बिहार पुलिस में महिलाओं की हिस्सेदारी सबसे अधिक, जिला न्यायालयों में 71 प्रतिशत मामले तीन साल से अधिक समय से लंबित :: इंडिया जस्टिस रिपोर्ट, 2025 में हुआ खुलासा संवाददाता,पटना बिहार पुलिस में महिलाओं की हिस्सेदारी देश के दूसरे राज्यों की तुलना में सबसे अधिक है. जिला न्यायालयों में 71 प्रतिशत मामले तीन साल से अधिक समय से लंबित है. यह इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2025 से सार्वजनिक हुआ है. मंगलवार को जारी 2025 की इंडिया जस्टिस रिपोर्ट आइजेआर ने बिहार को 18 बड़े और मध्यम आकार के राज्यों एक करोड़ से अधिक आबादी में समग्र रूप से 13वां स्थान दिया है. रिपोर्ट के मुताबिक बिहार ने पुलिस और कानूनी सहायता के क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार किया हैं. इंडिया जस्टिस रिपोर्ट पर चर्चा करते हुए, जस्टिस (रिटायर्ड) मदन बी लोकुर ने कहा, हम न्यायप्रणाली की अग्रिम पंक्ति-जैसे पुलिस थानों, पैरालीगल वॉलंटियर्स और जिला अदालतों – को पर्याप्त संसाधन और प्रशिक्षण देने में विफल रहे हैं.वहीं ,इंडिया जस्टिस रिपोर्ट की चीफ एडिटर माया दारुवाला ने कहा, भारत एक लोकतांत्रिक और कानून से चलने वाले देश के तौर पर सौ साल पूरे करने की ओर बढ़ रहा है, लेकिन यदि न्याय प्रणाली में सुधार तय नहीं होंगे, तो कानून के राज और समान अधिकारों का वादा खोखला रहेगा. पुलिस और कानूनी सुधार के मामले में कर्नाटक टाॅप पर रिपोर्ट में पुलिस और कानूनी सुधार के मामले में शीर्ष स्थान पर कर्नाटक कायम है. इसके बाद आंध्र प्रदेश दूसरे स्थान पर, तेलंगाना (तीसरे), केरल (छठे) स्थान पर हैं. छोटे राज्यों में एक करोड़ से कम आबादी में सिक्किम ने फिर से पहला स्थान हासिल किया. इसके बाद हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश हैं. 2019 में जारी हुई थी पहली रैकिंग इंडिया जस्टिस रिपोर्ट की शुरुआत टाटा ट्रस्ट्स ने की थी और उसकी पहली रैंकिंग 2019 में प्रकाशित हुई थी. यह रिपोर्ट का चौथा संस्करण है. इसे सेंटर फॉर सोशल जस्टिस, कॉमन काउज, कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशियेटिव, दक्ष, टीआइएसएस-प्रयास, विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी और आइजेआर के डाटा पार्टनर हाऊ इंडिया लिव्स जैसे भागीदारों के साथ मिलकर बनाया गया है. दो साल की कठिन शोध के बाद जारी हुई रिपोर्ट आइजेआर 2025 कल रिपोर्ट 24 महीने हुए कठिन शोध के बाद जारी हुई है. यह रिपोर्ट न्याय से जुड़ी चार प्रमुख संस्थाओं- पुलिस, न्यायपालिका, जेल और विधिक सहायता को छह मानकों की कसौटी पर जांचती है. बिहार में पुलिस पर प्रति व्यक्ति खर्च कम, प्रशिक्षण पर सबसे अधिक बिहार में पुलिस पर प्रति व्यक्ति खर्च भले ही सबसे कम है, लेकिन प्रशिक्षण पर प्रति कर्मी खर्च 2020-21 के 10,994 रुपये से बढ़कर 2022-23 में 20,530 रुपये हो गया है.यह देश में सबसे अधिक है. कुल पुलिस बजट में प्रशिक्षण का हिस्सा तीन गुना बढ़ा, लेकिन उसका उपयोग 72 प्रतिशत से घटकर 35 प्रतिशत रह गया. महिला पुलिसकर्मियों की हिस्सेदारी सबसे अधिक रिपोर्ट के अनुसार बिहार में महिला पुलिसकर्मियों की हिस्सेदारी 23.7 प्रतिशत है, यह देश में सबसे अधिक है. इनमें अधिकारियों में 13 प्रतिशत और कांस्टेबल स्तर पर 27 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं. कांस्टेबल (30 प्रतिशत से घटकर 23 प्रतिशत ) और अधिकारी स्तर (54 प्रतिशत से घटकर 45 प्रतिशत ) की रिक्तियां भी घटी हैं.आरक्षित वर्गों के पदों में भी रिक्तियों में कमी आयी है. एससी अधिकारी (49 प्रतिशत से 42 प्रतिशत ), ओबीसी अधिकारी (42 प्रतिशत से 32 प्रतिशत ), एससी कांस्टेबल (10 प्रतिशत से 0 प्रतिशत ) है. सभी थाने में कम से कम एक सीसीटीवी सभी पुलिस थानों में कम से कम एक सीसीटीवी कैमरा और 83 प्रतिशत में महिला हेल्प डेस्क की सुविधा उपलब्ध है. बिहार के फोरेंसिक विभाग में प्रशासनिक (78 प्रतिशत ) और वैज्ञानिक (85 प्रतिशत ) स्टाफ की भारी कमी बनी हुई है. जेल कर्मचारियों में महिलाओं की हिस्सेदारी 22 प्रतिशत बिहार की जेलों में अधिकारी (29 प्रतिशत), कर्मचारी (45 प्रतिशत), और सुधार कर्मचारी (49 प्रतिशत ) की रिक्तियों के कारण रैंकिंग गिरकर 12वें स्थान पर आ गयी है. जेल कर्मचारियों में महिलाओं की हिस्सेदारी (22 प्रतिशत ) कर्नाटक के बाद दूसरी सबसे अधिक है. सभी जेलों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा है. बिहार में बंगाल के बाद सबसे कम कानूनी सहायता पर हो रहा खर्च बिहार में कानूनी सहायता पर खर्च (3.5 रुपये प्रति व्यक्ति) पश्चिम बंगाल के बाद सबसे कम है. पिछले दो साल में गांवों और जेलों में कानूनी सेवा क्लीनिक बढ़े हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है