India-Pakistan War: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए बिहार सरकार ने राज्य में आपदा की स्थिति से निपटने के लिए व्यापक तैयारी शुरू कर दी है. राज्य सरकार ने गांव से शहर तक के लोगों को आपदा के प्रति जागरुक करने और राहत-बचाव कार्यों को मजबूती देने के लिए पूरे बिहार में मॉक ड्रिल कराने की योजना बनाई है. इसके तहत सिविल डिफेंस वॉलंटियर यानी नागरिक सुरक्षा कोर के स्वयंसेवकों की संख्या में बढ़ोतरी की जा रही है.
अब 750 रुपये मिलेगा प्रतिदिन मानदेय
सरकार ने इन वॉलंटियर के मानदेय में भी उल्लेखनीय वृद्धि की है. पहले इन्हें 400 रुपये प्रतिदिन की दर से भुगतान किया जाता था, जिसे अब बढ़ाकर 750 रुपये कर दिया गया है. यह फैसला न केवल युवाओं को प्रेरित करेगा बल्कि आपदा प्रबंधन तंत्र को भी मजबूत बनाएगा. आपातकालीन स्थिति में ये वॉलंटियर जिला प्रशासन के साथ मिलकर राहत, बचाव और जन-जागरुकता कार्यों में अहम भूमिका निभाएंगे.
सीमा क्षेत्रों में विशेष ध्यान
आपदा प्रबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने बताया कि नागरिक सुरक्षा निदेशालय के कंट्रोल रूम को पूरी तरह से सक्रिय कर दिया गया है. खासतौर से भारत-नेपाल सीमा से सटे पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज जैसे जिलों में सिविल डिफेंस वॉलंटियर की संख्या बढ़ाई जाएगी. इसके साथ ही केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित चार नागरिक सुरक्षा जिलों- पटना, पूर्णिया, कटिहार और बेगूसराय के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की आमद को देखते हुए गया जिले में भी इनकी तैनाती की जाएगी.
कैसे बनें सिविल डिफेंस वॉलंटियर?
अगर आप देश सेवा के साथ आपदा प्रबंधन कार्य में भागीदारी करना चाहते हैं, तो आप अपने जिले के नागरिक सुरक्षा कार्यालय, जिला पदाधिकारी (DM), अनुमंडल पदाधिकारी (SDO) या प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO) कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं. आवेदन के लिए न्यूनतम उम्र 18 वर्ष तय की गई है.
विशेष रूप से “आपदा मित्र”, राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS), एनसीसी, नेहरू युवा केंद्र, और स्काउट एवं गाइड से जुड़े युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी. इन्हें प्रशिक्षण देकर आपदा प्रबंधन की भूमिका में शामिल किया जाएगा.
जन-जागरुकता और प्रशिक्षण दोनों होंगे प्राथमिकता में
सिविल डिफेंस वॉलंटियर को न केवल राहत और बचाव कार्यों में लगाया जाएगा. बल्कि उन्हें सामुदायिक स्तर पर लोगों को जागरुक करने की जिम्मेदारी भी दी जाएगी. मॉक ड्रिल के जरिए स्कूलों, कॉलेजों और पंचायत स्तर पर आपदा से निपटने के तौर-तरीकों की जानकारी दी जाएगी. ताकि वास्तविक संकट की घड़ी में लोग संयम और समझदारी से काम ले सकें.
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