Bihar News: विधानसभा चुनाव के ठीक आठ महीने पहले भाजपा ने कैबिनेट विस्तार में अपने चुनावी एजेडे को साफ कर दिया है. पार्टी ने पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग को अधिक पतिनिधि देने की कोशिश की है. मंत्र पद के लिए जिन चेहरों का चयन किया गया है, उससे यह साफ है कि विधानसभा चुनाव मे टिकट वितरण में भी इस वर्ग को तरजीह मिलेगी. अतिपिछड़ो पर खास फोकस होगा. खासकर वैसी जाति और बिरादरी को पतिनिधित्व देने की कोशिश होगी, जिनकी सतता मे भागीदारी नहीं के बराबर है.
भाजपा की अपनी ताकत बढ़ाने की कोशिश
भाजपा नेतृत्व ने मंत्रियों के चयन से यह भी दिखाने की कोशिश की है कि पिछड़ा और अतिपिछड़ा वोट के लिए वह सिर्फ अपने सहयोगी दलो पर ही निर्भर नहीं रहना चाहती है. पार्ट ने खुद का आधार भी मजबूत करने की कोशिश की है. सारण के कृष्ण कुमार मंटू कुर्मी जाति से आते है. इस वर्ग में भाजपा का अब तक कोई मंत्र नहीं था. इसी प्रकार नालंदा जिले से जीत कर आने वाले सुनील कुमार भी मंत्री बनाये गये है. नालंदा से अब तक मुख्यमंत्री के अलावा जदयू के श्रवण कुमार ही मंत्री हैं. कोइरी जाति से आने वाले सुनील कुमार को मंत्री पद देकर भाजपा की अपनी ताकत बढ़ाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है.
मिथिलांचल के गढ़ से बने दो मंत्री
मिथिलांचल के गढ़ दरभंगा से दो मंत्रियों को जगह मिली है. अब तक यहां से जदयू के मदन सहनी ही मंत्री है. आने वाले दिनों में दरभंगा में विकास के कई काम किये जाने है. एम्स, मेट्रो, मखाना अनुसंधान केंद्र से लेकर एयरफोर्स के विकास का श्रेय भाजपा भी अपनी झोली में डालना चाहती है. दो मंत्रियों के चयन को इसी रूप में देखा जा रहा है. भूमिहार जाति से आने वाले जीवेश मिश्रा और वैश्य बिरादरी से आने वाले संजय सरावगी से उनकी जाति वाले वोटरों को साधने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है. इसी प्रकार तेली जाति से आने वाले रीगा के विधायक मोती लाल प्रसाद से सीतामढ़ी के जनाधार वाले वैश्य मतदाताओं को साधने की कोशिश है, जबकि अररिया जैसे सीमांचल इलाके में केवट जाति के विजय कुमार मंडल को मंत्री बनाकर भाजपा ने अतिपिछड़ों को मैसेज देने की कोशिश की है.
नये मंत्री और सामाजिक समीकरण
- संजय सरावगी- वैश्य
- जीवेश मिश्रा-भूमिहार
- राजू सिंह-राजपूत
- विजय मंडल-केवट
- सुनील कुमार- कोइरी
- मोतीलाल पसाद- तेली
- कृष्ण कुमार मंटू-कुर्म