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जहानाबाद उपचुनाव का नतीजा नीतीश कुमार के लिए अप्रत्याशित : शिवानंद तिवारी

पटना : राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने आज नीतीश सरकार पर जमकर निशाना साधा है. शिवानंद तिवारी ने कहा कि नीतीश कुमार गंभीर धर्मसंकट में हैं. जहानाबाद उपचुनाव का नतीजा उनके लिए अप्रत्याशित था. उनका अनुमान था कि भाजपा और जदयू का वोट मिलकर जहानाबाद का चुनाव आराम से निकल जायेगा. नीतीश कुमार […]

पटना : राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने आज नीतीश सरकार पर जमकर निशाना साधा है. शिवानंद तिवारी ने कहा कि नीतीश कुमार गंभीर धर्मसंकट में हैं. जहानाबाद उपचुनाव का नतीजा उनके लिए अप्रत्याशित था. उनका अनुमान था कि भाजपा और जदयू का वोट मिलकर जहानाबाद का चुनाव आराम से निकल जायेगा. नीतीश कुमार की पार्टी दमखम के साथ वहां लड़ी. लेकिन, नतीजा ऐसा आया जिसकी कल्पना उन्होंने नहीं की थी. 2015 में जहानाबाद विधानसभा चुनाव राजद तीस हजार वोट से जीता था. उपचुनाव में जीत का अंतर तीस से बढ़कर पैंतीस हजार हो गया. इसका संदेश यही है कि नीतीश कुमार का जो भी आधार वोट था, वह लालू यादव के अपने पुराने घर में जम गया है. यह नतीजा नीतीश कुमार के लिए सदमा से कम नहीं है.

राजद नेता शिवानंद तिवारी ने आगे कहा, इसका मतलब यही है कि नीतीश कुमार वोट के मामले में दिवालिया हो चुके हैं. राजनीति के बाजार में आपकी उपयोगिता उसी वक्त तक है जब तक आपका वोट बैंक है. इसलिए दिवालिया नीतीश अब अपना पोजीशन बदलने का प्रयास करते नजर आ रहे हैं.

शिवानंद तिवारी ने केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह पर हमला बोलते हुए कहा,भाजपा के वरिष्ठ नेता कुछ नया तो नहीं कर रहे हैं. अपनी विभाजनकारी राजनीति को कभी उन्होंने छुपाया नहीं. नीतीश मंत्रिमंडल के भी जब सदस्य थे उस समय भी उनकी भाषा घोर सांप्रदायिक थी. नीतीश कुमार का ऊनपर कोई नियंत्रण नहीं था. बल्कि, बिहार भाजपा में गिरिराज पहले थे जो नरेंद्र मोदी के समर्थन में उस समय खुलकर बोल रहे थे. जब सुशील मोदी सहित बाकी नेता नीतीश कुमार के सम्मोहन में फंसे हुए थे. इस निष्ठा का प्रतिफल भी उन्हें मिला. मोदी जी ने अपने मंत्रिमंडल का सदस्य बनाकर उन्हें पुरस्कृत किया है.

राजद नेता ने कहा, महागठबंधन से अलग होकर जब नरेंद्र मोदी का नेतृत्व कुबूल कर लिया है, तो विभाजनकारी राजनीति से नीतीश कुमार का परहेज की बात हास्यास्पद है. सांप्रदायिक ध्रुवीकरण इन लोगों की राजनीति का मूलाधार है. यह जानते-समझते हुए आप पुन: वहीं गये हैं. अब नीतीश कुमार के सामने दो ही रास्ता है. चुप लगाकर 2020 तक सहन कीजिए और लंबे समय तक मुख्यमंत्री बने रहने का रिकार्ड बनाइये. या साहस दिखाइये और नित्यानंद तथा गिरिराज पर सांप्रदायिक दंगा-फसाद कराने के प्रयास का मामला दायर कर उन्हें गिरफ्तार कराइये.

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