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कुंवर सिंह को जीवंत कर रही अनुभूति

आज आरा के जगदीशपुर में कुंवर सिंह गाथा की अनुभूति देगी प्रस्तुति छपरा(नगर) : हाथ कटी पर खड़ा अडिग लड़ रहा तूफान से, 80 साल का बूढ़ा शेर निकला आरा के मैदान से’. साहस और वीरता का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण बाबू कुंवर सिंह और उनकी गाथाएं आज भी जनमानस में प्रासंगिक हैं. कुंवर सिंह ने अपने […]

आज आरा के जगदीशपुर में कुंवर सिंह गाथा की अनुभूति देगी प्रस्तुति

छपरा(नगर) : हाथ कटी पर खड़ा अडिग लड़ रहा तूफान से, 80 साल का बूढ़ा शेर निकला आरा के मैदान से’. साहस और वीरता का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण बाबू कुंवर सिंह और उनकी गाथाएं आज भी जनमानस में प्रासंगिक हैं. कुंवर सिंह ने अपने अदम्य साहस के बलबूते विदेशी शासन पर जो करारा प्रहार किया था, उसने आंदोलन की एक नयी परिभाषा ही लिख दी थी.
आज उसी आंदोलन के अविस्मरणीय क्षण, बाबू कुंवर सिंह की जीवटता और उनके समर्पण की गाथा की जीवंत करने का प्रयास कर रही हैं सारण की 16 वर्षीय होनहार बेटी अनुभूति शाण्डिल्य ‘तिस्ता’. सारण की युवा कलाकार तिस्ता ने गायन के क्षेत्र में इतनी कम उम्र में ही निपुणता हासिल कर ली है साथ ही वीर गाथाओं के उत्कृष्ट प्रदर्शन से लगातार अपने कैरियर को एक नया आयाम दे रही हैं.
कुंवर सिंह के किले में पहली बार होगी उनकी वीर गाथा की प्रस्तुति : अनुभूति ने अब तक 12 राष्ट्रीय स्तर के मंचों पर बाबू कुंवर सिंह गाथा का जीवंत प्रदर्शन कर अपने प्रतिभा का लोहा मनवाया है. 23 और 24 अप्रैल को जगदीशपुर,आरा में स्थित बाबू कुंवर सिंह के ऐतिहासिक किले में आयोजित राजकीय समारोह में पहली बार ‘कुंवर गाथा’ की प्रस्तुति दी जायेगी, जिसके लिए सारण की अनुभूति का चयन किया गया है. इसके पहले अनुभूति विश्व भोजपुरी सम्मेलन में भी लगातार एक घंटे तक बतौर विशेष आमंत्रित कलाकार कुंवर सिंह गाथा की प्रस्तुति कर चुकी हैं.
वहीं कुंवर सिंह गाथा के उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए अनुभूति को बिहार सरकार द्वारा ‘मैथिली भोजपुरी अकादमी पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया जा चुका है. छपरा के एसडीएस कॉलेज की छात्रा अनुभूति अपने जीवन में संगीत को आधार बनाकर देश के महापुरुषों की जीवनी को एक संगीतमय प्रस्तुति से जन-जन तक पहुंचाने को प्रतिबद्ध हैं. जल्द ही गंगा बचाओ अभियान को लेकर भी एक नयी गाथा से अनुभूति समाज को जागृत करने का अभियान चलाने वाली हैं.
साहस और संकल्प का जीवंत रूप है कुंवर सिंह गाथा : अनुभूति के पिता सारण के प्रसिद्ध लोक कलाकार उदय नारायण सिंह बताते हैं कि कुंवर सिंह गाथा एक ऐसी रचना है जिसके लगभग 45 पुस्तकों के अध्ययन के बाद लिखा गया है. 1999 से इस गाथा को विभिन्न मंचों पर संगीत और कथा के अद्भुत सामंजस्य के माध्यम से लोगों के बीच प्रस्तुत किया जा रहा है. इस वीर गाथा के प्रस्तुति को लेकर कई बार सारण के कलाकारों को बड़े आयोजनों में आमंत्रित किया जा चुका है.
उन्होंने बताया कि इस गाथा की प्रस्तुति के दौरान कई बार तो ऐसे क्षण आते हैं जब दर्शक दीर्घा कुछ मिनटों के लिए स्तब्ध रह जाती है. इस गाथा में कुंवर सिंह के बचपन से लेकर 80 वर्ष के उम्र में अंगरेजी शासन के खिलाफ उनके संघर्षों को जीवंत रूप दिया जाता है. अनुभूति शाण्डिल्य लगभग 45 मिनट तक रोंगटे खड़े कर देने वाले इस वीर गाथा की बेहतर प्रस्तुति कर रही हैं
इन आयोजनों में अनुभूति ने दी प्रस्तुति
मैथिली भोजपुरी अकादमी समारोह -दिल्ली- वर्ष नवंबर 2015
राष्ट्रीय भोजपुरी सम्मान सम्मेलन- पंजवार-सीवान- वर्ष 2016
राष्ट्रीय पूर्वांचल एकता मंच, वार्षिक समारोह- गुड़गांव- वर्ष 2016
विश्वप्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र मेला- सोनपुर- नवंबर- 2016
विश्व भोजपुरी सम्मेलन- दिल्ली- वर्ष- 2017
वैशाली महोत्सव- वैशाली- वर्ष- 2017
नोट : इन सभी प्रमुख आयोजनों में कुंवर सिंह गाथा की प्रस्तुति हुई है.

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