छपरा. हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला में पर्यटन विभाग के मंच पर काला कुर्ता-पायजामा और चेकदार सुनहरी सदरी में जैसे ही कैलाश खेर पहुंचे, वैसे ही तालियां और सीटी बजने लगीं. पंडाल में सजी सुरों की महफिल में पद्मश्री कैलाश खेर ने एक से बढ़कर एक शानदार गीतों की प्रस्तुति की. इसके बाद कैलाश खेर के सूफियाना अंदाज पर हर कोई झूम उठा.
सुरों की गंगा में श्रोताओं ने देर शाम तक लगायी डुबकी
बिहार के दर्शकों के सिर पर कैलाश खेर की आवाज का जादू खूब चला. गीतों के सुरों की गंगा में श्रोताओं ने देर रात तक डुबकी लगायी. कैलाश बैंड की मधुर धुनों पर दर्शक खूब झूमे. उन्होंने सुरों का ऐसा जादू बिखेरा कि हर कोई उनका मुरीद हो गया. गीतों का जादू इस कदर चला कि मंच पर पहुंचते ही उनके स्वागत को दर्शक अपनी सीटों पर खड़े हो गए. कैलाश ने मंच पर आने के बाद सबसे पहले श्लोक पढ़ा. इसके बाद उन्होंने दौलत शोहरत क्या करनी है…, ”” क्या कभी अंबर से सूर्य निकलता है… कैसी ये अनहोनी हर आंख हुई नम …, तेरे नाम से जी लूं …, ””तेरी दीवानी… पर श्रोता कैलाश के सुर में खो गए. उन्होंने नहीं तीर, तलवार.. आज चख लेन दे…, आओ जी-आओ जी, तौबा-तौबा उफ……, आज फट्टे चक लेन दे…, पिया के रंग दीनी…, तू जाने ना…, अल्हा के वंदे…, अगड़ बम-बम लहरी… जय-जयकारा…, स्वामी देना साथ हमारा…, जोबन छलकें…, टूटा टूटा एक परिंदा, शिव का वंदन किया करो…, छाप तिलक सब छीनी रे… ””मै तो तेरे प्यार में दीवाना हो गया…जैसे सुपरहिट गाने सुनाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. कैलाश ने हीरे मोती मैं न चाहूं, मैं तो चाहूं संगम तेरा…,सैंया.., गीत सुनाकर दर्शकों का मन मोह लिया. उन्होंने हर-हर महादेव व जय सिया राम के नारे लगाकर दर्शकों को भाव विभोर कर दिया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है