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ठप रही शहर की लाइफ लाइन सेवा

पूर्णिया : परिवहन शुल्क में वृद्धि व विलंब होने पर जुर्माना के प्रशासनिक आदेश के खिलाफ जिले के ऑटो रिक्शा वालों ने एक दिवसीय हड़ताल किया. हड़ताल के कारण शहर की लाइफ लाइन सेवा पूरी तरह ठप रही. ऑटो की हड़ताल के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया. दरअसल सरकार ने जहां मोटर वाहन कानून संशोधन […]

पूर्णिया : परिवहन शुल्क में वृद्धि व विलंब होने पर जुर्माना के प्रशासनिक आदेश के खिलाफ जिले के ऑटो रिक्शा वालों ने एक दिवसीय हड़ताल किया. हड़ताल के कारण शहर की लाइफ लाइन सेवा पूरी तरह ठप रही. ऑटो की हड़ताल के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया. दरअसल सरकार ने जहां मोटर वाहन कानून संशोधन विधेयक 2017 लाकर परिवहन शुल्क में अलग-अलग दरों की वृद्ध कर दी है वहीं जिला प्रशासन ने ऑटो परिचालन का नया रुट निर्धारित कर दिया. इतना ही नहीं इसके उल्लंघन की स्थिति में आर्थिक दंड का प्रावधान भी कर दिया जिससे दिन भर की न्यूनतम आय करने वाले ऑटो रिक्शा चालकों पर अनावश्यक वित्तीय बोझ बढ़ गया.

निर्धारित रुट पर चलने की विवशता और दंड का प्रावधान अलग से मुसीबत बन गया. इसी मुद्दे को लेकर पूर्णिया में बिहार स्टेट ऑटो रिक्शा चालक संघ और सेन्ट्रल ऑफ इंडिया टेंपो यूनियन की ओर से पूर्णिया में हड़ताल कर इस प्रशासनिक आदेश का विरोध किया गया. मंगलवार को पूर्व घोषणा के आलोक में संघ के सदस्य अहले सुबह सड़क पर उतर आए और छिट-पुट रुप से चल रहे टम्पो का परिचालन रोक दिया. दरअसल, हड़ताल की पूर्व घोषणा के बावजूद अहले सुबह पटना से आने वाली कोच से उतरे यात्रियों को लेकर कई टेंपो खुश्कीबाग की ओर जा रहे थे. संघ वालों ने उन्हें लाइन बाजार के समीप पकड़ा और यात्रियों को उतार दिया.
सुबह के बाद टेंपो का परिचालन पूरी तरह ठप हो गया. जिला मुख्यालय में परिचालन की ठप हो जाने से अनुमंडल और प्रखंड मुख्यालय जाने वाली टेंपो सेवा भी बाधित रही. इस बीच सेन्ट्रल ऑफ इंडिया टेंपो यूनियन के अध्यक्ष काशिम भारती ने इस हड़ताल को पूर्ण रूप से सफल बताया है और कहा है कि कतिपय तत्वों द्वारा इस हड़ताल को विफल करने की नाकाम कोशिश की गई. उन्होंने चेतावनी दी है कि सरकार और प्रशासन अपना आदेश वापस ले अन्यथा संघ इससे भी कड़ा कदम उठाएगा. इस हड़ताल को सफल बनाने में संघ के अध्यक्ष के अलावा सचिव, महासचिव, कोषाध्यक्ष, प्रवक्ता एवं सभी सदस्य सक्रिय रहे.
मोटर वाहन कानून संशोधन विधेयक 2017 लाकर शुल्क दरों में कर दी है वृद्धि
न्यूनतम आय करने वाले ऑटो रिक्शा पर अनावश्यक वित्तीय बोझ बढ़ाने का आरोप
बस स्टैंड से भट्ठा बाजार तक का रिक्शा भाड़ा लिया जाता हैं पांच से सात रुपये
धूप से परेशान लोगों का रिक्शे वालों ने उठाया फायदा
पांच की जगह 80 रुपये लिया रिक्शा भाड़ा
टेंपो की हड़ताल के कारण रिक्शा और टेंपो वालों की बल्ले-बल्ले रही. बस स्टैंड से भट्ठा बाजार तक का रिक्शा भाड़ा आमतौर पर पांच से सात रूपए तक लिए जाते हैं. मगर, कई रिक्शा वालों ने इस हड़ताल का खूब उठाया और पांच की जगह अस्सी रूपए वसूले. लोगों ने मजबूरी में मुंहमांगा भाड़ा भी दिया. इसी तरह गुलाबबाग जाने के लिए डेढ़ से दो सौ रूपए तक मांगे गये. जो लोग इतना देने की स्थिति में थे उन्होंने दिया पर वैसे लोगों ने पैदल चलना ही बेहतर समझा जिनकी जेब ने इजाजत नहीं दिया. रुपौली से बीमार बच्ची के पिता से जब अस्पताल जाने के अस्सी रुपये मांगे गये तो वह कड़ी धूप में बच्ची को कंधे पर बैठा कर पैदल ही अस्पताल के लिए चल पड़ा. इस बीच ठेला वालों ने भी फायदा उठाया. रिक्शा वाले के अनुपात में आधा किराया पर वह दिन भर यात्रियों को ढोता रहा.
आम आदमी को भुगतना पड़ा खामियाजा
शहर में एक छोर से दूसरे छोर तक जाने के लिए ऑटो को लाइफ लाइन सेवा कहा जाता है और इसकी हड़ताल का आम आदमी पर व्यापक असर पड़ा. खास तौर पर बाहर से आने वाले यात्रियों को इस हड़ताल का खामियाजा भुगतना पड़ा. बाहर से आने वाले यात्री बस स्टैंड पर उतरे पर कोई सवारी नहीं मिली तो विवश होकर पैदल ही गंतव्य के लिए निकल पड़े. आलम यह था कि कई यात्रियों को आठ किलोमीटर की दूरी तय कर पैदल गुलाबबाग तक जाना पड़ा. पूर्णिया जंक्शन और पूर्णिया कोर्ट रेलवे स्टेशन पर भी अमूमन यही नजारा दिखा. कई लोग जो बस से पूर्णिया पहुंच तो गये पर उन्हें कोई सवारी नहीं मिल सकी. गांव से इलाज के लिए अस्पताल आने वालों को भी बड़ी मुश्किलें झेलनी पड़ी.
लंबे समय से बंद सुविधाएं होंगी बहाल, मिलेगी राहत
यह सेवा है बंद
सदर अस्पताल में काफी दिनों से अल्ट्रासाउंड व एक्स रे सेवा बंद है. जिससे ट्रॉमा मरीज व गर्भवती महिलाओं को यह सेवा नहीं मिलने से परेशानी का कारण बन गया है.समिति इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाते हुए इसकी वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग कर सकती है. वहीं दूसरी ओर से सदर अस्पताल में चल रहे सिटी स्कैन,एमआरआई समेत तमाम प्रकार के पैथोलॉजिकल जांच का मुद्दा भी उठा सकता है,जो कई वर्षों से बंद है.वहीं विकलांगता के शिकार बच्चों के लिए स्थापित भौतिक पूनर्वास केंद्र,जो अब बंद हो चुका है.इस केंद्र को शुरु करने का मामला भी उठा सकता है.सदर अस्पताल के ऑपरेशन थियेटर में कई प्रकार के रोगों का ऑपरेशन पूर्व में हुआ करता था. जिसके लिए अत्याधुनिक मशीनों के साथ साथ लेप्रो स्कॉपिक मशीने भी मंगायी गयी थी.यह ऑपरेशन भी लंबे समय से बंद है.इन सेवाओं को पून:शुरु कराने पर भी चर्चा हो सकती है.

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