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बेलबारा का अतिरक्ति प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बदहाल

बेलबारा का अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बदहाल एक टेबलेट के लिए भी जाना पड़ता है महिषी या बख्तियारपुरसिमरी बख्तियारपुर कोसी पीडि़तों की चिकित्सा सुविधा हेतु सरकार ने सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड के बेलबारा में अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापना कर व भवन निर्माण करा वर्ष 1987 में चालू कर दिया गया था. लेकिन वर्तमान में […]

बेलबारा का अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बदहाल एक टेबलेट के लिए भी जाना पड़ता है महिषी या बख्तियारपुरसिमरी बख्तियारपुर कोसी पीडि़तों की चिकित्सा सुविधा हेतु सरकार ने सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड के बेलबारा में अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापना कर व भवन निर्माण करा वर्ष 1987 में चालू कर दिया गया था. लेकिन वर्तमान में स्थिति यह है कि करीब 15 वर्षों से अस्पताल का ताला तक नहीं खुला है. अब यह अस्पताल मवेशियों के खटाल में तब्दील हो गया है. पांच कमरे एवं दो शैय्या के अस्पताल का सभी सामान सड़-गल चुके हैं. भवन पर घास उग गये हैं. स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार 15 वर्ष पूर्व तक डॉ फैजूल रहमान के कार्यकाल में कोसी पीडि़त मरीजों को अच्छी सुविधा मिली थी. उनके जाने के बाद अस्पताल जो बंद हुआ सो अभी तक बंद ही पड़ा है. इस क्षेत्र के मरीजों को एक टैबलेट के लिए भी कोसों दूर महिषी एवं सिमरी बख्तियारपुर अस्पताल जाना पड़ता है. एक टैबलेट के चक्कर में लगभग एक सौ रुपये के साथ कम से कम एक दिन का समय खर्च हो जाता है. आश्चर्य की बात तो यह है कि अभी भी कागज पर इस अस्पताल में एक चिकित्सक, तीन नर्स, एक लिपिक एवं एक चपरासी की ड्यूटी चल रही है. जिसे सरकार तीन लाख रुपये वेतन मद में प्रतिमाह भुगतान कर रही है. इसके अलावे दवा एवं अन्य सामग्री की आपूर्ति अलग से होती है. यही है विकसित बिहार की पहचान. फोटो-पीएचसी 16- 15 वर्षों से बंद पड़ा बेलवाड़ा का पीएचसी

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