सहरसा मुख्यालय: स्वाइन फ्लू से लगातार बढ़ा खतरा आज देश भर में लोगों को डरा रहा है. बिहार क ी राजधानी पटना तक में इस बीमारी के वायरस फैलने की सूचना है, लेकिन राज्य सरकार ने ऐहतियात के तौर पर सूबे के प्रदेश अस्पताल में स्वाइन फ्लू की जांच व इसके इलाज की व्यवस्था कर लोगों को चिंतामुक्त कर दिया है. यह सहरसा का सौभाग्य है कि इस बीमारी ने अब तक जिले में दस्तक नहीं दी है. हालांकि सदर अस्पताल का आइसोलेशन वार्ड स्वाइन फ्लू की जांच व इसके इलाज के लिए पूरी तरह तैयार है.
24 फरवरी से कार्यरत है जांच केंद्र
22 फरवरी को मुख्यमंत्री बनने के बाद नीतीश कुमार ने 24 फरवरी को ही प्रदेश के सभी अस्पतालों में स्वाइन फ्लू की जांच व इलाज के लिए जिला अस्पतालों में केंद्र खुलवाया.
अस्पताल के दो चिकित्सकों को प्रशिक्षण दिलवा इलाज के योग्य बनाया. इसी क्रम में सदर अस्पताल के डॉ विनय कुमार सिंह व डॉ रतन कुमार झा भी प्रशिक्षित किये गये. डॉ सिंह ने बताया कि स्वाइन फ्लू (एच 1 एन1) क ी जांच व इलाज के लिए यहां सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं, लेकिन सौभाग्य है कि इस क्षेत्र में इस बीमारी का कोई भी संदिग्ध मरीज नहीं पाया गया है. इस जांच केंद्र में अब तक एक भी मरीज नहीं पहुंचा है.
क्या हैं लक्षण व बचाव के उपाय
डॉ विनय कुमार सिंह ने बताया कि स्वाइन फ्लू लाइलाज नहीं है. इसमें तेज बुखार आता है, लेकिन कम नहीं होता है. खांसी में पीले रंग का बलगम बहुत अधिक आता है. शरीर में ऐंठन होती है. ठंड से शरीर कांपता रहता है. थकान महसूस होती है और लगातार छींक आती है. काफी तेज सिरदर्द और छाती में भारीपन होता है. सांस लेने में दिक्कतें आती है. डॉ सिंह ने कहा कि स्वाइन फ्लू के संक्रमण से बचाव के लिए खांसते या छींकते वक्त मुंह व नाक पर रूमाल या कपड़ा अवश्य रखना चाहिए. हाथों को साबुन व पानी से साफ करते रहना चाहिए. संक्रमित व्यक्ति को भीड़-भाड़ वाली जगह व अन्य लोगों के संपर्क से दूर रहना चाहिए. उन्हें सार्वजनिक जगहों पर नहीं थूकना चाहिए. पौष्टिक आहार, पर्याप्त पानी व भरपूर नींद संक्रमण को दूर करने की बेहतर औषधि होती है.