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Bihar Land Survey: सरकारी कार्यालय से गायब हो रहा खतियान , बंदोबस्ती कैसे दिखाएं रैयत

Bihar Land Survey: खतियान से बंदोबस्ती का पता चलता है. बंदोबस्ती ही जमीन के स्वामित्व का प्रमाण है. जब वही उपलब्ध नहीं होगा, तो विवाद बढ़ सकते हैं. भूमि सुधार योजनाओं, मुआवजा वितरण, और विकास परियोजनाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. रैयतों को उनकी जमीन पर अधिकार साबित करने में कठिनाई होगी.

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Bihar Land Survey: पटना. बिहार में एक पुरानी कहावत है,”उलटा चोर कोतवाल को डांटे”. आजकल बिहार भूमि व राजस्व विभाग में यही हो रहा है. सरकारी कार्यालय से जमीन के दस्तावेज गायब हो रहे हैं और सरकार उन दस्तावेजों के गायब होने की जांच कराने के बदले, उलटा दस्तावेज नहीं रखने के लिए रैयतों को जिम्मेदार ठहरा रही है. बिहार में चल रहे भूमि सर्वेक्षण के दौरान एक दो नहीं बल्कि सैंकड़ों गांव का खतियान सरकारी कार्यालय से गायब मिला है. अब तक 250 गांव के खतियानों का कोई रिकॉर्ड सरकार के पास उपलब्ध नहीं है. सर्वे और दाखिल खारिज के लिए इन गांवों के रैयत दर दर भटक रहे हैं. वैसे राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने इस संदर्भ में अधिकारियों को फटकार लगायी है, लेकिन अब तक दस्तावेज गायब होने की प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी है.

मुजफ्फरपुर के 40 गांवों का खतियान गायब

जानकारी के अनुसार मुजफ्फरपुर जिले के 40 गांवों और पूरे बिहार राज्य के लगभग 250 गांवों का खतियान गायब होने की खबरें सामने आई हैं. मुजफ्फरपुर जैसे बड़े जिले में 40 गांवों का खतियान सरकारी कार्यालयों से गायब होना स्थानीय रैयतों के लिए बड़ी समस्या खड़ी कर दी है. मुजफ्फरपुर जिले में तो शहर के सरैयागंज, सिकंदरपुर, शहबाजपुर, कन्हौली विशुनदत्त, बाड़ा जगनाथ समेत शहरी क्षेत्र के मुशहरी अंचल के ही सर्वाधिक 15 गांवों के खतियान गायब हैं, जबकि, अन्य 25 गांव भी बोचहां, कोटी, कुढ़नी, सकरा, सरैया, औराई, मौनापुर, मोतीपुर, पारू, साहेबगंज अंचलों के हैं, जो शहरी क्षेत्र या शहर से सटे इलाकों में ही हैं. इन इलाकों के खतियान सरकारी कार्यालय से कौन उठा ले गया, इसकी अब तक कोई जांच नहीं हुई है.

रोकी गयी दस्तावेजों की स्कैनिंग

बिहार का राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग जमीन के खतियानों का डिजिटलाइ‌जेशन कर उन्हें ऑनलाइन कर रहा है. इसके लिए राज्य के सभी जिलों के रिकॉर्ड रूम में उपलब्ध जमीन के सभी दस्तावेजों की स्कैनिंग की जा रही है. लेकिन, खतियान गायब होने से स्कैनिंग रुक गई है. यानी, दस्तावेजों को ऑनलाइन करने का काम रुका हुआ है. दस्तावेजों की स्कैनिंग कर रही एजेंसी एमएस कैपिटल बिजनेस सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड ने इसकी सूचना दी, तो राजस्व विभाग की भी नींद हराम हो गई है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने सभी संबंधित जिलाधिकारियों से दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए कहा है. मुजफ्फरपुर के डीएम सुबत सेन से जिले के 11 अंचलों के 40 मौजा-गांवों का अभिलेख मांगा गया है.

रिकार्ड रूम के कर्मचारी पर संदेह

एजेंसी ने जो विभाग को जो सूचना दी है उसके अनुसार राजस्व कर्मियों व रिकॉर्ड रूम के कर्मचारियों द्वारा जमीन के मूल कागजात में छेड़छाड़ की गई है. साथ ही रखरखाव नहीं होने से भी कई खतियान नष्ट या गायब हो गए हैं. इस कारण जहां भूमि के रैयत परेशान हैं, वहीं राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की परेशानी भी बढ़ गई है. खतियान भूमि रिकॉर्ड का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है, जिसमें किसी क्षेत्र की जमीन का विवरण, मालिकाना हक, सीमाएं और अन्य संबंधित जानकारी दर्ज होती है. यह दस्तावेज़ भूमि विवादों को सुलझाने और सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है. वहीं खतियान विशेष रूप से जमीन की माप, सीमांकन और स्वामित्व की जानकारी प्रदान करता है. यह दस्तावेज़ ऐतिहासिक रूप से भारत में ब्रिटिश शासनकाल के दौरान तैयार किए गए थे और आज भी भूमि प्रबंधन प्रणाली का आधार हैं.

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