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Patna News : बिना मानक के चल रहे बाइक और कार वाशिंग सेंटर, प्रदूषण बोर्ड ने शुरू की जांच

पटना में संचालित होने वाले दो हजार से अधिक सर्विस सेंटर ने अब तक कंसर्न टू एस्टैब्लिशमेंट सर्टिफिकेट के लिए आवेदन नहीं किया है. साथ ही ये इटीपी लगाये बिना ही संचालित हो रहे हैं.

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संवाददाता, पटना : राजधानी समेत प्रदेश के अन्य शहरों में वाहनों की मरम्मत व सर्विसिंग के लिए सर्विस व वाशिंग सेंटर संचालित किये जाते हैं, जिसको शुरू करने से पहले बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से सीटीइ यानी कंसर्न टू एस्टैब्लिशमेंट सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य है. इसके अलावा प्रदूषण बोर्ड के मानकों के अनुसार शहर या गांव में संचालित होने वाले सभी सर्विस सेंटरों और वर्कशॉप को इटीपी लगाने का निर्देश दिया गया है, जिससे आस-पास के तालाबों व पानी के स्रोतों में ऑयल व ग्रीसिंग का पानी न प्रवेश कर सके. लेकिन राजधानी में संचालित होने वाले 2 हजार से अधिक सर्विस सेंटर ने अब तक प्रमाणपत्र बनवाने के लिए आवेदन नहीं किया है. मंगलवार को राजधानी के यारपुर, रामनगर समेत कई जगहों के सर्विस सेंटरों की पड़ताल में पता चला कि इन सर्विस सेंटरों में वाहनों की वाशिंग खुलेआम की जाती है. इससे निकलने वाला ऑयल व ग्रीस का पानी सड़क पर या फिर नाले में डिस्चार्ज किया जाता है. इससे आस-पास के तालाबों व छोटे-छोटे जल स्रोत में प्रदूषण की मात्रा अधिक हो रही है. मिली जानकारी के अनुसार इससे पानी में रहने वाले जरूरी प्राणियों की जिंदगी भी प्रभावित होती है.

प्रदूषण बोर्ड ने इन वर्कशॉप व सर्विस सेंटरों की टीम बनाकर जांच शुरू की

प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार इन वर्कशॉप व सर्विस सेंटरों में अनियमितता की जांच के लिए एक टीम का गठन किया गया है. जो इन संचालित सेंटरों की जांच शुरू करेगी. अधिकारियों का यह भी कहना है कि बीते एक साल पहले सर्विस सेंटर एसोसिएशन के साथ बैठक की गयी थी. इसमें भाग लेने वाले सभी संचालकों को अपने-अपने वर्कशॉप में इटीपी, ऑयल सेपरेशन टैंक, सेटलिंग टैंक जैसे जल प्रदूषण रोकने वाले यंत्र को लगाने का निर्देश दिया गया था.

इटीपी व ऑयल सेपरेशन टैंक से रुक सकता है प्रदूषण

इन वाशिंग सेंटरों में इटीपी लगाने से गाड़ी धोने के समय ऑयल व ग्रीस वाले पानी को ट्रीटमेंट कर साफ किया जा सकता है. इससे अन्य पानी के स्रोतों को साफ रखने में मदद मिलेगी. इसके अलावा ऑयल सेपरेशन टैंक से चिपचिपे तेल को पानी में जाने से रोका जा सकता है. इसके अलावा इससे रीयूज में भी लाया जा सकता है. साथ ही सेटलिंग टैंक का इस्तेमाल भी किया जा सकता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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