Bihar Politics: बिहार कांग्रेस के नवनिर्वाचित 40 जिलाध्यक्ष आज दिल्ली रवाना होंगे, जहां 4 अप्रैल को राहुल गांधी के साथ उनकी महत्वपूर्ण बैठक होगी. आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह बैठक बेहद अहम मानी जा रही है. इसमें संगठन विस्तार, पार्टी की मजबूती और चुनावी रणनीति पर गहन चर्चा होगी.
दिल्ली से पहले पटना में होगी तैयारी बैठक
दिल्ली रवाना होने से पहले प्रदेश मुख्यालय सदाकत आश्रम में बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरू जिलाध्यक्षों के साथ बैठक करेंगे. बैठक में जिलाध्यक्षों को बूथ स्तर तक पार्टी के विस्तार और मतदाताओं को जोड़ने की रणनीति पर दिशा-निर्देश दिए जाएंगे. इसके बाद सभी देर शाम दिल्ली के लिए प्रस्थान करेंगे.
सूत्रों के मुताबिक, बैठक से पहले प्रदेश नेतृत्व की ओर से राहुल गांधी को सोशल मीडिया प्रेजेंटेशन दिया जाएगा. जिसमें यह दिखाया जाएगा कि नए जिलाध्यक्ष कैसे पार्टी को मजबूत करेंगे और ग्रासरूट स्तर पर क्या कदम उठाएंगे. बैठक के बाद जिलाध्यक्षों को जिला और बूथ स्तर पर संगठन विस्तार का टास्क सौंपा जाएगा.
नए जिलाध्यक्षों में 21 नए चेहरे, 14 सवर्ण, 5 दलित
कांग्रेस ने मंगलवार देर रात 40 जिलाध्यक्षों की सूची जारी की थी. इनमें 21 नए चेहरों को जगह दी गई, जबकि 19 पुराने जिलाध्यक्षों को दोबारा मौका मिला. जातिगत समीकरण को साधते हुए 14 सवर्ण, 5 दलित, 6 मुस्लिम और 1 महिला को जिलाध्यक्ष बनाया गया है.
कैंडिडेट सिलेक्शन में निभाएंगे बड़ी भूमिका
आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस जिलाध्यक्षों को बड़ी जिम्मेदारी देने की तैयारी कर रही है. अब जिलाध्यक्षों की भूमिका सिर्फ पार्टी कार्यक्रमों में भीड़ जुटाने तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि टिकट वितरण और कैंडिडेट सिलेक्शन में भी उनकी राय अहम होगी. पार्टी जल्द ही इसकी औपचारिक घोषणा कर सकती है.
संगठन को धार देने के लिए स्क्रीनिंग कमेटी का गठन
बिहार कांग्रेस ने हाल ही में 6 सदस्यीय स्क्रीनिंग कमेटी बनाई है, जिसका संयोजक प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार को नियुक्त किया गया है. कमेटी में विधायक दल के नेता शकील अहमद खान, विधान परिषद दल के नेता मदन मोहन झा, और तीन प्रभारी सचिव देवेंद्र यादव, शाहनवाज आलम, और सुशील कुमार पासी को शामिल किया गया है.
इस फेरबदल के जरिए कांग्रेस बिहार में अपने संगठन को धारदार बनाने और विधानसभा चुनाव में दमदार वापसी की तैयारी कर रही है. अब देखना यह होगा कि राहुल गांधी के नेतृत्व में यह रणनीति कितना असर दिखाती है.