फोटो संख्या : 4लोगों को नहीं सूझ रहा इससे निबटने का उपायप्रतिनिधि, मोरवा कभी लोगों के आन बान शान का प्रतीक रहा कुआं आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. कभी यह लोगों का मान सम्मान और प्रतिष्ठा दिलाता था आज परेशानी का सबब बना हुआ है. आंकड़ों पर गौर करें तो प्रखंड क्षेत्र के 18 पंचायतों में 399 कुएं लोगों की पीने के पानी के लिए बने थे. 90 के दशक में जवाहर रोजगार योजना के तहत 146 कुओं का जीर्णेाद्धार हुआ. शेष धराशायी होने के लिए यूं ही छोड़ दिये गये. आज पूरे प्रखंड क्षेत्र में मात्र 10 से 12 कुएं ही चालू हैं. बाकी सब बेकार हो गये. मुंडेर रहित ये कुएं लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है. कइ मवेशी इन कुओं में गिरकर अपनी जान गंवा चुके हैं. इन कुओं के अंदर इतना कचरा है कि इससे विषैला गैस के निकलने का खतरा बना रहता है. इन कुओं का उपयोग अब सिर्फ शादी विवाह के मौकों पर पनकटी एवं पूजा-पाठ के लिए ही होता है. जिनके दरवाजे पर कुआं है वह अब उन्हें मूंह चिढ़ा रहे हैं. लोगों का कहना है चाहकर भी लोग इसे नहीं बंद कर पा रहे हंै. इसका भी दो कारण बता रहे हैं. पहला कारण है कि यह पुरखों की निशानी है और दूसरा यह कि इसे बंद करने में सैकड़ों टेलर मिट्टी लगेंगे. इसमें हजारों रुपये खर्च होंगे. लोगों का कहना है कि अनुपयोगी चीज के लिए हजारों रुपये खर्च करना उनके वश की बात नहीं है. आज प्रखंड क्षेत्र में दर्जनों ऐसे खतरनाक कुएं हैं जो बड़े हादसे को आमंत्रित कर रहे हैं. इसकी मरम्मत अत्यंत आवश्यक है लेकिन लोग इस तरफ बिल्कुल बेपरवाह नजर आते हैं.
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कभी था लोगों की शान, अब बना परेशानी का सबब
फोटो संख्या : 4लोगों को नहीं सूझ रहा इससे निबटने का उपायप्रतिनिधि, मोरवा कभी लोगों के आन बान शान का प्रतीक रहा कुआं आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. कभी यह लोगों का मान सम्मान और प्रतिष्ठा दिलाता था आज परेशानी का सबब बना हुआ है. आंकड़ों पर गौर करें तो प्रखंड क्षेत्र […]
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