छपरा : शहर में जो महत्वपूर्ण कार्य सरकारी बाबुओं को कराना चाहिए, वो काम यहां के युवा जीतोड़ मेहनत करके कर रहे हैं. छपरा में स्थित कई पोखरे अब अस्तित्व खोने के कगार पर आ गये हैं. इन्हीं पोखरोंं को अब यहां के जिम्मेदार युवा बचाने की जद्दोजहद में जुट गये हैं.प्रशासन ने तो इन दर्जनों पोखरों को यूं ही अस्तित्व विहीन होने के लिए छोड़ दिया है. लेकिन कुछ युवा इन पोखरों की महत्ता को समझते हुए इन्हें फिर से जीवित करने के प्रयास में जुट गये हैं.
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पोखरों के अस्तित्व को बचाने में जुटे युवा
छपरा : शहर में जो महत्वपूर्ण कार्य सरकारी बाबुओं को कराना चाहिए, वो काम यहां के युवा जीतोड़ मेहनत करके कर रहे हैं. छपरा में स्थित कई पोखरे अब अस्तित्व खोने के कगार पर आ गये हैं. इन्हीं पोखरोंं को अब यहां के जिम्मेदार युवा बचाने की जद्दोजहद में जुट गये हैं.प्रशासन ने तो इन […]
कई पोखरों की हालत खास्ता
शहर में राजेंद्र सरोवर हो या फिर गोवर्धन दास का पोखरा इन सब पोखरों की खस्ता हालत है. लोगों को बताने की भी जरूरत नहीं कि आज छपरा के सभी पोखरों कज हालत कैसी है. कभी इनका नाम हुआ करता था. स्थिति आज ऐसी है कि आज इन पोखरों मे कोई जाना तक नहीं चाहता. राजेंद्र सरोवर भी सूख रहा है.
बस छठ पूजा के समय यहां फॉर्मिलिटी पूरी करने के लिए हल्की-फुल्की सफाई करायी जाती है. फिर सालों भर इसमें गंदगी पड़ी रहती है. धीरे-धीरे यह पोखरा भी अपना अस्तित्व खोने की ओर बढ़ रहा है. यही हाल अन्य पोखरों का है. गोवर्धन दास पोखरा का भी अस्तित्व समाप्ति के कगार पर है. हर तरफ इसी तरह स्थिति खराब है.
युवा क्रांति के सदस्य निभा रहे अहम भूमिका
शहर में एक सामाजिक संस्था है ‘युवा क्रांति’. अब इस संस्था के सदस्यों ने छपरा के सभी पोखरों को साफ करने का निश्चय लिया है. रविवार को इसकी शुरुआत भी हो गयी. संस्था के करीब 25 सदस्यों ने घंटों मेहनत कर राजेंद्र सरोवर की सफाई की.
वहां पसरी गंदगी को पूरी तरह साफ किया. इसके बाद सरोवर का पानी भी कुछ साफ नजर आ रहा था. सफाई के दौरान सरोवर से भारी मात्रा में पॉलीथिन और पूजा सामग्री के अवशेष निकाला गया.
युवा क्रांति के अध्यक्ष हैं विजय राज. इनका कहना है कि यहां के तालाबों को सरोवर धरोहर योजना के तहत सहेजना प्राथमिकी थी. लेकिन यहां पोखरे धरोहर नहीं बन सके, बल्कि सफाई नहीं होने के कारण कूड़ादान जरूर बन गये हैं. अब युवाओं की टीम तालाबों की साफ सफाई करेगी.
युवाओं का मानना है कि सफाई व्यवस्था दुरुस्त रखने के लिए प्लानिंग के अभाव में अधिकांश तालाब जलकुंभी व गंदगी की भेंट चढ़ गये हैं. लेकिन इन युवाओं के प्रयास से एक आस जगी है. हो सकता है युवकों के इस प्रयास को देखकर सरकारी बाबुओं की नींद जरूर खुलेगी.
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