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Bihar Politics: जदयू भव्य रूप में मनायेगी बाबासाहेब की जयंती, बिहार में जगमगाएंगी दलित बस्तियां

Bihar Politics: सत्ताधारी जेडीयू भी कांग्रेस के दलित दांव का तोड़ निकालने की तैयारी में है.

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Bihar Politics: पटना. बिहार में राजनीतिक दल दलित वोटों पर पकड़ मजबूत करने में लगे हुए हैं. कांग्रेस दलित अध्यक्ष बनाकर पहले ही अपना कार्ड खेल दिया है. जेडीयू ने बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की जयंती को बेहद भव्य तरीके से मनाने का प्लान तैयार कर लिया है. राज्य में मंत्री और जेडीयू के वरिष्ठ नेता अशोक चौधरी ने बताया कि बाबा साहेब के विचारों के प्रचार प्रसार के लिए उनकी जयंती को भव्य तरीके से मनाया जाएगा. उन्होंने कहा कि 13 अप्रैल को बापू सभागार में कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. इसके बाद 14 अप्रैल को दलित बस्तियों में दीपोत्सव होगा. उन्होंने कहा, ‘निश्चित तौर पर चुनाव से पहले दलित वोटरों को एनडीए की तरफ लाना है.’ उन्होंने कहा, ‘हमारे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दलितों के उत्थान को लेकर बहुत काम किया है. अपने कार्यकाल में उन्होंने जितना काम किया और कोई नहीं कर पाया. उन्होंने दलितों का वर्गीकरण, कास्ट सर्वे जैसे काम किए जो कि पिछड़ों के उत्थान के लिए बहुत जरूरी थे.’

कांग्रेस ने खेला है दलित दांव

कांग्रेस भी दलितों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. उसने हाल ही में अखिलेश प्रसाद को हटाकर राजेश कुमार राम को राज्य में पार्टी अध्यक्ष बना दिया. राम जाटव समुदाय से आते हैं. राज्य में जाटव समुदाय की आबादी 5.25 फीसदी है. वहीं इससे पहले अशोक चौधरी ही कांग्रेस के एससी अध्यक्ष थे जो कि अब जेडीयू में हैं. बीते साल कांग्रेस ने भी अनुसूचित जाति के नेता जगलाल चौधरी की 130वीं जयंती मनाई थी. इसमें कांग्रेस सांसद राहुल गांधी भी शामिल हुए थे. बिहार में कुल 19.65 फीसदी एससी आबादी है. विधानसभा में 38 सीटें अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित हैं.

एनडीए की बिहार में स्थिति रही है मजबूत

2020 में 38 में से 19 सीटों पर एनडीए को कामयाबी मिली थी. आरजेडी को 10 सीटों पर जीत मिली थी, वहीं बीजेपी और जेडीयू को 8 -8 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. कांग्रेस और सीपीआई (ML) को चार-चार और HAM को तीन पर जीत मिली थी. अनुसूचित जाति की की भी बात करें तो राज्य में सबसे ज्यादा पासवानों की आबादी है. इनकी आबादी 5.3 फीसदी के आसपास है. एलजेपी (राम विलास) के वोट इसमें काफी हैं. एलजेपी भी एनडीए का ही हिस्सा है. वहीं 2020 में चिराग पासवान अकेले ही चुनाव लड़े थे. हालांकि इस बार एनडीए को चिराग पासवान का भी फायदा मिलेगा. चिराग पासवान फिलहाल मोदी सरकार में मंत्री हैं. वहीं हम नेता जीतनराम मांझी भी केंद्रीय मंत्री हैं. बिहार में 3 फीसदी के आसपास मुसहरों के भी वोट हैं.

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