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Samastipur News:किसान गेहूं की पिछात किस्मों की बोआई 20 दिसंबर से पहले संपन्न करें

जारी समसमायिक सुझाव में कहा गया कि किसान गेहूं की पिछात किस्मों की बोआइ 20 दिसंबर से पहले संपन्न कर लें.

Samastipur News:समस्तीपुर : डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय,पूसा के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा केन्द्र के द्वारा किसानों के लिये जारी समसमायिक सुझाव में कहा गया कि किसान गेहूं की पिछात किस्मों की बोआइ 20 दिसंबर से पहले संपन्न कर लें. उसके बाद बोआई करने से ऊपज में भारी कमी होती है. गेहूं की पिछात किस्मों के लिये एचयूडब्लू-234, डब्लूआर-544, डीबीडब्लू- 39, एचआई-1563, राजेन्द्र गेहूं-1, एचडी- 2967 तथा एचडब्लू- 2045 किस्में इस क्षेत्र के लिये अनुशंसित है. प्रति किलोग्राम बीज को 2.5 ग्राम बेबीस्टीन की दर से पहले उपचारित करें. पुन: बीज को क्लोरपायरिफॉस 20 ईसी दवा का 8 मिली प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें. बोआई के पूर्व खेत की की जुताई में 40 किलोग्राम नेत्रजन, 40 किलोग्राम फॉस्फोरस तथा 20 किलोग्राम पाटेास प्रति हेक्टयेर डालें. जिन क्षेत्राें में फसलों में जिंक की कमी के लक्षण दिखाई देती हो वैसे क्षेत्रे के किसान किसान खेत की अन्तिम जुताई में जिंक सल्फेट-25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से व्यवहार करें. छिटकबां विधि से बोआई के लिये प्रति हेक्टयेर 150 किलोग्राम तथा सीड ड्रील से पंक्ति में बोआई के लिये 125 किलोग्राम बीज का व्यवहार करें. गेहूं की फसल में पहली सिंचाई के बाद (रोपाई के 20 से 25 दिन में) कई प्रकार के खर पतवार उग आते हैं. जिनका विकास काफी तेजी से होता है और जो गेहूं की बढ़वार को प्रभावित करती है. इन सभी प्रकार के खरपतवारों के नियंत्रण हेतु सल्फोसल्फयुरॉन 33 ग्राम प्रति हेक्टर एवं मेटसल्फयुरॉन 20 ग्राम प्रति हेक्टयर दवा 500 लीटर पानी में मिलाकर खड़ी फसल में आसमान साफ रहने पर छिड़काव करें. चना की बोआई अतिशीघ्र सम्पन्न करने का पय्रास करें. चना के लिए उन्नत किस्म पूसा-256, केपीजी-59(उदय), केडब्ल्रू आर-108, पंत जी-186 तथा पूसा-372 अनुशंसित है. बीज को बेबीस्टीन 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें. 24 घंटा बाद उपचारित बीज को कजरा पिल्लू से बचाव हेतु क्लोरपाईरीफॉस 8 मिली प्रति किलोग्राम की दर से मिलावें. पुन: 4 से 5 घंटे छाया में रखने के बाद राईजोबीयम कल्चर (पांच पैकेट प्रति हेक्टयेर) से उपचारित कर बोआई करें. गत माह रोप की गयी आलू की फसल में निकौनी करें. निकौनी के बाद नेत्रजन उर्वरक का उपरिवेशन कर आलू में मिट्टी चढ़ा दें,साथ ही आवश्यकतानसुार हल्की सिंचाई करें. टमाटर की फसल में फल छेदक कीट की निगरानी करें. इसके पिल्लू फल में ंघुसकर अन्दर से खाकर पूरी तरह फल को नष्ट कर देते हैं, जिससे प्रभावित फलों की बढ़वार रुक जाती है और वे खाने लायक नहीं रहते,पूरी फसल बर्बाद हो जाती है. फल छेदक कीट से बचाव हेतु खेतों में पक्षी बसेरा लगायें कीट का प्रकोप दिखाई देने पर सर्वप्रथम कीट से क्षतिग्रस्त फलों की तुराई कर नष्ट कर दें. एवं उसके बाद स्पीनेसेड 48 ईसी/1 मिली प्रति 4 लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करें. सब्जियों वाली फसल में निकौनी करें. प्याज के 50-55 दिनों के तैयार पौध की रोपाई करें.इसके लिए खेत को समतल कर छोटी-छोटी क्यारियां बनावें. क्यारियों का आकार, चौड़ाई 1.5 से 2.0 मीटर तथा लम्बाई सुविधानुसार 3–5 मीटर रखें. प्रत्येक दो क्यारियों के बीच जल निकासी के लिए नाल आवश्य बनावें. पंक्ति से पंक्ति की दूरी 15 सेमी, पौध से पौध की दूरी 10 सेमी पर रोपाई करें. खेत की तैयारी में 15 से 20 टन गोबर की खाद, 60 किलोग्राम नेत्रजन, 80 किलोग्राम फॉस्फोरस, 80 किलोग्राम पाटेास तथा 40 किलोग्राम सल्फर प्रति हेक्टयेर का व्यवहार करें. पिछात प्याज की पौधशाला से खरपतवार निकाल कर हल्की सिंचाई करें. लहसुन की फसल में निकाई- गुड़ाई करें तथा कम अवधि के अन्तराल में नियमित रुप से सिंचाई करें. लहसुन की फसल में कीट-व्याधि की निगरानी करें.

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