संवाददाता,पटना
अगले कुछ साल में बिहार की अर्थव्यवस्था में मखाना उद्योग की बड़ी भूमिका होने जा रही है. इस संदर्भ में शुभ संकेत यह है छोटे-छोटे निवेश प्रस्ताव स्थानीय उद्यमियों की तरफ से आये हैं. ये छोटे-छोटे उद्यमी प्रति यूनिट करीब एक से दो करोड़ (औसतन दो करोड़) के निवेश करने जा रहे हैं. फिलहाल वर्ष 2025 में अब तक छोटे-छोटे स्थानीय उद्यमियों ने 10 छोटे मखाना उत्पादन प्लांट स्थापित करने के लिए राज्य निवेश प्रोत्साहन पर्षद (एसआइपीबी) से प्रथम क्लियरेंस हासिल कर लिये हैं. उद्योग विभाग की आधिकारिक जानकारी के अनुसार छोटे-छोटे उद्यमियों की इस पहल को राज्य निवेश प्रोत्साहन पर्षद ने प्रोत्साहित किया है. मखाना उत्पाद तैयार करने के लिए आये 10 प्रस्तावों में मधुबनी और पूर्णिया जिले में तीन-तीन , दरभंगा जिले में दो और सहरसा व मुजफ्फरपुर जिले में एक-एक प्रस्ताव शामिल हैं. जानकारी के अनुसार कुछ प्लांट तो मखाना के विभिन्न किस्म के उत्पाद तैयार करने की रणनीति लेकर आये हैं. उदाहरण के लिए मुजफ्फरपुर के मुसहरी क्षेत्र में मखाना के स्नेक्स और लावा बनाने का प्रस्ताव है. दरभंगा में प्रस्तावित निवेश प्रस्ताव में बताया गया है कि छोटे बच्चों के लिए मखाना के बेबी फूड और मखाना कुकीज तैयार करेगी. इस तरह मखाना से बनने वाले उत्पाद बनाने की दिशा में स्थानीय उद्यमी मौलिक ढंग सोचने लगे हैं. बता दें कि स्टार्टअप के जरिये भी मखाना के क्षेत्र में अच्छे-खासे निवेश आ रहे हैं. बिहार की मुख्य पैदावार चावल है. बिहार बड़े चावल उत्पादन करने वाले राज्यों में शुमार भी है. लिहाजा राइस मिल इंडस्ट्रीज की संभावनाओं को मजबूती मिल रही है. इस परिदृश्य में इस साल 2025 में राज्य निवेश प्रोत्साहन पर्षद (एसआइपीबी) की तीन बैठकों में राइस मिल स्थापित करने के लिए अनुमानत: 150 करोड़ के 18 से अधिक प्रस्ताव आये. इन सभी प्रस्तावों को प्रथम क्लियरेंस दिये गये हैं. यह निवेश प्रस्ताव सीतामढ़ी, भोजपुर, मुजफ्फरपुर, किशनगंज, औरंगबाद, मधुबनी, अरवल, औरंगाबाद,पूर्णिया, रोहतास ,जहानाबाद आदि जगहों के लिए हैं.
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