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बड़ा खुलासा ! पटना में पुलिसिया सांठ-गांठ से जारी है बालू की अवैध बिक्री, पढ़ें

पटना : बिहार में इन दिनों बालू को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. बालू उत्खनन की नयी नीति को लेकर जहां राजद की ओर से लगातार विरोध प्रदर्शन जारी है, वहीं दूसरी ओर ट्रांसपोर्टर और मजदूर भी सड़कों पर उतरे हैं. इस दौरान एक बड़ा खुलासा सामने आ रहा है, वह यह कि राजधानी पटना […]

पटना : बिहार में इन दिनों बालू को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. बालू उत्खनन की नयी नीति को लेकर जहां राजद की ओर से लगातार विरोध प्रदर्शन जारी है, वहीं दूसरी ओर ट्रांसपोर्टर और मजदूर भी सड़कों पर उतरे हैं. इस दौरान एक बड़ा खुलासा सामने आ रहा है, वह यह कि राजधानी पटना में पुलिस की मिलीभगत से बालू की अवैध बिक्री जारी है. सरकार के नाक के नीचे राजधानी में अवैध बालू की बिक्री हो रही है. विरोध प्रदर्शन अलग है और बालू माफिया अलग से पूरी तरह सक्रिय होकर बिक्री को अंजाम दे रहे हैं.

बालू माफियाओं की मिलीभगत शहरों में सक्रिय दलालों से है जो विभिन्न शहरों में अवैध बालू का कारोबार कर रहे हैं. आम लोगों तक बालू की पहुंच अभी भी काफी कठिन है. एक ट्रैक्टर बालू अभी दस हजार रुपये में बिक रहा है. बालू-गिट्टी कारोबार से जुड़े दुकानदारों कोभले बालू मिल ही नहीं पा रहा,लेकिन माफिया आराम से बालू को सही जगह पर पहुंचाकर मनमाना कीमत वसूल रहे हैं. पटना के बाहरी इलाके में हर चौराहे और सड़क किनारे बालू लदे ट्रैक्टर सुबह से ही लगने शुरू हो जाते हैं. नवादा, अरवल, गया, जहानाबाद और लखीसराय से बालू का अभी भी उठाव जारी है. पटना से सटे इलाके में बालू नवादा, गया, जहानाबाद और अरवल से आता है और राजधानी में इसकी खपत हो रही है. बालू की कीमत बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है कि बालू-गिट्टी दुकानदारों को बालू मिल नहीं पता जबकि दलाल और माफिया ऊंची कीमतों पर बालू की बिक्री कर रहे हैं.

जानकारी के मुताबिक खुलेआम चलने वाले इस खेल में कहीं न कहीं पुलिस की भूमिका संदेहास्पद बतायी जा रही है. क्योंकि पटना में पहुंचने वाला बालू बाहरी इलाकों का है. पटना में इंटर करते ही प्रशासन की कमीशन के अलावा बाकी दाम जोड़कर बालू की कीमत बढ़ जाती है. इस खेल में पुलिस-प्रशासन की पूरी मिलीभगत है. बालू लदे ट्रैक्टर कम से कम 20 थाना क्षेत्र से गुजरने के बाद पटना पहुंचते हैं और हर थाना द्वारा वसूली की जाती है. कोई थाना क्षेत्र ऐसा नहीं है जहां पुलिस रात में वाहनों से वसूली नहीं करती. बालू के अलावा भूसा, लकड़ी मवेशी लदी गाड़ियों से भी खुलेआम वसूली होती है. वसूली में हर थाना को सौ से पांच सौ रूपए देना वाहन चालकों की मजबूरी होती है. यही कारण है कि बालू की कीमत तीन से पांच हजार रूपए तक बढ़ जाती है.

बालू का अवैध ढुलाई करने वाले वाहन मालिक खुलेआम इसकी चर्चा बाइपास के चाय दुकानों पर करते हैं. वाहन चालकों का कहना है कि सभी थानों का रेट फिक्स है, वह रेट चुकाकर कोई भी पटना में बालू लाकर बेच सकता है. सभी थानों के आगे पुलिस वाले खड़े मिलते हैं, और उन्हें तयशुदा फीस चुकानी पड़ती है. रोजाना बिहार के कई जगहों पर बालू की किल्लत से प्रभावित मजदूरों-ट्रांसपोर्टरों द्वारा आंदोलन किया जा रहा है. पटना से सटे दानापुर और मनेर में भी बालू को लेकर जमकर बवाल हुआ था.

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