Bihar News: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को सोशल मीडिया पर एक विस्तृत विजन साझा किया, जिसमें राज्य के औद्योगिक भविष्य की पूरी रूपरेखा समझाई गई है. लक्ष्य साफ है बिहार में बड़े पैमाने पर रोजगार, आधुनिक उद्योग, टेक-निर्भर इकाइयां और विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना. सरकार ने इसे “अगले पांच साल का सबसे बड़ा मिशन” बताया है.
बिहार के लिए विशाल निवेश योजना का ऐलान
नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार को तेज आर्थिक वृद्धि के रास्ते पर लाने के लिए बड़े पैमाने पर औद्योगिकीकरण जरूरी है. इसी उद्देश्य से सरकार ने 50 लाख करोड़ रुपये के निवेश का महाप्लान तैयार किया है. यह निवेश सिर्फ उद्योगों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसमें निर्यात, स्किल डेवलपमेंट, फूड पार्क, टेक पार्क और MSME सेक्टर का भी विस्तार शामिल है. सरकार मानती है कि यह निवेश बिहार के रोजगार परिदृश्य को पूरी तरह बदल देगा.
इंडस्ट्री फ्रेंडली स्टेट बनाने की तैयारी
सरकार अब बिहार को निवेशकों के लिए सबसे आकर्षक राज्यों में बदलने की कोशिश में है. इसके लिए उद्योग विभाग देश–विदेश के प्रमुख वाणिज्यिक शहरों में बड़े स्तर पर निवेशक सम्मेलन आयोजित करेगा. लक्ष्य यह है कि ग्लोबल कंपनियां बिहार को नया मैन्युफैक्चरिंग हब मानें और यहां बड़े उद्योग स्थापित करें.
मेगा फूड पार्क से लेकर MSME हब तक नई योजनाएं
सीएम ने बताया कि निवेशक आकर्षण के तहत सरकार कई बड़े कदम उठा रही है, जिनमें आधुनिक सुविधाओं वाले 5 मेगा फूड पार्क, राज्यभर में 10 नए औद्योगिक पार्क, कुल 100 नए MSME पार्क, 7 लाख युवाओं का औद्योगिक प्रशिक्षण जैसी योजनाएं शामिल हैं.
हर जिले में MSME केंद्र खोले जाएंगे ताकि स्थानीय उद्यमी एक ही स्थान पर सभी सुविधाएं प्राप्त कर सकें. सरकार का मानना है कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई गति मिलेगी.
मुख्यमंत्री उद्यमी योजना से बदला स्वरोजगार का चेहरा
सरकार के अनुसार, 44,073 उद्यमियों ने मुख्यमंत्री उद्यमी योजना का लाभ लेकर अपना उद्योग शुरू किया है. इससे छोटे शहरों और कस्बों में रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं. सरकार का दावा है कि यदि यही रफ्तार जारी रही तो बिहार में स्वरोजगार आधारित उद्योगों की संख्या दोगुनी हो जाएगी.
औद्योगिक पृष्ठभूमि में तेज बदल रहा बिहार
नीतीश कुमार ने बताया कि पिछले दो दशकों में बिहार का औद्योगिक परिदृश्य काफी बदला है. औद्योगिक क्षेत्रों की संख्या 46 से बढ़कर 94, औद्योगिक इकाइयां 1674 से बढ़कर 3500, निर्यात 25 करोड़ से बढ़कर 17,000 करोड़, MSME इकाइयां 72 हजार से बढ़कर 35 लाख, जीएसडीपी में उद्योगों का योगदान 5.4% से बढ़कर 21%. ये आंकड़े दिखाते हैं कि अब बिहार सिर्फ उपभोक्ता राज्य नहीं, बल्कि उत्पादन और निर्यात का बड़ा केंद्र बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है.
बिहार बनेगा पूर्वी भारत का नया इंडस्ट्रियल हब
सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में बिहार फूड प्रोसेसिंग, लॉजिस्टिक्स, टेक मैन्युफैक्चरिंग, स्टार्टअप और MSME के क्षेत्र में अग्रणी राज्य बने. नीतीश सरकार का दावा है कि यदि यह रोडमैप सफल होता है तो बिहार में रोजगार के बड़े अवसर पैदा होंगे और युवाओं को नौकरी के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा.

