निवासी स्व अशर्फी महतो दमा रोग से पीड़ित थी. वह डुमरा थाना अंतर्गत बनचौरी गांव निवासी मनोज सिंह के यहां अपनी पुत्री पुनीता देवी के पास आयी थी. मंगलवार की पूरी रात वह खांसती रही. मां की गंभीर स्थिति को देख कर पुनीता ने अपनी बेटी खुशबू के साथ घटना के दिन सदर अस्पताल भेजा था. जहां खुशबू ने अपनी नानी को इमरजेंसी में भरती करने के लिए काफी आरजू-मिन्नत की, लेकिन किसी कर्मी ने सुनैना पर रहम नहीं की. उसे ओपीडी में भेज दिया. कागजी खानापूर्ति व अपने नंबर का इंतजार करते-करते सुनैना की सांस ने चिकित्सक के पास पहुंचने से पहले हीं छोड़ दिया.
मामले की जांच कर होगी कार्रवाई
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक शकील अंजुम ने बताया की इस तरह की करतूत से स्वास्थ्य विभाग का दामन दागदार होता हैं. मामले की जांच कर दोषी कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. स्वास्थ्य प्रबंधक के खिलाफ भी वे सिविल सर्जन से शिकायत करेंगे.
शकील अंजुम, उपाधीक्षक सदर अस्पताल
कलियुगी पांडव नहीं करा सके मां का इलाज: समुचित इलाज के अभाव में दम तोड़ चुकी कलियुगी कुंती है. पांच पुत्रों की मां रहने के बाद भी इलाज के अभाव में सुनैना ने तिल-तिल कर दम तोड़ दिया. पुत्रों की संरक्षण में सही तरीके से इलाज नहीं होने पर वह अपनी पुत्री पुनीता के पास चली आयी थी. सुनैना के पांच पुत्र अमर प्रसाद, धर्मराज, संजय प्रसाद, श्याम कुमार व अविनाश कुमार हैं. अविनाश अपनी मां की देखभाल करता था, लेकिन बाहर जाने के बाद चार पुत्रों के रहने के बाद भी सुनैना अनाथ हो गयी. यह मामला सामने आने के बाद सुनैना के शव के पास एकत्रित सभी महिलाएं उसके पुत्रों को कोस रहे थे.
सभी कह रहे थे कि पांच पुत्रों का पालन कर उनके पैरों पर खड़ा करने वाली सुनैना का सहारा कोई नहीं बन सका.