सीतामढ़ी : मोहन बीए पास है, पर बेरोजगार है. बेगूसराय का रितेश तो एमए पास है, लेकिन आज तक उसे सरकारी नौकरी नहीं मिली. हद तो यह कि औरंगाबाद व बांका का मोहन व रंजन भी एमए पास है. वर्षों पूर्व एमए की पढ़ाई पूरी कर नौकरी की तलाश कर रहे हैं. हर माह किसी न किसी विभाग में नौकरी के लिए आवेदन देते रहे हैं,
लेकिन अब तक सरकारी नौकरी नहीं मिली है. यह जान कर हैरानी होगी कि मोहन व रितेश समेत उक्त अभ्यर्थी अब चपरासी यानी कार्यालय परिचारी की नौकरी के लिए बेताब हैं. यह सच्चाई है.
बेरोजगारी का चला पता
सूबे में लाखों लोगों को हाल के वर्षों में सरकारी नौकरी मिली है. इसमें संविदा पर नियुक्त कर्मी भी शामिल हैं. बावजूद कितनी बेरोजगारी है, इसका पता तब चला जब मात्र 49 पद के लिए 12 हजार से अधिक आवेदन प्राप्त हुए. अधिकारी भी हैरान तब रह गये थे जब यह पता चला कि एमए व बीए पास लोग भी कार्यालय परिचारी की नौकरी के लिए फॉर्म भरे हैं. बहरहाल, मात्र 49 को ही इस पद पर नौकरी मिलेगी और शेष को निराश होना पड़ेगा. सबसे अधिक निराशा उस अभ्यर्थी को होगी जो एमए पास हैं और नौकरी की उम्र बिती जा रही है.
नियुक्ति में अभी काफी विलंब
बताया गया है कि रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए 27 जनवरी 15 को विज्ञापन निकाला गया था. प्राप्त आवेदनों को विगत कई महीनों से सूचीबद्ध किया जा रहा है. इसके लिए एक कर्मी की प्रतिनियुक्ति की गयी है. सूत्रों ने बताया कि सूचीबद्ध करने के बाद कैटेगोरी वाइज सूची बनेगी.
उसके बाद आरक्षण रोस्टर का पालन करते हुए नियुक्ति की कार्रवाई की जायेगी. हालांकि यह कोई बताने को तैयार नहीं है कि आखिर कब तक नियुक्ति की कार्रवाई पूरी कर ली जायेगी. दूसरी ओर, अन्य अभ्यर्थियों में भी बहाली को लेकर ऊहापोह देखा जा रहा है. कम पढ़े-लिखे लोग भी चर्चा कर रहे हैं कि कहीं वे लोग इस प्रतिस्पर्धा में पीछे न रह जायेंं.