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शराब पर नीतीश वार : पहले गांव फिर शहर से भी मिटा देंगे नशा

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि राज्य में पूर्ण शराबबंदी के लक्ष्य को पूरा करेंगे. इसके लिए सभी के सहयोग की आवश्यकता है. शराबबंदी के लिए सरकार की तैयारी की जानकारी देते हुए कहा कि ऐसा कोई लू- फाल्स नहीं छोड़ा गया जिसका लाभ अवैध शराब के कारोबारी ले सके. विधानसभा में बिहार […]

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि राज्य में पूर्ण शराबबंदी के लक्ष्य को पूरा करेंगे. इसके लिए सभी के सहयोग की आवश्यकता है. शराबबंदी के लिए सरकार की तैयारी की जानकारी देते हुए कहा कि ऐसा कोई लू- फाल्स नहीं छोड़ा गया जिसका लाभ अवैध शराब के कारोबारी ले सके.

विधानसभा में बिहार उत्पाद संशोधन विधेयक 2016 के पारित होने के बाद विधान परिषद में उन्होंने कहा कि नयी सरकार की गठन के बाद शराबबंदी पहला निर्णय था. जिसे एक अप्रैल से लागू किया जायेगा. उन्होंने कहा कि हमने कभी पूर्ण या अपूर्ण शराबबंदी की बात नहीं की थी. शराबबंदी के लिए जितनी बैठकें और तैयारी की गयी, इतनी बैठकें कभी नहीं की गयी थी. शराबबंदी के लिए राज्यभर में वातावरण बनाने की जानकारी देते हुए उन्हेांने कहा कि अब तक एक करोड़ से अधिक अभिभावकों ने शपथ पत्र पर हस्ताक्षर कहा है कि शराब नहीं पियेंगे. 8440 पंचायतों में नुक्कड़ नाटक किये गये हैं.
सात लाख से अधिक दीवारों पर नारा लेखन किया गया है. होमियोपैथिक दवा के बहाने स्पीरिट से शराब बनाने के गुंजाइश को खत्म कर दिया गया है. चीनी मिलों को इथेलोन बनाने की अनुमति दी गयी है. इथेनोल को पेट्रोल में दस प्रतिशत तक मिलाया जाना है. इसके लिए पेट्रोलियम कंपनियों के साथ बैठक किया गया है. इसके लिए कंपिनयों ने स्टोरेज की समस्या की जानकारी दी.
उन्होंने कहा कि बार बार हमला के बावजूद जब नंद वंश को हराने में चंद्रगुप्त सफल नहीं हुए तो वे एक रोटी को चारों ओर से तोड़कर खाने की शिक्षा से नंद वंश के राज पर कब्जा किया. ठीक इसी प्रकार पहले गांव में शराबबंदी के लिए गांव से शहर पर हमला करेंगे.
गांव में सफलता के बाद शहर के आधे लोग तो ऐस ही पीना छोड़ देंगे. इसके बाद शहर में भी शराबबंदी होगी. शराब पीने या अवैध कारोबार करने वालों के लिए सख्त सजा के प्रावधान की जानकारी देते हुए उन्हेांने कहा कि यदि कोई पुलिसकर्मी इसका दुरुपयोग करेगा तो उन पर भी यह कानून लागू होगा. उनकी नौकरी तो जायेगी ही साथ ही तीन साल का सजा भी भोगना होगा. उन्होंने कहा कि नशा मुक्ति के लिए स्टैंडर ऑपरेटिंग प्रोसिड्योर तैयार कर लिया है. इसके लिए अब तक 17 डॉक्टर और नौ काउंसलर को प्रशिक्षण दिया जा चुका है. बंगलुरु से प्रशिक्षित ये लोग मास्टर ट्रैनर के रूप में काम करेंगे.
जिला स्तर पर तैयारी के तहत 126 डॉक्टर और 35 काउंसलर को एम्स के डॉक्टर के द्वारा प्रशिक्षण दिया जायेगा. इसकी रूप रेखा तैयार कर ली गयी है. हाल के दिनों में दवा की दुकानों में छापेमारी में पता चला कि आगे दवा की दुकान है और पीछे शराब पीने का अड्डा है. इसलिए ऐसे लोगों को लिए सजा का प्रावधान किया गया है. शराबबंदी को लागू करने के लिए राशि उपलब्ध करा दी गयी है. थाने को उनके क्षेत्र में शराब के कारोबार नहीं होने का सर्टिफिकेट देना होगा. विभाग के स्तर पर नियंत्रण कक्ष चालू हो गया है. सूचना मिलते ही कार्रवाई होगी. पुलिस मुख्यालय में नियंत्रण कक्ष शुरू होगा.
सेल्फ हेल्प ग्रुप की महिलाओं की मांग और पुन: माइक से सरकार बनने पर इसे लागू करने की घोषणा की जानकारी देते हुए उन्हेांने कहा कि इसे बंद होने के बाद बिहार के वातावरण में आमूलचुल परिवर्तन होगा.
एक साथ 750 मिली की चार बोतलें ही रख सकेगा : मुख्यमंत्री द्वारा यह कहने पर कि कोई व्यक्ति एक साथ 750 मिली का चार बोतल ही रख सकेगा, सदस्यों ने जमकर ठहाका लगाया.
सदस्यों के ठहाका पर उन्होंने कहा कि पीने वालों के लिए यह चार बोतल कुछ नहीं है, आखिर बकरे की अम्मा कब तक खैर मनायेगी? सरकारी दुकानों पर भी सीसीटीवी की नजर रहेगा. इससे पता चलेगा कि दुकान पर एक ही व्यक्ति बार बार तो नहीं आ रहा है. इससे विवरेज की दुकानों की सभी सूचनायें मिलेगी.
सदस्यों ने ली शपथ : शराबबंदी पर मुख्यमंत्री के वक्तव्य के बाद विप के सदस्यों को शराबबंदी में सहयोग के लिए विप सभापति अवधेश नारायण सिंह ने शपथ दिलायी. जिसमें सदस्यों ने सर्व सम्मति से शराब नहीं पीने के लिए प्रेरित करने, इसके लिए सरकार के हरकदम को सक्रिय सहयोग देंगे.
सभापति ने प्रस्ताव पारित होने के बाद सदस्यों को शराबबंदी की शुरुआत लस्सी से शुरू करने के लिए अपने कक्ष में आमंत्रित किया.इसके पूर्व सदन में सत्ता और विपक्ष के सभी सदस्यों ने सर्व सम्मति से पारित किया.
39 साल पहले भी हुई थी शराबबंदी
बिहार में शराबबंदी कानून 39 साल बाद फिर से लागू होने जा रहा है.
1977 में जब कर्पूरी ठाकुर मुख्यमंत्री बने थे, तब राज्य में शराबबंदी लागू की गयी थी. परंतु तब अवैध शराब की कालाबाजारी इतनी ज्यादा बढ़ गयी कि इस कानून को एक साल में ही कर्पूरी ठाकुरजी को अपने कार्यकाल में ही वापस करना पड़ा.
कर्पूरीजी 24 जून, 1977 से 21 अप्रैल, 1979 तक मुख्यमंत्री रहे थे. हालांकि उस दौरान इतना सख्त उत्पाद अधिनियम बिहार सरकार के पास नहीं था और न ही पड़ोसी राज्यों की सीमाएं ही बहुत ज्यादा सील की गयी थी.
इतना ज्यादा व्यापक स्तर पर व्यवस्था नहीं होने के कारण ही उस दौरान शराबबंदी कानून प्रभावी नहीं रह पाया था. इसे चरणबद्ध तरीके से नहीं, बल्कि एक बार में ही संपूर्ण शराबबंदी लागू कर दी गयी थी.
बिहार और झारखंड का बंटवारा नहीं होने के कारण भी यह कानून संपूर्ण बिहार में समान रूप से नहीं लागू हो पाया था.
– जहरीबी शराब से विकलांग या गंभीर बीमारी हो जाने पर दस साल के कठोर कारावास से आजीवन कारावास की सजा तथा दो लाख से दस लाख का आर्थिक दंड का प्रावधान.
-हल्की क्षति होने पर दस वर्ष तक की सजा और दस लाख का जुर्माना.
-किसी प्रकार की क्षति नहीं भी होती है, तो दस साल तक की सजा और पांच साल तक का जुर्माना.
-विदेशी के नाम पर देसी शराब बिक्री करने पर दस साल से आजीवन कारावास तक की सजा, दस लाख तक का जुर्माना.
-सार्वजनिक स्थल या अनाधिकृत स्थान पर शराब पीने पर सात साल तक की सजा, दस लाख जुर्माना
– सार्वजनिक जगह पर शराब पीने व उपद्रव पर सात से दस साल की सजा और दस लाख का जुर्माना.
– शराब दुकान परिसर और अपने खुद के परिसर में पियक्कड़ों को जमा करने के अपराध पर दस साल से आजीवन कारावास तक की सजा और एक लाख से दस लाख तक का जुर्माना.
– बिना टैक्स अदा किये शराब रखने पर आठ से दस साल की सजा और दस लाख तक का जुर्माना.
– दवा की दुकानों में शराब पीने की अनुमति देनेे के अपराध में आठ से दस साल की सजा और 10 लाख का जुर्माना
– दवा की दुकान में शराब पीनेवालों को पांच से सात साल तक की सजा,एक से दस लाख तक का दंड
– फिल्म और दूरदर्शन अथवा सामाजिक प्लेटफार्म पर शराब पीने के प्रचार करने और प्रकाशित करने के आरोप में पांच से सात साल तक की सजा और दस लाख की सजा.
– शराब पीने से मौत होने की स्थिति में मृतक के परिजन को चार लाख, गंभीर रूप से पीड़ित को दो लाख और आंशिक जख्मी को बीस हजार रुपये शराब निर्माण कंपनी या विक्रेता द्वारा दिया जायेगा.
– शराब की दुकान में महिला या 21 वर्ष से कम उम्र के लड़कों से काम लेने के अपराध में सात से दस साल की सजा और एक से दस लाख का दंड.
– शराब की बिक्री की तहकीकात करने गये सरकारी अधिकारी या कर्मियों को बाधा पहुचाने या काम में रोकने के अपराध पर आठ से दस साल की सजा,दस लाख तक जुर्माना.
-कोई व्यक्ति यदि अपने परिसर, जगह या कमरा का उपयोग शराब की अवैध बिक्री करने या पीने की अनुमति देता है तो उसे उसी नीति से दंड मिलेगा जिससे प्रतीत हो कि वह खुद अपराध किया है.
-यदि कोई उत्पाद अधिकारी बिना कारण किसी भी व्यक्ति को तंग करता है, किसी बंद स्थान में प्रवेश करता है, चल संपत्ति को जब्त करता है , किसी व्यक्ति की तलाशी करता है, उसे रोक रखता है या गिरफ्तार करता है तो वह भी कानून के दायरे में आयेगा.
-दूसरी बार इसी प्रकार के अपराध में पकड़ जाने पर सजा भी दोगुनी होगी.
सख्त नियम
नहीं खुल पायेंगी 656 शराब दुकानें
पटना : राज्य के सिर्फ नगर निगम और नगर पर्षद क्षेत्रों में ही विदेशी शराब की दुकानें खोली जायेंगी. शिवहर और बांका जिलों में कोई नगर निगम और नगर पर्षद क्षेत्र नहीं होने के कारण यहां विदेशी शराब की कोई दुकानें नहीं होंगी. इन दो जिलों को छोड़कर अन्य सभी जिलों में कुल 656 शराब दुकानों को एक अप्रैल से बिहार राज्य वेबरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीएसबीसीएल) को खोलनी है.
इसकी तैयारी भी बीएसबीसीएल ने तकरीबन पूरी कर ली है, लेकिन कुछ जिलों के नगर निगम और नगर पर्षद क्षेत्र में दुकान के लिए जमीन की समस्या समेत अन्य कारणों से एक अप्रैल से दुकानें शुरू नहीं हो पायेंगी. उत्पाद विभाग के तमाम अधिकारी बुधवार की देर शाम तक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलों से नहीं खुलने वाली दुकानों की संख्या और इसका कारण तलाश करते रहे. प्राप्त सूचना के अनुसार, नहीं खुलने वाले दुकानों की संख्या 100 से कम हैं, जिनकी सूची तैयार की जा रही है. मधुबनी, दरभंगा, गया, समस्तीपुर समेत कुछ अन्य जिलों के सभी नगर निगम और नगर परिषद क्षेत्र में दुकानें नहीं खुल पायेंगी. विभाग का कहना है कि सभी स्थानों पर एक सप्ताह में दुकानें खोल दी जायेंगी.
दुकान प्रबंधकों और कंप्यूटर ऑपरेटरों की बहाली पूरी नहीं
विदेशी शराब दुकानों के संचालन के लिए करीब 650 दुकान प्रबंधक और करीब इतनी ही संख्या में कंप्यूटर ऑपरेटरों की बहाली संविदा पर होनी है. परंतु अभी तक इनकी पूरी बहाली नहीं हो पायी है. इस कारण भी दुकानें खुलने में कई स्थानों पर समस्या हो रही है.
और भी हो पहल
कठोर दंड का प्रावधान, पुलिस के लिए भी दंड का करें प्रावधान: मोदी
विप में विरोधी दल के नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि शराबबंदी के लिए मृत्युदंड तक का प्रावधन किया गया है. सरकार पुलिस के लिए भी दंड का प्रावधान करे. बिहार में कोई भी घटना बिना पुलिस की जानकारी के नहीं होती है.
गुजरात में भी मृत्युदंड के प्रावधान की चर्चा करते हुए उन्हेांने कहा कि मुख्यमंत्री जी गुजरात से ही प्रेरणा लेकर ऐसा प्रावधान किये होंगे. सीएम द्वारा गुजरात से प्रेरणा पर सदस्यों ने ठहाका लगाया. मोदी ने कहा कि पुलिस द्वारा शराबवंदी में व्यवधान करे तो उन्हें कम से कम दो -तीन माह की सजा का प्रावधान हो. 2005 में राज्य में शराब की तीन सौ दुकानें थी. नयी सरकार में पांच सौ दुकानें हुईं. इसके बावजूद प्रचार किया गया कि राज्य के हर गांव में शराब की दुकानें हैं. परचुन की दुकानों में शराब मिलने लगी. सरकार के गलत निर्णय के कारण राज्य के 80 हजार परचुन की दुकानों में शराब बिकने लगी. उनका एक ड्राइवर शराब पीते पीते मर गया और उन्हें दूसरे ड्राइवर को हटाना पड़ा.
उन्हेांने सीएम से पूर्ण शराबवंदी की मांग करते हुए कहा कि भाजपा से सहयोग चाहते हैं तो पूर्ण शराबवंदी की टाइम टेबूल की घोषण किजिये. केरल में शराबवंदी के लिए दस साल की योजना की जानकारी देते हुए उन्हेांने कहा कि वहां प्रति वर्ष दस प्रतिशत दुकानों को बंद करने का निर्णय लिया गया है. यहां पांच हजार दुकानों को जगह राज्य में 650 दुकानों पर शराब बेचा जायेगा. उन्हेांने कहा कि नये निर्णय में 12 नयी विदेशी शराब बेचा जायेगा. पड़ोसी राज्यों में शराबवंदी नहीं होने से होने वाली परेशानी की चुनौती है. उन्हेंने कहा कि ऐसा न हो कि इसका हस्र पान गुटखा वाला हो जाये.
तैयारी
पुलिस और उत्पाद विभाग तैयार, सभी थानों से लिया गया घोषणापत्र
पूरे राज्य में एक अप्रैल से शुरू होने जा रही आंशिक शराबबंदी लागू करने के लिए पुलिस और उत्पाद विभाग पूरी तरह से मुस्तैद हो गया है. दोनों विभागों ने अपने-अपने स्तर से तैयारी पूरी कर ली है.
पूरे राज्य में देसी, मसालेदार और चुलाई शराब का उत्पाद, भंडारण, बिक्री और परिवहन हर तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है. इसकी मॉनीटरिंग के लिए उत्पाद और पुलिस विभाग में विशेष सेल का गठन करते हुए एक खास टॉल फ्री और हेल्पलाइन नंबर जारी किया है, जिस पर किसी भी समय कहीं से शिकायत की जा सकती है.
इन नंबरों पर जानकारी देनेवालों की पहचान गुप्त रखी जायेगी. साथ ही अधिकतम 24 घंटे के अंदर किसी शिकायत के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की जायेगी. राज्य में अवैध शराब की रोकथाम के लिए पुलिस और उत्पाद विभाग ने इससे संबंधित शिकायतें सुनने के लिए खासतौर से तैयारी की है. इसके लिए दोनों विभागों ने अलग-अलग नंबर जारी किये हैं. इन पर शिकायत की जा सकती है. उत्पाद विभाग के नंबर पर अभी सुबह 10 बजे से शाम 6:30 बजे तक कभी भी शिकायत की जा सकती है. बाद में ये नंबर 24 घंटे के लिए चालू कर दिये जायेंगे.
मुख्यमंत्री ने बतायी शराबबंदी की कहानी
पटना : मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी को लेकर वह पूरी तरह से मन बना चुके थे. केके पाठक को जिस दिन उत्पाद विभाग की जिम्मेवारी दी गयी उसी दिन से उन्हें इस दिशा में काम करन को कहा गया. सरकार के गठन के बाद हमने मुख्य सचिव और उत्पाद सचिव को बुला कर कहा कि चुनाव के दौरान हमने शराबबंदी की बातें कही थी. अब इसे लागू करने की इच्छा है.
आप लोग इसे एक अप्रैल, 2016 से लागू करने की तैयारी करें. 15-20 दिनों बाद अधिकारी रूपरेखा तैयार कर लाये. मेरे स्तर पर इस मसले पर जितनी बार विचार िवमर्श किया गया शायद ही किसी और मसले पर हुआ हो.
सभी बैठकों में उत्पाद मंत्री रहते थे मौजूद : शराबबंदी को लेकर जितनी भी बैठकें की गयी सबमें उत्पाद मंत्री मौजूद थे. खुले मन से इस पर चर्चा हुई. पहले ग्रामीण और बाद में शहरी इलाकों में भी लागू करने का निर्णय हुआ. एक अप्रेल से मात्र 10 प्रतिशत दुकानें रह जायेंगी.
2005 में शराब से होती थी तीन सौ करोड़ की आय, अब चार हजार करोड़ : 2005 में जब हम सरकार में आये तो पता चला कि शराब पीने वाले लोग तो बहुत हैं लेकिन, इससे सरकार को आय महज तीन सौ करोड़ ही होती है. मैं तो शराब के बारे में जानता तक नहीं था. जब पृष्ठभूमि में गये और लर्नर की तरह देखा तो पता चला कि इसमें लीकेज बहुत है.
मेरे दिमाग में बात आयी कि दो नंबर का कारोबार बहुत है. कुछ लोगों की मोनोपाेली है मैनुफैक्चरिंग की, थोक बिक्री की और रीटेल की. हमने अधिकारियों से कहा, माेनोपोली बंद कर दीजिये. एक निर्णय लिया इस चेन को बंद करने का और थोक बिक्री की जिम्मेवारी बिवरेजेज कारेपोरेशन को सौप दिया गया. धीरे-धीरे तीन सौ से चार हजार करोड़ तक राजस्व पहुंच गया.
ऐसा नहीं कि पीने वालों की संख्या बढ गयी. दरअसल बहुत हद तक नियंत्रित किया गया. इससे सरकार की आमदनी बढ गयी.
तैयार हो रहा था शराब के खिलाफ वातावरण : मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार के ठोस कदम से लीकेज बंद हुआ और राजस्व बढ गया लेकिन, हमने देखा कि शराब के खिलाफ एक वातावरण बनता जा रहा है. चारों तरफ हम लोग घुमते थे. महिलाएं आवाज दे रही थी. अब इसे अमलीजामा पहना रहे हैं.
कौन कितना ले रहा है सब सीसीटीवी में दिख जायेगा : सीएम ने कहा कि सभी दुकानों में सीसीटीवी लगायी गयी है. कौन आदमी कितनी बार ले रहा, कौन आदमी बार-बार आ जा रहा सबका हिसाब रखा जायेगा. देसी शराब की दुकान तो पूर्ण रूप से खत्म और विदेशी की कहीं दूसरी दुकान तो होगी नहीं. कोई कारोबार करेगा तो वह अवैध होगा. इसकी सजा और कड़ी की गयी है. इसलिए संशोधन विधेयक लाया गया है.
जन जागरण की जिम्मेवारी शिक्षा विभाग को : मुख्यमंत्री ने कहा कि शराब के खिलाफ मुजफ्फरपुर की महिलाओं के आंदोलन को हमने समर्थन किया है. शराबबंदी के लिए व्यापक जन जागरण चलाया गया है. इसकी जिम्मेवारी शिक्षा विभाग को दी गयी है. टोला सेवक, विकास मित्र, आंगनबाड़ी सेवका, सहायिका, आशा सबको डयूटी दी गयी है लोगों को जागरूक करने की.
हम डाल-डाल तो वह पात-पात : किसी भी थाना इलाके में कोई गड़बड़ झाला नहीं हो रहा है, इसका शपथ पत्र थानेदारों को देना होगा.
एसपी को भी इसकी जवाबदेही दी गयी है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि दो नंबर कारोबार करने वाले भी कम उस्ताद नहीं है. हम डाल-डाल तो वह पात-पात . इसलिए गड़बड़ी रोकने के लिए माइक्रो लेवल पर निगरानी की तैयारी की गयी है.
रणनीति के तहत चरणबद्ध तरीके से लगेगी रोक
सीएम ने कहा कि एक रणनीति के तहत चरणबद्ध तरीके से पूर्ण शराबबंदी को लागू किया जायेगा. पहले पूरे बिहार में वातावरण बन जायेगा. शहर में रहने वालों का भी बैकग्राउंड ग्रामीण ही है. उन्हें गांवो ंसे सूचना मिलेगी. जिस दिन वातावरण बन जायेगा उस दिन से शहर को भी छूट नहीं मिलेगी. गांव के लोगों को मालूम नहीं चलता कि शराब पीने से कौन कौन सी बीमारी होती है. लेकिन, शहर वाले तो पढे लिखे होते हैं. उन्हें पता होता है. आर्थिक स्थिति पर उनका कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन, उन्हें भी इस दायरे में लाना है.
सौ साल पुराना था सजा का प्रावधान
सीएम ने कहा कि शराब की बिक्री , उसे बनाने और अवैध कारोबार करने के मामले में सौ साल पुराना कानून थ. इसे बदलने के लिए ही संशाधित विधेयक लाया गया है. कानून का उल्लंघन करने वालों को कड़ी सजा मिले और जब हमने समझा लिया कि ऐसा हम कर सकते हैं तो सजा बढाने के प्रावधान लागू करने के लिए एकट में संशोधन किया गया.
संविधान में भी इसकी व्याख्या है
सीएम ने कहा कि संविधान में शराबबंदी की चर्चा हे. प्रस्तावना और अनुच्छेछ 14 में इसकी चर्चा है. राज्यों से लोगों के स्वास्थ्य की देखभाल करने का जिक्र किया गया है. राज्य को जिम्मेवारी दी गयी हैकि शराबबंदी लागू किया जाये.
आदत छुड़वाने के लिए डी एडिक्ट की व्यवस्था
सीएम ने कहा कि जिन लोगों को शराब की लत लग गयी है उनकी आदत सुधारने के लिए सरकार ने डी एडिक्ट सेल बनाया है. इसमें डाकटर और काउंसिलर की तैनाती की गयी है. सभी जिलों में इसकी व्यवस्स्था की गयी हे. मकसद सिर्फ सख्त कानून बनाने की ही नहीं बल्कि इसके हर पहलू को ध्यान में रखा गया है. निमहांस और एम्स के प्रशिक्षकों सेइन्हें ट्रेनिंग दिलायी गयी है.
स्परिट लादे गाड़ियों को 24 घंटे में बिहार की सीमा से निकल जाना होगा
सीएम ने कहा कि शराब व स्परिट लाने ले जाने वाली गाडियों में इलेक्ट्रानिक लाक लगायी जायेगी. बिहार की सीमा में प्रवेश करते ही उन पर लाक प्रभावी हो जायेगा और यहां कोई चीज उतर नहीं पायेगी. उन्होंने कहा कि बिहार होकर दूसरे राज्यों में प्रवेश करने वाली ऐसी गाड़ियों को 24 घंटे में बिहार की सीमा से बाहर निकल जाना होगा. पहले यह अवधि 48 घंटे की रही है.
31 मार्च तक सब कर देना होगा नष्ट
सीएम ने कहा कि जिन दुकानों में शराब बची रह जायेगी उसे नष्ट कर देना होगा. राज्य में स्परिट का उत्पादन बंद कर दिया गया है. इस घोषणा से सब लोग खुश हो गये. कुछ अपवाद हो सकते हैं. अब तो काम हो रहा है. सबका सहयोग चाहिये. लागू होता है तो मन से लागू होना चाहिये.

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