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अब तक घायल हुए 94 कांवरिये

कांवरियों के वाहन खुलेआम उड़ा रहे यातायात नियमों की धज्जियां सासाराम (नगर) : सावन महीना चल रहा है. काफी संख्या में लोग कांवर लेकर वाहनों से गुप्ताधाम जा रहे हैं. कांवरियाें का वाहन कौन चला रहा है? चालक की उम्र क्या है? उस पर कितने सवारी बैठे हैं? इसकी सुधी लेनेवाला कोई नहीं है. अमूमन […]

कांवरियों के वाहन खुलेआम उड़ा रहे यातायात नियमों की धज्जियां
सासाराम (नगर) : सावन महीना चल रहा है. काफी संख्या में लोग कांवर लेकर वाहनों से गुप्ताधाम जा रहे हैं. कांवरियाें का वाहन कौन चला रहा है? चालक की उम्र क्या है? उस पर कितने सवारी बैठे हैं? इसकी सुधी लेनेवाला कोई नहीं है. अमूमन देखा जाता है कि कम उम्र के किशोर तीन लोगों को बैठा कर काफी तेजी से बाइक चलाते हैं. जैसे ही कोई वाहन या राहगीर सामने दिखता है.
जोर से चिल्लाते हैं. ए बम हटो किनारे जैसे लगता है गेरूवा वस्त्र से उन्हे यातायात के नियमों को तोड़ने का अधिकार मिल गया है. कांवरियाें से भरे चारपहिया वाहनों पर नजर डाला जाये तो आश्चर्य के साथ ग्लानी होती है. आठ सवारियों को ढोने की क्षमता वाले वाहनों पर दो दर्जन कांवरिया नजर आते हैं. नीचे क्षमता से दो गुने कांवरिया बैठे ही हैं. दो-चार ऊपर भी पैर फैला कर बैठे नजर आते हैं. वाहनों की गति हर समय खतरे को न्योता देती है. लापरवाही में ये दुर्घटना के शिकार तो हो ही रहे है.
दूसरे को भी चोटिल कर रहे हैं. इस वर्ष जिले में विभिन्न स्थानों पर दुर्घटनाओं में करीब 94 कांवरिये घायल हो चुके हैं. जिला मुख्यालय से आलमपुर (बेदा दर्शनडीह पथ पर) के बीच ही दर्जन भर सड़क दुर्घटनाएं हो चुकी है. सदर अस्पताल के आंकड़े पर नजर डालें, तो दुर्घटना में मौत की सूचना नहीं है. लेकिन, घायलों की फेहरिस्त लंबी है.
निजी अस्पतालों में गणना की जाये, तो घायलों की संख्या अधिक होगी. अगर इसी तरह प्रशासनिक लापरवाही चलती रही, तो बड़ी दुर्घटना हो सकती है़ जानकार बताते हैं कि हाल के चार-पांच वर्षों में आरा-बक्सर जिले से गुप्ताधाम जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है. यानी 70 से सौ किलोमीटर तक इसी तरह अपने वाहन से खतरनाक स्टंट करते सासाराम शहर पहुंचते हैं. फिर यहां से 25 किलो मीटर की दूरी दोगुनी जोश से लापरवाही करते तय करते हैं.
विशेष परिस्थिति में नियमों की अनदेखी
कांवरिया वाहन हो या अन्य वाहन यातायात नियमों का पालन सभी को करना है. कभी-कभी विशेष परिस्थिति (मेला, बड़ा पर्व) में नियमों की अनदेखी की जाती है. मुझे इसकी जानकारी नहीं थी. इस के विरूद्ध अभियान चला कार्रवाई की जायेगी.
जय कुमार द्विवेदी, जिला परिवहन पदाधिकारी
बड़े अधिकारी ही कुछ नहीं बोल रहे
चौक-चौराहे पर पुलिस को देख उपहास उड़ाने के अंदाज में बोलबम का जयकारा लगाते हैं. शहर के लोहिया चौक पर तैनात एक ट्रैफिक पुलिस के एक जवान ने बताया कि हमलोग क्या करें
कांवरिया वाहन को देखने पर डर लगता है. कैसे इतनी छोटी वाहनों में महिलाएं, बच्चे, बुढ़े सभी ठूंस-ठूंस कर बैठे हैं. इतनी तेजी से ओवरब्रिज से उतरते है कि डर लगता है कहीं इनकी वाहन किसी वाहन से टकरा न जाये. मना करने पर मजाक उड़ाते हैं.
कहते हैं घबराईये मत सिपाही जी अगले दिन यही टाइम भोले बाबा के प्रसाद दिहल जाई. एक बार तो में इनके वाहन को किनारे खड़ा करा दिया. तब तक दारोगा जी आ गये. बोले छोड़ दो एक महीना की बात है. अगर इसी तरह चलता रहा, तो इस चौक पर ही बड़ी दुर्घटना हो सकती है. जब बड़े अधिकारी कुछ नहीं बोल रहे हैं, तो एक सिपाही क्या कार्रवाई करेगा.

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